गोली मार दो। गोली मार दो। गांधी का देश है। जरा धीरे बोलो। किसी गांधीवादी को ठेस लग जाएगी। वैसे भी गांधी परिवार में आपका आना जाना है। हां हां मैं चिदम्बरम को नसीहत दे रहा हूं। कहीं चिदम्बरम ऐश का वजन बढ़ जाने के कारण तो क्षुब्ध नहीं थे, जो आज मीडिया में आया था। हो सकता है, शायद कांग्रेस आज मीडिया की तरह इस विषय पर चर्चा करने के लिए संसद में पहुंची हो, मगर बीच में कसाब आ गया। क्योंकि जब भी कोई चीज बढ़ती है तो संसद में पहुंचने से पहले उसके कारणों पर सत्ताधारी पार्टी को तोता रटन करना पड़ता है। हो सकता है ऐश के वजन की ख़बर आने के बाद सोनिया ने चिदम्बरम को ज्यादा होम वर्क दे दिया हो, और जब संसद पहुंचे तो विपक्ष ने कसाब का मुददा उठा लिया। छोड़ो दुनिया भर की बातें, आओ मैं आपको लेकर चलता हूं, ब्लॉग जगत की सैर पर, शायद कुछ पल सुकून के गुजर जाएं।
सौ बरस के सिनेमा को कहीं से भी शुरु तो कर सकते हैं लेकिन यह खत्म नहीं हो सकता। क्योंकि सिनेमा का मतलब अब चाहे बाजार और मुनाफा हो लेकिन इसकी शुरुआत परिवार और समाज से होती है। पुण्य प्रसून बाजपेयी की बात विस्तार में पढ़ने के लिए क्लिक करें सौ बरस का सिनेमा और चंद हीरे
बोल्ड हवाओं के चलते ब्लॉग प्रदेश में उच्च तापमान एवं वायुदाब का वातावरण बना हुआ है| चक्रवाती हवाओं के चलते बहुत से ब्लॉगर अपने खेमों से छितरकर नए नए खेमिक समीकरण के जुगत में लगे हैं| वायु में प्रदूषण की मात्रा बेतहाशा बढ़ गयी है और आद्रता प्रतिशत भी सत्तर से पचहत्तर प्रतिशत पहुँच रहा है| सो सम कौन की बात को विस्तार में पढ़ने के लिए क्िलक करें! Blog Weather Report - मौसम का हाल, मो सम की ज़ुबानी
जीवन कितना जटिल हो सकता है, इसे रविन्द्रनाथ ठाकुर की कहानियों से बेहतर कौन दर्शा सकता है? उनकी कहानी "नौकाडूबी" पर आधारित उसी नाम की बांगला फ़िल्म का हिन्दी रूपांतरण है "कश्मकश"। संवाद सदा बना रहना चाहिये। लेकिन संवाद के साथ भी मौन चल सकता है क्या? और संवादहीनता? स्मार्ट इंडियन;अनुराग शर्मा की बात को विस्तार से पढ़ने के लिए क्िलक करें! कश्मकश - कवीन्द्र रवीन्द्र की नौकाडूबी पर आधारित हिन्दी फ़िल्म
घर के दरवाजे
खिड़की को रंग कर
क्या करोगे ???
कुंजी तेरे दिल की
पास है मेरे
उसे कैसे बंद करोगे ? डॉ निशा महाराणा को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्िलक करें। अजब -गजब
आज अखबार में एक खबर पढ़ी कि-''चर्चाओं में ऐश का फिगर''. खबर में बताया गया है की ऐश के बढे वजन को लेकर कुछ लोगों ने इसे एक सदमा करार दिया है. कैसी मनोवृति है हमारी? क्या आज भी आप ऐश को केवल अपना मनोरंजन करने वाली एक अभिनेत्री मानते हैं ? शिखा कौशिक को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्िलक करें। ASH- A MOTHER ...WHAT FIGURE
अक्सर तुम से जब मिलती हूं
कुछ कहना था कुछ कहती हूं.
मुद्दे पर आते आते
हया सामने आ जाती है..
बात अधूरी रह जाती है...!! अनिल कार्की की इस रचना को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्िलक करें। बात अधूरी रह जाती है..
हे प्रभु!
तू
गड़ेरिया बनकर
धरती पर आ
ले चल अपने साथ
मैं थक गया...
अपनी करते-करते
आदमी बन, संतोष कुमार सिद्धार्थ को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्िलक करें। प्रार्थना
अंग्रेजों के वक्त इतना बड़ा और इतना तेज तर्रार मीडिया भी तो नहीं था, मगर फिर भी जनमत तैयार करने में मीडिया ने अहम योगदान अदा किया था। कांग्रेसी नेता की पोल किसी अधिकारिक मीडिया ने तो नहीं खोली, जिस पर मीनाक्षी नटराजन बिल लाकर नकेल कसना चाहती हैं। शायद मीनाक्षी नटराजन राहुल बाबा की दोस्ती में इतना व्यस्त रहती हैं कि उनको वो लाइन भी याद नहीं होगी, जो लोग आम बोलते हैं, ''एक दरवाजा बंद होता है तो दूसरा दरवाजा आपके लिए खुलता है''। कुलवंत हैप्पी की बात विस्तार में पढ़ने के लिए क्लिक करें| नटराजन का ख्वाब; पिंजरे की बुलबुल
इस बार के लिए इतना ही दोस्तो, फिर मिलेंगे चलते चलते हम हैं राही प्यार के। एक बार जोर से बोलो।
बढ़िया लिंक्स,प्रस्तुति,.....
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST.....काव्यान्जलि.....:ऐसे रात गुजारी हमने.....
अच्छा बुलेटिन.
जवाब देंहटाएंवाह कुलवंत भाई का मास्टर स्ट्रोक । खूबसूरत पोस्टों का लिंक सहेज कर लाने के लिए शुक्रिया । वदिया जी वदिया
जवाब देंहटाएंजय हो भाई जी ... खूब सैर कराई आपने ब्लॉग जगत की ... जय हो !
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स! बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स !
जवाब देंहटाएंनये तरीके की हलचल, अत्यन्त प्रभावी।
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