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मंगलवार, 31 जनवरी 2012

दिल्ली की सर्दी और मेरी बातें - ब्लॉग बुलेटिन

ब्लॉग बुलेटिन आपका ब्लॉग है.... ब्लॉग बुलेटिन टीम का आपसे वादा है कि वो आपके लिए कुछ ना कुछ 'नया' जरुर लाती रहेगी ... इसी वादे को निभाते हुए लीजिये पेश है हमारी नयी श्रृंखला "मेहमान रिपोर्टर" ... इस श्रृंखला के अंतर्गत यह सोचा गया था कि हर हफ्ते एक दिन आप में से ही किसी एक को मौका दिया जायेगा बुलेटिन लगाने का ... पर आप सब के सहयोग को देखते हुए अब से हफ्ते में २ दिन हमारे मेहमान रिपोर्टर अपनी पोस्ट लगाया करेंगे ... तो अपनी अपनी तैयारी कर लीजिये ... हो सकता है ... अगला नंबर आपका ही हो !



 "मेहमान रिपोर्टर" के रूप में आज बारी है अभिषेक कुमार जी    की...
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एक तो दिल्ली और उसपे दिल्ली की सर्दी...कुछ भी काम करने का दिल नहीं कर रहा और ऐसे में शिवम भईया ने कहा कि  ब्लॉग-बुलेटिन पर आगाज करो..वैसे तो वो कम खुराफाती नहीं हैं लेकिन साफ़ दिल के मालिक भी हैं, तो उनकी बात मुझे रखनी पड़ी.सोचा तो था कि जिस दिन उन्होंने कहा उसी दिन यहाँ पोस्ट लगा दूँगा लेकिन कुछ काम में ऐसा फंसा कि ये पोस्ट टालता ही गया.आज फुर्सत मिली तो सोचा आराम कर लूँ, कल बुलेटिन लिख दूँगा...लेकिन फिर पता नहीं कहाँ से उड़ते उड़ते एक 'फेमस' मुहावरा मेरे दिमाग में बैठ गया.."कल करे सो आज कर..आज करे सो अब". वैसे तो मैं इस मुहावरे में कुछ खास यकीन रखता नहीं(आलसी हूँ), लेकिन फिर भी सोचा कि एक तो वैसे ही देर हो गयी और कम से कम ब्लॉग-बुलेटिन के लिए तो इस मुहावरे का मान रख ही लेना चाहिए, तो बस फिर क्या था..किबोअर्ड उठाया और ब्लॉग-बुलेटिन की अपनी पहली पोस्ट लिखना शुरू कर दिया...

जनवरी का ये सप्ताह बड़ा ही खास है..कम से कम मेरे लिए तो है ही.पिछले साल ही 23 जनवरी को मेरी बहन की शादी हुई और दो साल पहले, 21 जनवरी 2010 को मैंने अपने इनैक्टिव पड़े ब्लॉग "My Space My Blog" को फिर से एक्टिव करने का फैसला किया था और इसी दिन मैंने ब्लॉग का नाम बदल कर "मेरी बातें" रख दिया था.मैंने अपना यह ब्लॉग बहुत पहले बनाया था(साल 2007 में), लेकिन लिखता बहुत कम था, और ज्यादातर अंग्रेजी में ही लिखता था.प्रशांत प्रियदर्शी(हिंदी ब्लॉग-जगत के सुपरस्टार ब्लॉगर :P)से मुझे हिंदी में ब्लॉग लिखने की प्रेरणा मिली.वैसे तो अब इसके नखरे और टैन्ट्रमस इतने हैं की मत पूछिए, लेकिन फिर भी उन दिनों इसने मुझे अच्छे से गाईड किया, अच्छे अच्छे ब्लॉगर जो बहुत अच्छा लिखते हैं उनके बारे में भी विस्तार से इसने मुझे बताया.मेरी खुस्किमती रही की बहुत कम समय में बहुत अच्छे अच्छे लोगों से मुलाकात भी हो गयी और बहुतों से एक पारिवारिक रिश्ता भी बन गया.उसी साल जनवरी के इसी हफ्ते में मैंने अपने एक और इनैक्टिव पड़े ब्लॉग "Love Immortal" का नाम बदल 'एहसास प्यार का' रखा था.फिर कुछ दिनों बाद इस ब्लॉग पे भी पोस्ट लिखना मैंने शुरू किया.पिछले एक सालों से इस ब्लॉग में मैं बहुत कम लिखता हूँ, लेकिन जब भी लिखता हूँ तो पूरी शिद्दत के साथ.

2010 में ही मैंने एक और ब्लॉग शुरू किया "कार की बात", जिसका उद्देश्य था कारों के बारे में हिंदी में अच्छी और सही जानकारी देना.देखा जाता है की अक्सर हिंदी में कारों के बारे में बहुत से तर्क-हीन और उलटे पुलते खबरे हमारे सामने आती हैं.ये मेरा एक प्रयास था की कारों के बारे में बहुत सी जानकारियां लोगों के सामने अपनी भाषा में लाऊं.लेकिन कारों के बारे में हिंदी में लिखना, हिंदी में जानकारी देना थोडा कठिन था.,फिर भी मैंने कोशिश की और समय समय पर कुछ न कुछ इस ब्लॉग पे पोस्ट करते ही रहा.सच कहूँ तो शुरू शुरू में मुझे ये उम्मीद बिलकुल नहीं थी की लोग इस ब्लॉग को पढेंगे भी..लेकिन ब्लॉग पर आने जाने वाले मुसाफिरों को देख कर लगता है की ब्लॉग-जगत में रफ़्तार के दीवाने बहुत हैं जो अक्सर मेरे कार वाले ब्लॉग पर सैर करने चले आते हैं.इस ब्लॉग का आईडिया भी प्रशांत का ही दिया हुआ था.उसने मुझे कहा की हिंदी में कारों के विषय में ब्लॉग नहीं हैं, तो तुम एक ऐसा ब्लॉग बनाओ जो सिर्फ करों पर केंद्रित हो.प्रशांत की बात मुझे अच्छी लगी और मैंने आख़िरकार 'कार की बात' की शुरुआत कर ही दी.शायद अब भी ये कारों के बारे में हिंदी का एकमात्र ब्लॉग है(अगर कोई दूसरा भी आपको पता है, तो कृपया उसका लिंक देने का कष्ट करें).

इतने लोग इस ब्लॉग-जगत में मुझे मिले हैं, की सबका नाम लेना मुमकिन ही नहीं है लेकिन कुछ वैसी पोस्ट आपके सामने जरूर लाना चाहूँगा जो मेरे लिए अलग अलग कारणों से खास है और जिनके कुछ टुकड़े मैंने सुरक्षित रख भी लिए हैं अपने पास..

शिखा दी के स्पंदन से - बर्फ के फाहे और वेनिस की एक शाम

रश्मि दी के 'अपनी उनकी सबकी बातें' से - कुछ 'वैलेंटाइन डे'...ऐसे भी, गुजरते हैं और भाई-बहन के निश्छल स्नेह के कुछ अनमोल पल

प्रशांत की 'मेरी छोटी सी दुनिया से -  ये बूढ़ी पहाड़ियां अक्सर उदास सी क्यों लगती हैं? और अब भी उसे जब याद करता हूं, तो बहुत शिद्दत से याद करता हूं

पूजा जी की 'लहरें' से - सोचिये तो लगता है भीड़ में हैं सब तनहा और यूँ जिंदगी गुज़ार रहा हूँ तेरे बगैर

पंकज के 'होकर भी न होना' से - स्टेचू और चंद मुलाकातों की है दिल कि कहानी!!

स्वप्निल भाई के 'कोना एक रुबाई का' से बादल ओढ़े धूप खड़ी है और तुम आओ तो

चचा जी के 'चला बिहारी ब्लॉगर बनने' से मन का टीस और हमरा ब्लॉग परिवार

पुराने पोस्टों से अब थोडा रुख करते हुए चलते हैं कुछ और खूबसूरत पोस्टों के तरफ...

[१] हथकढ - घास की बीन
-किशोर चौधरी
क्यों एक दिन हो जाता है इश्क़ मुल्तवी, सौदा ख़ारिज,  
क्यों ताजा खूं की बू आती है, क्यों परीशां परीशां हम हैं?

[२] हथकढ - हसरतों के बूमरेंग
-किशोर चौधरी
ये दो स्वप्न ताज़ा रील के टुकड़े हैं. इस यात्रा में कथानक और दृश्य अक्सर जम्प करते हुए नए स्थानों पर पहुच जाते हैं. इन्हें अपने इस रोज़नामचे में इसलिए दर्ज़ कर रहा हूँ कि कुछ भी बिना वजह नहीं होता है. मौसम में कल रात का सुरूर बाकी है. ज़िन्दगी, जंगल में भटक रहा एक शिकारी है, जिसकी बन्दूक में समय नाम का बारूद भरा है. मेरी मैगज़ीन में हसरतों के बूमरेंग रखे हैं. बेआवाज़ लौट लौट कर आते हैं, मेरे पास...


[३] शाद्वल - ये खूबसूरत-सी बेख्याली
-स्मृति सिन्हा
तहें लगाऊं इस दुपट्टे कि कुछ इस तरह कि ये छींटें ऊपर से किसी को नज़र न आयें, अन्दर की तहों में चले जायें. पर ज्यादा अन्दर नहीं. बस इतना भर कि जब ऊपर कि तहों को एक कोने से पकड़ के उठाऊं तो अन्दर वाली तह में वो छींटें दीख पाएं. हाँ वही! कोरे दुपट्टे पर आसमानी से! उनपर उँगलियाँ फेरती हुई मन ही मन  सोचा करूंगी तुम्हे. कि तुम तो अब भी डूबे होगे उन्हीं रंगों में .बैठे होगे बहुत-से रंग भरे हौजों के बीच में, किसी पागल लड़की का कोरा दुपट्टा लिए हाथों में...पेशानी पे बल और दो-एक उलझी लटें लिए...खोये से...दुनिया से बेख्याल इस ख्याल में डूबे कि किस दुपट्टे को कौन-सा रंग देना है- गुलाबी,आसमानी,धानी,चम्पई,सुरमई.


[४] अगड़म बगड़म स्वाहा - अथ श्री "कार" महात्म्य!!!
-देवांशु निगम
मुझे लगता है कि कारें भी शो-रूम में जाने से पहले  बाटलीवाला, पेगवाला टाइप किसी ज्योतिषी को अपने टायर दिखा के भविष्य पूंछती होंगी कि बाबा बताओ मैं पर्सनल प्रोपर्टी बनूंगी या किराये की ? बाबा उन्हें यज्ञ , हवन, माला, अंगूठी टाइप चीजों का आइडिया देते होंगे | कहते होंगे नाम में १०-१२ ई , १५-२० ए घुसेड़ लो , मनचाहा मालिक या मालकिन मिलेगी | हफ्ते में किसी एक दिन अपने अपने इष्ट देव के मंदिर भी जाते होंगी ये सब कार|

[५]सोचालय - मेरी पीठ पर एक तिल है, अंदाज़ा लगाओ तो फिसल जाता है
-सागर
मैं थकने लगा हूं। पैर बस घिसट रहे हैं। नट वोल्टों का भी अब तेज़ी के घूमते देखना अब बंद हो गया है। वहां कुछ स्टील जैसा है बस वो चमक रही है। बेतहाशा हांफते रहा हूं, दिल की धड़कन असामान्य हो चली है, शायद नापना संभव नहीं है, सामान्यतया मैं मुंह बंद करके दौड़ता हूं यह इस वक्त फेफड़े को किसी समंदर के उपर मंडराती जितनी हवा चाहिए। 'हांफना' नामक यह क्रिया मेरे नाक तो नाक, मुंह, आंख और कान तक से निकल रहा है। पिंजरे के नीचे और कमर के बची की खाली जगह पर जोरों का दर्द हो रहा है। मेरे दोनों हाथ वहां चले गए हैं। मालूम होता है किडनी अपने जगह पर नहीं रही। कहीं गिर गई है। मैं वो जगह ज़ोर से पकड़ दबाए हुए हूं।

[७]हथकढ-ऑक्सफोर्ड टो वाले शू
-किशोर चौधरी
और ऐसे ही किसी दिन न भूल पाने की बेबसी में
एक से दूसरे कमरे में टहलता रहता हूँ
याद की खिड़कियों पर सुस्ताती गिलहरियों को देखता
बेसबब वार्डरोब को खोले चुप खड़ा सोचता हूँ,
दीवार... दराजें... स्याही... कुहासा...शहर और वीराना
एक विलंबित लय में लौट आता हूँ बिस्तर पर...

फिर 
समय की धूल से भरे तकिये पर सर रखे सोचता हूँ 
कि रिसाले और किताबें नहीं दे पाते हैं सीख, तुम्हें भूल पाने की 



[८]लहरें-दिल्ली- याद का पहला पन्ना
-पूजा उपाध्याय
मुझे कोई खबर नहीं कि मैं रोई क्यूँ...ख़ुशी से दिल भर आया था...सारी यादें ऐसी थीं कि दिल में उजली रौशनी उतर जाए...एक एक याद इतनी बार रिप्ले हो रही थी कि लगता था कि याद की कैसेट घिस जायेगी...लोग धुंधले पड़ जायेंगे, स्पर्श बिसर जाएगा...पर फिलहाल तो सब इतना ताज़ा धुला था कि दिल पर हाथ रखती थी तो लगता था हाथ बढ़ा कर छू सकती हूँ याद को. 

और चलते चलते आखिर में पूजा जी की ही खूबसूरत आवाज़ में सुनिए ये पॉडकास्ट

[९]पूजा नॉनस्टॉप - कच्ची आवाजें
-पूजा उपाध्याय

अब आज्ञा दीजिये ... फिर मिलेंगे ...

सादर आपका 

-अभि

सोमवार, 30 जनवरी 2012

भावों की अभिव्यक्ति कविता कहलाती है .... - ब्लॉग बुलेटिन

जैसा कि आप सब से हमारा वादा है ... हम आप के लिए कुछ न कुछ नया लाते रहेंगे ... उसी वादे को निभाते हुए हम एक नयी श्रृंखला शुरू कर रहे है जिस के अंतर्गत हर बार किसी एक ब्लॉग के बारे में आपको बताया जायेगा ... जिसे हम कहते है ... एकल ब्लॉग चर्चा ... उस ब्लॉग की शुरुआत से ले कर अब तक की पोस्टो के आधार पर आपसे उस ब्लॉग और उस ब्लॉगर का परिचय हम अपने ही अंदाज़ में करवाएँगे !
आशा है आपको यह प्रयास पसंद आएगा !

आज मिलिए ... रचना जी से ...


 

भावों की अभिव्यक्ति कविता कहलाती है .... यह कहना है रचना जी का . ब्लॉग तो यूँ कई हैं , पर मैंने भावों की गगरी उठाई है , जिसमें सृष्टि में बसी सारी खुशबू है - http://mypoemsmyemotions.blogspot.com/ मुझे इस ब्लॉग से दूर रहने का दुःख है , क्योंकि मैं ब्लौगों की परिक्रमा करती हूँ , दिल से जीए एहसासों के हर कतरे संजोती हूँ और एहसासों के शानदार रंगमंच पर आपके आगे रख देती हूँ .
10 जनवरी 2006 से रचना जी ने पश्मीने की तरह अपने ख्यालों को बुना है . एक बुनकर ही जानता है कि बुनने की कला . कविता हो या कहानी , गीत या ग़ज़ल .... जीकर ही तराशे जा सकते हैं और यह ब्लॉग तराशा हुआ है . इसे पढ़ते हुए मैंने जाना और माना कि आग के अन्दर समंदर है , - डुबकी लगाओ , जलोगे नहीं , बल्कि मोती पाओगे .
याद है आपको मुगलेआज़म ? संगतराश ने जीवंत मूर्ति रख दी थी अकबर के आगे .... उसी संगतराश की याद आई है , जिसकी मूर्ति में प्राण थे !
http://mypoemsmyemotions.blogspot.com/2006/10/woh-cheekh-cheekh-kar-khati-hae-mae.html इसमें उस नारी का रूप मिलता है , जो सबकुछ जानती है , अपमान का गरल आत्मसात करती है , पर अपने वजूद को भी बताती है . स्वयं के चक्रव्यूह से निकलने का अदम्य प्रयास !
ज़िन्दगी की आड़ी तिरछी राहें , वक्र रेखाओं में उलझे सरल ख्वाब यही कहते हैं -
" काश ज़िन्दगी भी एक स्लेट होती
जब चाह्ती लिखा हुआ पोछ्ती
और नया लिख लेती
चलो ज़िन्दगी ना सही
मन ही स्लेट होता
पोछ सकती , मिटा सकती
उन जज्बातो को
जो पुराने हो गये हें
पर ज़िन्दगी की चाक तो
भगवान के पास है
और मन पर पड़ी लकीरें हों
या सेलेट पर पड़ी खुंरसटे हों
धोने या पोछने से
नहीं हट्ती नहीं मिटती
पूरानी पड़ गयी स्लेट को
बदलना पड़ता है
विवश मन को
भुलाना होता है "... यही सार क्यूँ रह जाता है जीवन में ? तकदीरें बदलती हैं या नहीं , नहीं जानती - पर तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर को बदलने के क्रम में यही ख्याल रह जाते हैं पन्नों पर -

" कुछ साल ही सही
तुम्हारा साथ था
अब फिर वही दूरियां होगी
वही वक्त की कमी
वही परिवार के ज़िम्मेदारी
और मेरी ज़िन्दगी
एक बार फिर रुख़ बदलेगी
शायद ये ही आखरी मोड़ हो
विलीन होने से पहले "
.... ज़िन्दगी के हर पड़ाव को हर कोई जीना चाहता है , हथेलियों में बटोरना चाहता है एक घर , एक मीठी मुस्कान , एक मान - सम्मान , लेकिन .... आह ! यही कथा शेष रह जाती है ,
" रिश्तो की जमा पूंजी से
जिन्दगी का खाता तो
हमेशा ही खाली था
पर
सुना था कि
प्यार रिश्तो का
मुहताज नही होता
फिर क्यों मै
प्यार के सहारे
जिन्दगी की वैतरणी को
पार नहीं कर पायी "... यह सवाल ही पन्ने ढूंढता है . और भ्रम के पर्दों में ख़ुशी ढूंढता है ... कुछ इस तरह - " रुकी हुई घड़ी को चलाने के लिये
हम डाल देते है घड़ी में बैटरी
और खुश होते है कि
हमने समय को चला दिया..."
आँखों पर चश्मा चढ़ा लेने से , किस्म किस्म के मुखौटों में छुप जाने से जीवन का सच कहाँ बदलता है .... बगावत करके भी सलीम को अनारकली नहीं ही मिली . उसने भी सोचा होगा , तुमने भी सोचा होगा , कवयित्री की कलम भी यही कहती है =
" कभी कभी ज़िन्दगी में
ऐसा समय आता है
हर प्रश्न बेमानी हो जाता है
ज़िन्दगी खुद बन जाती है
एक प्रश्न बेमानी सा " ... कटु सत्य !
सत्य है इस भाव में भी - http://mypoemsmyemotions.blogspot.com/2011/12/blog-post.html

2012 की दहलीज भी एक मन के साथ है ....

तुम्हारे बिना मेरी जिन्दगी
ना पूरी हैं ना अधूरी हैं
क्या कहीं क़ोई कमी हैं
नहीं , आखों में बस
एक नमी हैं...................... किसी को जानने समझने के लिए , उसके एहसासों के कमरे में एक पूरा दिन बिताइए . एक कमरा और है - http://rachnapoemsjustlikethat.blogspot.com/

मैंने ज़िन्दगी को हमेशा करीब से देखना चाहा - कभी डूबते उतराते पार निकल गई, कभी चोट लगी , कभी जली भी , पर बिना गहरे उतरे समंदर की अमीरी कहाँ दिखती है . !

रश्मि प्रभा 

रविवार, 29 जनवरी 2012

स्वास्थ्य पर आधारित मेरा पहला ब्लॉग बुलेटिन - शाहनवाज़

लिखावट में मेरी गरचे, निशाने जुनूँ नज़र आए. 
तो मैं समझू फ़क़त, मेहनत मेरी कामयाब हो गयी.

सभी मित्रों को शाहनवाज़ सिद्दीकी का 'प्रेम रस' में डूबा हुआ आदाब. यह मेरी पहली ब्लॉग्स चर्चा है, कुछ बेहतरीन ब्लॉग-पोस्ट से आप सभी को रु-बरु कराने की कोशिश करूँगा. मेरी इस पहली बुलेटिन  की थीम स्वास्थ्य है, इसलिए सबसे पहले बात करते हैं स्वास्थ्य से जुडी कुछ जानकारियों की.

अगर आपका वज़न अचानक तेज़ी से घट या बढ़ रहा है तो यह थायरॉइड डिस्ऑर्डर का लक्षण हो सकता है, थायरॉइड डिस्ऑर्डर के प्रमुख लक्षणों में वज़न के घटने, बढ़ने के आलावा काम में मन ना लगना, उदास रहना, हड्डियों अथवा जोड़ों में दर्द प्रमुख हैं.

क्या होता है थायरॉइड?
हमारी बॉडी में बहुत-से एंडोक्राइन ग्लैंड्स (अंत: स्रावी ग्रंथियां) होते हैं, जिनका काम हॉर्मोन्स बनाना होता है। इनमें से थायरॉइड भी एक है, जो कि गर्दन के बीच वाले हिस्से में होता है। थायरॉइड से दो तरह के हॉर्मोन्स निकलते हैं : T3 और T4, जो हमारी बॉडी के मेटाबॉलिज्म को रेग्युलेट करते हैं। T3 10 से 30 माइक्रोग्राम और T4 60 से 90 माइक्रोग्राम निकलता रहता है। एक तंदुरुस्त आदमी के शरीर में थायरॉइड इन दोनों हॉर्मोन्स को सही मात्रा में बनाता है, जबकि गड़बड़ी होने पर ये बढ़ या घट जाते हैं। थॉयराइड डिस्ऑर्डर के कारण महिलाओं में बांझपन और पीरियड्स के अनियमित होने की प्रॉब्लम हो जाती है। शरीर में इन दोनों के लेवल को TSH हॉर्मोन कंट्रोल करता है। THS (Thyroid Stimulating Harmone) पिट्यूटरी ग्लैंड से निकलने वाला एक हॉर्मोन है।

क्या है थायरॉइड डिस्ऑर्डर?
थायरॉइड ग्लैंड से निकलने वाले T3 और T4 हॉर्मोन्स का कम या ज्यादा होना थायरॉइड डिस्ऑर्डर कहलाता है।

कैसे होता है
- ज्यादातर मामलों में यह खानदानी होता है।
- खाने में आयोडीन के कम या ज्यादा होने से।
- ज्यादा चिंता करने, अव्यवस्थित खानपान और देर रात तक जागने से।
- कुछ दवाइयों से, जैसे Amiodarone जो कि दिल के मरीजों को दी जाती है और Lithium जो कि मूड डिस्ऑर्डर यानी मानसिक रूप से परेशान मरीजों को दी जाती है। इन दवाइयों को लंबे समय तक लेने से हॉर्मोन्स का लेवल कम-ज्यादा हो जाता है, जिससे थायरॉइड डिस्ऑर्डर हो जाता है।

कैसे पता चलता है
किसी को थायरॉइड डिस्ऑर्डर है या नहीं, इसके लिए यह चेक किया जाता है कि बॉडी में T3, T4 और TSH लेवल नॉर्मल है या नहीं। पहले लक्षणों और फिर जांच (थायरॉइड प्रोफाइल टेस्ट) से इसका पता चलता है।

कितने तरह का होता है :
मोटे तौर पर थायरॉइड डिस्ऑर्डर को दो भागों में बांटा जाता है :

1. हाइपोथायरॉइडिज्म: थायरॉइड में जब T3 और T4 हॉर्मोन लेवल कम हो जाए तो उसे हाइपोथायरॉइडिज्म कहते है। इसमें TSH बढ़ जाता है।

2. हाइपरथायरॉइडिज्म: थायरॉइड में जब T3 और T4 हॉर्मोन लेवल अगर बढ़ जाए तो हाइपरथायरॉइडिज्म कहते है। इसमें TSH घट जाता है।

थायरॉइड डिस्ऑर्डर में पहले TSH चेक किया जाता है और अगर उसमें कोई घट-बढ़ पाई जाती है तो फिर T3 और T4 टेस्ट किया जाता है। पहली बार थायरॉइड टेस्ट कराने के बाद दूसरी बार टेस्ट तीन से छह महीने बाद करा सकते हैं। आजकल हॉमोर्न लेवल घटने यानी हाइपोथायरॉयडिज्म के मामले ज्यादा देखे जा रहे हैं। इसमें TSH बढ़ जाता है।

हाइपोथायरॉयडिज्म के कारण
- आयोडीन 131 ट्रीटमेंट से। यह ट्रीटमेंट हाइपरथायरॉइडिज्म के मरीजों को दिया जाता है, जो थायरॉइड के सेल्स को मारता है। इस ट्रीटमेंट में डोज के ज्यादा या कम होने से।

- थायरॉइड की सर्जरी से।

- गले की रेडिएशन थेरेपी से, जो कि ब्लड और गले का कैंसर होने पर दी जाती है।

- दवाइयों जैसे Lithium मानसिक रूप से परेशान मरीजों को दी जाती है, Anti-Thyroid Drugs थायरॉइड डिस्ऑर्डर को नॉर्मल करने के लिए, Interferon-Alfa हेपेटाइट्स और कैंसर के मरीजों को दी जाती है और Amiodarone जो कि दिल के मरीजों को दी जाती है, आदि से। ये दवाएं लंबे समय तक लेने से ही दिक्कत होती है।

- अगर पैदाइशी रूप से थायरॉइड ग्लैंड में हॉर्मोन बनने में गड़बड़ी हो या फिर थायरॉइड ग्लैंड हो ही न।

- अगर कोई पहले से ही थायरॉइड का ट्रीटमेंट ले रहा हो और उसे अचानक से बंद कर दे।

- TSH की कमी से।

- अगर किसी को हाइपोथैलमिक बीमारी हो। हाइपोथैलमस ब्रेन का ही एक पार्ट होता है, जिसमें किसी भी तरह की बीमारी जैसे ट्यूमर, रेडिएशन आदि होने से हाइपोथैलमिक बीमारी होती है, जिससे हाइपोथायरॉइडिज्म हो जाता है।


हाइपोथायरॉइडिज्म के लक्षण

बड़ों में
- भूख कम लगती है, पर वजन बढ़ता जाता है।
- दिल की धड़कन कम हो जाती है।
- गले के आसपास सूजन हो जाती है।
- हर काम में आलस जैसा लगने लगता है, थकावट जल्दी हो जाती है और कमजोरी आ जाती है।
- डिप्रेशन होने लगता है।
- पसीना कम आने लगता है।
- स्किन ड्राई हो जाती है।
- ठंड ज्यादा लगना (गर्मी में भी ठंड लगती है)
- बाल ज्यादा झड़ने लगते हैं।
- याददाश्त में कमी आ जाती है।
- कब्ज
- महिलाओं के पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं। कुछ मामलों में पहले पीरियड्स कम होते हैं, फिर धीरे-धीरे बंद हो जाते हैं।
- कुछ लोगों में सुनने की शक्ति भी कम हो जाती है।

इलाज
पहले लीवोथॉयरोक्सिन (ये हॉर्मोन्स होते हैं) दिया जाता है, जिसकी डोज 50 माइक्रोग्राम से शुरू की जाती है और फिर TSH लेवल और जरूरत के मुताबिक इसकी डोज बढ़ाई जाती है। इसके साथ अगर मरीज की कोई ऐसी दवा चल रही हो, जोकि थायरॉइड के लेवल को घटा रही हो जैसे : Lithium, Amiodarone तो ऐसी दवाओं को रोक दिया जाता है क्योंकि ये दवाइयां हाइपोथायरॉइडिज्म करती हैं। इलाज का असर हो रहा है या नहीं, इसे दो तरह से आंक सकते हैं : पहला : ऐसे सुधार, जिन्हें मरीज खुद देख सकता है जैसे सूजन में कमी आना और दूसरा : जिसमें हॉर्मोन्स में सुधार आता है और जिनकी पहचान सिर्फ डॉक्टर ही कर सकता है।

बच्चों में
हाइपोथायरॉइडिज्म से पीड़ित पैदा नॉर्मल होता है लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाता है, उसमें लक्षण दिखने लगते हैं। आमतौर पर यह आयोडीन की कमी से होता है।

- बच्चा गूंगा-बहरा पैदा होता है।
- बौना होता है, यानी उसकी उम्र के हिसाब से लंबाई कम होती है।
- लंबे समय तक पीलिया रहने लगता है।
- सामान्य बच्चों की तुलना में उसकी जीभ बड़ी होती है।
- हड्डियों का विकास धीमा होता है।
- नाभि फूलती जाती है।
- आई क्यू सामान्य बच्चों की तुलना में कम होता है।

जब कोई महिला प्रेग्नेंट होती है तो बच्चे को थायरॉइड न हो, इसके लिए मां को आयोडीन नमक वाला खाना दिया जाता है। लेकिन अगर पैदा होने के बाद बच्चे को थायरॉइड डिस्ऑर्डर हो जाता है तो उसे Iodized Oil दिया जाता है। इसमें एक एमएल में 480 मिली ग्राम आयोडीन होता है। आजकल थॉयरोक्सिन यानी Eltroxin टैब्लेट भी दी जाती हैं। 5 साल से कम के बच्चों को 8 से 12 माइक्रोग्राम से शुरू करते हैं और दिन में एक बार देते हैं। यह तब तक दी जाती है, जब तक बच्चा नॉर्मल न हो जाए।

हाइपरथायरॉइडिज्म
हाइपरथायरॉइडिज्म : इसकी जांच में T3, T4 बढ़ा हुआ और THS घटा हुआ रहेगा। साथ ही इसमें Thyroid Stimulating Immunoglobulin मिलता है। यह एक तरह का प्रोटीन होता है, जोकि थायरॉइड ग्लैंड में जाकर उसे ज्यादा निकालता है। इसी की वजह से यह बीमारी होती है।

कारण
- ग्रेव्स बीमारी से। यह आमतौर पर 20 से 50 साल तक की उम्र के लोगों में पाई जाती है और ऑटोइम्यून डिस्ऑर्डर से होती है। इसमें सारे लक्षण हाइपरथायरॉयडिज्म के होते हैं, जिसके ट्रीटमेंट में एंटी-थायरॉइड ड्रग सर्जरी की जाती है।
- ज्यादा मात्रा में आयोडीन खाने से।
- थायरॉइड हॉर्मोन ज्यादा लेने से।
- टॉक्सिक मल्टिनॉड्युलर ग्वाइटर और टॉक्सिक एडिनोमा हो जाने से। ग्लैंड में बहुत-सी गांठें होती हैं, जिनमें बहुत तेजी से हॉर्मोन्स बनने लगते हैं।

बड़ों में लक्षण
- वजन कम हो जाता है।
- दिल की धड़कन तेज होने लगती है।
- हर काम में जल्दी रहती है।
- चिड़चिड़ापन रहने लगता है।
- पसीना ज्यादा आने लगता है।
- स्किन में नमी ज्यादा रहती है।
- दिमागी तौर पर स्मॉर्टनेस और इंटेलिजेंस बढ़ जाती है।

थायरॉइड की सर्जरी के अलावा आयोडीन 131 और एंटी-थायरॉइड ड्रग्स जैसे Carbimazole, Methimazole और Propranolol आदि दी जाती हैं।

बच्चों में लक्षण
बच्चों में हाइपरथायरॉइडिज्म के मामले लगभग 5 पर्सेंट ही होते हैं, यानी उनमें हाइपरथायरॉइडिज्म के बजाय आमतौर पर हाइपोथायरॉइडिज्म ज्यादा होता है।

- गॉइटर (घेंघा) यानी गर्दन का साइज बढ़ जाना।
- मानसिक रूप से परेशान रहने लगेगा।
- बच्चे का किसी भी काम में, पढ़ाई और खेलकूद में ध्यान न लगना।
- भूख बढ़ जाना लेकिन वजन कम होना। मतलब, बच्चा खाना ज्यादा खाएगा लेकिन उसका वजन घटेगा।
- प्रोप्टोसिस यानी आंखों का ज्यादा बाहर आ जाना।

इसमें एंटी-थायरॉइड ड्रग जैसे Propylthioucacil और Methimazole दी जाती है। एक बार थायरॉइड लेवल नॉर्मल हो जाने पर दवाओं की डोज कम-से-कम स्तर पर ले जाते है। कितने लेवल पर ले जाना है, यह डॉक्टर तय करता है। इन्हें हॉर्मोन्स लेवल को कंट्रोल करने के लिए दिया जाता है।

होम्योपैथ
होम्योपैथ में भी थायरॉइड का इलाज मरीज के लक्षणों जैसे पर्सनैलिटी, बॉडी टाइप (मोटा-पतला), मरीज की मेडिकल हिस्ट्री, फैमिली मेडिकल हिस्ट्री, मरीज के शरीर की संवेदनशीलता आदि के आधार पर ही किया जाता है। होम्योपैथ में TSH को नॉर्मल करने के लिए दवा दी जाती है।

दवाएं
लांकि लक्षणों को देखकर ही दवा और डोज दी जाती है। लेकिन कुछ दवाएं हैं, जो आमतौर पर थायरॉइड के सभी मरीजों को दी जाती है। वे हैं :

- Calcarea Carb 30, 5-5 गोली दिन में तीन बार, एक महीने तक।

- Graphites 30, 5-5 गोली दिन में तीन बार, एक महीने तक।

- Thuja Occ 30 , 5-5 गोली दिन में तीन बार, एक महीने तक।

- Phosphorus 30, 5-5 गोली दिन में तीन बार, एक महीने तक।

- Lachesis 30, 5-5 गोली दिन में तीन बार, एक महीने तक।

ध्यान रखें : दवा खाने से 15-20 मिनट पहले और बाद में कुछ भी न खाएं। मुंह में कोई भी तेज खुशबू वाली चीज होगी तो दवा असर नहीं करेगी।

आयुर्वेद
आयुर्वेद में भी ज्यादा चिंता, शोक में रहना और अव्यवस्थित खानपान को थायरॉइड डिस्ऑर्डर का मुख्य कारण माना गया है।

लक्षणों को देखकर ही इलाज किया जाता है लेकिन सामान्य रूप से इसके लिए आरोग्यवर्द्धनी वटी (एक गोली), गुग्गुल (एक गोली), वातारि रस (एक गोली) और पुनर्नवादि मण्डूर (एक गोली) दवा दी जाती है। ये दवाएं सुबह-शाम गर्म पानी से कम-से-कम तीन महीने लेनी होती हैं। थायरॉइड डिस्ऑर्डर में घरेलू नुस्खों से ज्यादा फायदा नहीं होता।

योग
थायरॉइड डिस्ऑर्डर गले से जुड़ी बीमारी है, इसलिए जो भी प्राणायाम आदि गले में खिंचाव, दबाव या कंपन पैदा करे, उन्हें मददगार माना जाता है।

थायरॉइड डिस्ऑर्डर होने पर :

- कपालभाति क्रिया के तीन राउंड पांच मिनट तक करें।

- उज्जयिनी प्राणायाम 15 से 20 बार दोहराएं।

- गर्दन की सूक्ष्म क्रियाएं करें, जिसमें गर्दन को आगे-पीछे और लेफ्ट-राइट घुमाएं।

- लेटकर सेतुबंध, सर्वांग और हलासन, उलटा लेटकर भुजंग और बैठकर उष्ट्रासन, जालंधर बंध आसन करें। सभी आसन 2 से 3 बार दोहराएं।

नोट : सर्वांग और हलासन गर्दन, कमर दर्द, हाई बीपी और हार्ट की बीमारियों में न करें। बाकी आसन कर सकते हैं।

थायरॉइड डिस्ऑर्डर हो ही न, इसके लिए इन सभी आसनों और प्राणायाम को रोजाना करने के साथ ही रोजाना सैर पर जाएं। रेग्युलर ऐसा करने से थायरॉइड डिस्ऑर्डर कुछ ही दिनों में कंट्रोल हो जाता है।

क्या खाएं
- हल्का खाना जैसे दलिया, उबली सब्जियां, दाल-रोटी आदि खाएं।
- हरी सब्जियां और कम घी-तेल और मिर्च-मसाले वाला खाना खाएं।

क्या न खाएं
- बैंगन, चावल, दही, राजमा, अरबी आदि।
- खाने की किसी भी चीज को ज्यादा ठंडा और ज्यादा गर्म न खाएं।
- तला खाना जैसे समोसे, टिक्की आदि न खाएं।

INMAS (Istitute of Nuclear Medicine and Allied Science)
यह मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस का एक इंस्टिट्यूट और खासकर थायरॉइड का बड़ा हॉस्पिटल है।

- यहां जनरल ओपीडी नहीं है। सिर्फ किसी एम. डी. डॉक्टर के रेफर पर ही यहां इलाज किया जाता है।

- सुबह 7:30 से 11 बजे तक नंबर मिलते हैं, 8:30 से 11 बजे तक कार्ड बनाए जाते हैं और सुबह 9 से 11:30 बजे तक डॉक्टर मरीजों को देखते हैं।

- कार्ड 10 रुपये में बनता है और इसी पर इलाज के पूरे होने तक दवाइयां लिखी जाती है, जोकि बाहर से खरीदनी होती हैं।

फोन नंबर : 011- 2390 5327

पता : INMAS, तीमारपुर-लखनऊ रोड, तीमारपुर, दिल्ली-110 054, दिल्ली यूनिवर्सिटी मेट्रो स्टेशन के पास।

एक्सपर्ट्स पैनल :
- डॉ. के. के. अग्रवाल, सीनियर कंसलटेंट, मूलचंद हॉस्पिटल
- डॉ. ओमप्रकाश सिंह, मेडिकल ऑफिसर, ई. एस. आई. हॉस्पिटल
- डॉ. शुचींद्र सचदेवा, सीनियर होम्योपैथ
- एल. के. त्रिपाठी, वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक
- सुरक्षित गोस्वामी, योग गुरु

नोट : ऊपर बताई गई एलोपैथी, होम्योपैथी और आयुर्वेदिक किसी भी दवा को डॉक्टर की सलाह के बिना अपने आप न लें। एलोपैथी में बताई गई सभी दवाइयों के नाम उनके जेनरिक नेम हैं। बाजार में ये अलग-अलग नामों से मिलती हैं।

साभार: नवभारत टाइम्स


शुरू करते हैं अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी लिंक्स


"स्वास्थ्य-सबके लिए" वाले कुमार राधारमण ओशो के कथन "ऐसा नहीं कहा जा सकता कि आप फलां तरीक़े से स्वस्थ हैं और वो अमुक तरीक़े से। आप या तो स्वस्थ हैं या बीमार । बीमारियां पचास तरह की होती हैं; स्वास्थ्य एक ही प्रकार का होता है" का सार अपने ब्लॉग के द्वारा समझा रहे हैं.


थायरॉइड में योग
आयुर्वेदिक औषधि है घर का बना घी
मसालों में छिपी है सेहत
गर्भावस्था के दौरान योग


वेब दुनिया बता रही कि
"किस से कम होता है मोटापा"


"स्वास्थ्य चर्चा" ब्लॉग पर जानिए चिकन पोक्स के बारे में
चिकन पोक्स (chicken pox)


"स्वस्थ सुख" ब्लॉग पर  सुशील बाकलीवाल बता रहे हैं


हेल्थ ब्लॉग पर पढ़िए
यौन स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद


इसके साथ यह वाला लिंक देखिए ज़रा
रसोईघर- से स्वास्थ्य सुझाव





आगे चलते हैं ब्लॉग जगत की कुछ ताज़ा हलचल पर


"स्वास्थ्य-सुख" पर सुशील बाकलीवाल समझा रहें हैं
मधुमेह (डायबिटीज) से बचाव हेतु लक्ष्य पर नजर रखें
जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिये लक्ष्य निधार्रित कर उन्हें हासिल करने का लगातार प्रयास करना होता है । डायबिटीज भी जीवन की...

ब्लॉग संसद में सुज्ञ बता रहे हैं
माँसाहार : रोग की भारी सम्भावना
दुनिया के आहार विशेषज्ञों ने प्रमाणित कर दिया है कि शाकाहारी मनुष्य अपेक्षाकृत दीर्घजीवी होते है। विविध शोधों से यह सिद्ध हो चुका है कि मांसाहार मानवीय स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं है...






आप सभी को वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं! वसंत ऋतु का आगमन हो चूका है इस अवसर पर

लीजिये ललितडॉटकॉम पर 
खिल गयी क्यारी क्यारी ----- ललित शर्मा
वसंतागमन हो चुका, खिल गयी क्यारी क्यारी। चलने लगी बयार दोधारी। प्रकृति का अदभुत सौंदर्य देखते ही बनता है, आँखो में भी नहीं समाता। कैमरे की आँख भी उसे...


anupama's sukrity पर अनुपमा त्रिपाठी बता रही है कि
आज...बसंत चहुँ ओर छाया है .....!!
जब बसंत पड़ा अटा.. झूम उठी धरा ... हर तरफ दिखे बसंत की छटा बसंती बयार में .. भंवरे के गुंजन में .. गूंजती है राग बसंत ... बासंती छवि ..बसंती रूप ...


"धान के देश में!" जी.के. अवधिया मन रहे हैं वसंत पंचमी, आप भी शामिल होना चाहें तो पहुँच जाइये
वसन्त पंचमी - वसन्त ऋतु का जन्मदिवस
प्रज्वलित अंगारों की भाँति पलाश के पुष्प! पर्णविहीन सेमल के विशाल वृक्षों की फुनगियों पर खिले रक्तवर्ण सुमन! मादकता उत्पन्न करने वाली मंजरियों से सुशोभित...




दीप्ती शर्मा का "स्पर्श"

ए बसंत तेरे आने से
ए बसंत तेरे आने सेनाच रहा है उपवन गा रहा है तन मन ए बसंत तेरे आने से ।खेतों में लहराती सरसों झूम रही है अब तो मानो प्रभात में जग रही है ए बसंत तेरे आने से ...



"चैतन्य का कोना" पर खिले हैं
हँसते-मुस्कुराते पीले फूल .....!
कैसे लगे मेरे स्माइलिंग फ्लावर्स :) आप सबको बसंत पंचमी की शुभकामनायें , माँ शारदे को नमन ...




अरे यह क्या??? अजय झा  भाई

आसमान में पत्थर रोज़ उछाला करते हैं
कुछ नय हो सकता है , कह कह के , कई लोग उम्मीद की मैय्यत निकाला करते हैंछेद डालेंगे आसमान , रोज़ इसी विश्वास से , हम पत्थर उछाला करते हैं....



इन्द्रधनुष ब्लॉग पर मनोरमा जी कर रही हैं "बातें हर रंग की"
कोई किसी से कम नहीं
(पब्लिक एजेंडा में प्रकाशित )इसी साल जुलाई के आखिर में लोकायुक्त के अवैध खनन रिपोर्ट में नाम आने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री बी एस येदुरप्पा को ना चाहते हुए...


खुशदीप  भाई का "देशनामा"
कांपता गणतंत्र, ताली पीटता सत्तातंत्र...खुशदीप​​
हमारा गणतंत्र महान है..26 जनवरी क्यों अहम है, ये कोई जानता हो या न हो लेकिन इस दिन दिल्ली में होने वाले मुख्य समारोह में परेड के बारे में सब जानते है......


"साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया"  पर वीरेंद्र शर्मा उर्फ़ वीरुभाई
अजब गज़ब तथ्य : कामयाब
औरतों में स्ट्रेस बन रहा है कील मुहांसों का सबब. एक नए अध्ययन के अनुसार युवतियों की ज़िन्दगी में खासकर उम्र के बीसम बीसे के मध्य में (मिड त्वेंतीज़ में) उन युवतियों में स्किन प्रोब्लम के रूप में कील ...

"अंधड़ !" पर पी. सी. गोदियाल जी की
अबूझ जिन्दगी !
वाकई बड़ी कुत्ती चीज है ये जिन्दगी, भोली,सरल और मासूम पगडंडियों से शुरु किया सफ़र, अनगिनत उलझे, दुष्कर, जटिल और क्लिष्ट, कटु और मधुर, रहस्यमयी पडावों से गुजर...



प्रवीण पाण्डेय अपने ब्लॉग "न दैन्यं न पलायनम्" पर
सुकरात संग, मॉल में
अपने अनुशासन से बुरी तरह पीड़ित हो गया तो आवारगीका लबादा ओढ़ कर निकल भागा। कहाँ जायें, सड़कों पर यातायात बहुत है, एक दशक पहले बंगलुरु की जिन सड़कों पर...



राजीव शर्मा "कलम कवि की" पर समझा रहे हैं कि
मंजिल है दूर
पथ पर निकला एकांकी संग ले चला बीती झांकी जब थकन एहसास हुई तुम तभी से मेरे साथ हुई उस क्षण जो तुमने बोला कानो में था मिश्री घोला थकन गई किस राह निकल पता चला...


वहीँ "नुक्कड़पर अविनाश वाचस्पति बतिया रहे हैं कि 
शब्‍द विमर्श का फेसबुक महात्‍म्‍य : आप अभी तक इससे दूर क्‍यों हैं
फेसबुक की आलोचना करने वालों सावधान हो जाओ हर चीज में अच्‍छाई और बुराई का संगम होता है बुराई अपनाने पर गम होता है अच्‍छाई का संग सदा उत्‍तम होता है...


"चौथाखंभा" पर अरुण साथी ले आए हैं सैन्तालिस्वीं किस्त
एक छोटी सी लवस्टोरी-४७
बस जाकर पटना के हार्डिंग पार्क बस अड्डे पर रूकी और फिर वहां से एक रिक्सा लेकर उसे स्टेशन रोड में स्थित होटल में ले जाने को कहा। कई होटलों में गया पर किसी ने...

"तीसरा खंबा" पर दिनेशराय द्विवेदी पढ़ा रहें हैं कानूनका पाठ
अनेक हितबद्ध व्यक्तियों की और से एक व्यक्ति न्यायालय की अनुमति से वाद प्रस्तुत कर सकता है
पिछले सप्ताह हमने जाना था कि किस प्रकार दीवानी दावों में अनेक वादियों और प्रतिवादियों का संयोजनहो सकता है। अब प्रश्न यह सामने आता है कि जब एक से अधिक...


रश्मि जी का "रूप-अरूप"
अच्‍छा लगता है
माना तुम्‍हारी यादें सि‍र्फ दर्द देती है मगर भीतुमको याद करना अच्‍छा लगता है....सीने में होती है कसक तुम्‍हारे नाम के सा थमगर भी नाम पे तुम्‍हारे रोने में...


संध्या आर्य के "हमसफ़र शब्द" पर
जरूर एक कविता हो
जलती हुई होनी चाहिये एक कविता भूख की आग की तरह जिसमे जले एक एक अक्षर विषमता के खाक हो विषम धारणाये जरूर एक कविता हो अन्न से पैदा हो उर्जा और गरीबी लाठी टेक...


"मेरी दुनिया मेरे सपने" पर ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ बता रहें है कि
मुझे एक अदद अच्‍छे उम्‍मीदवार की तलाश है
जब से भ्रष्‍टाचार के विरूद्ध अन्‍ना हजारे का आंदोलन हुआ है, हमारी कालॉनी कमेटी के लोग जागरूक हो गये हैं। उन्‍होंने समस्‍त कॉलोनी वासियों को कसम खिलाई है कि वे अब भ्रष्‍ट और दोगले नेताओं को वोट नहीं...


"कविता-एक कोशिश" निशांत कह रहे हैं कि
मैं झील हूँमैं झील हूँ है
इंतज़ार मुझे लहरों का समुंदर तक पहुंचा दे न मुझे ए नदी ...

वन्दना गुप्ता जी को "ज़ख्म…जो फूलों ने दिये" पर बता रही हैं कि
परिपाटियों को बदलने के लिए छलनी का होना भी जरूरी होता है ना ............
आखिर कब तक सब पर दोषारोपण करूँतालाब की हर मछली तो ख़राब नहीं नाफिर भी हर पल हर जगह जब भी मौका मिलामैंने तुम्हारी पूरी जाति को कटघरे में खड़ा कियाजबकि ज�...


और सदा जी कह रही है कि
कुछ तो गलत है
इंसाफ़ होने में देर हो तो अंदेशा होता है अंधेर का ज़रूर कहीं न कहीं कुछ तो गलत है ... ''जागते रहो'' की आवाज़ लगाता सुरक्षा प्रहरी अनभिज्ञ रहता है इस बात से कि...


अगर आप कम्पुटर की प्रोग्रामिंग भाषा "सी प्लस" सीखना चाहते हैं तो योगेन्द्र पल के ब्लॉग "LBW Programming - now learning is fun"पर लगी है क्लास
First C plus plus Program Hello World in Detail ( Hindi / Urdu)
In my previous tutorial I show you how to write a basic cpp program to print "Hello World" on computer screen. In this video I am going to explain each and every line of that c++ program. Hope it will help you....



काजल भाई ने अपनी भी दुखती राग पर हाथ रख दिया है.
कार्टून:- दाखिलों के दिन फिर से आए रे


















अब आज्ञा दीजिये ... अगले हफ्ते फिर मुलाकात होगी ... एक और बुलेटिन के साथ ...

शनिवार, 28 जनवरी 2012

मेरी ब्लॉग यात्रा - ब्लॉग बुलेटिन

ब्लॉग बुलेटिन आपका ब्लॉग है.... ब्लॉग बुलेटिन टीम का आपसे वादा है कि वो आपके लिए कुछ ना कुछ 'नया' जरुर लाती रहेगी ... इसी वादे को निभाते हुए लीजिये पेश है हमारी नयी श्रृंखला "मेहमान रिपोर्टर" ... इस श्रृंखला के अंतर्गत यह सोचा गया था कि हर हफ्ते एक दिन आप में से ही किसी एक को मौका दिया जायेगा बुलेटिन लगाने का ... पर आप सब के सहयोग को देखते हुए अब से हफ्ते में २ दिन हमारे मेहमान रिपोर्टर अपनी पोस्ट लगाया करेंगे ... तो अपनी अपनी तैयारी कर लीजिये ... हो सकता है ... अगला नंबर आपका ही हो ! 


 "मेहमान रिपोर्टर" के रूप में आज बारी है योगेन्द्र पाल जी की...


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नमस्कार साथियों,

योगेन्द्र पाल

मैं योगेन्द्र पाल, आप सभी मुझे मेरे ब्लॉग "योगेन्द्र पाल की सूचना प्रौद्यौगिकी डायरी" से जानते होंगे, हालांकि पिछले कुछ माह से ब्लोगिंग से दूर हूँ और पूरा ध्यान देश में शिक्षा बढ़ाने बाली गतिविधियों पर लगा दिया है, मेरे प्रयासों को आप Learn By Watch तथा LBW Programming पर देख सकते हैं|

ब्लॉग बुलेटिन 'शिवम मिश्रा' जी के द्वारा शुरू किया गया ब्लॉग है, जिसमे ब्लॉग जगत में होने बाली गतिविधियों की जानकारी दी जायेगी| हिन्दी ब्लोगिंग अभी अपने बचपन में है और जिस तरह से सूचना प्रौद्यौगिकी में विकास होता जा रहा है, संचार के माध्यमों में भी बदलाब होता जा रहा है|  पहले ब्लोगिंग प्रारंभ हुई, फिर ऑरकुट आया, धीरे धीरे फेसबुक, ट्विटर ने ब्लोगिंग को लगभग दबा सा दिया, ब्लॉग बुलेटिन जैसे कुछ प्रयासों की तुरंत आवश्यकता है इसलिए हमें शिवम मिश्रा जी के इस कदम का स्वागत करना चाहिए तथा इसमें शामिल होना चाहिए|

शिक्षा के प्रति मेरी रूचि प्रारंभ से ही रही है और ब्लोगिंग की तरफ भी इसी वजह से आकर्षित हुआ था| "साइंस ब्लोगर्स एसोसिएशन" देख कर मुझे शिक्षा के क्षेत्र में ब्लोगिंग का योगदान पूरी तरह से समझ में आ गया और मैंने भी ब्लोगिंग का प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में करने का निर्णय लिया| साइंस ब्लोगर्स एसोसिएशन को  धन्यवाद मैं अपनी इस पोस्ट में दे चुका हूँ| सूचना प्रौद्यौगिकी में जब भी कोई नया आविष्कार होता है तो मेरा प्रयास सदैव यह खोजने का ही रहता है कि कैसे इसका प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में किया जा सकता है, मेरे ब्लॉग, वीडियो ट्यूटोरियल इत्यादि इसके उदाहरण हैं|

शिक्षा के प्रति मेरी इस रूचि को देखते हुए ही आई.आई.टी. में मेरे इंटरव्यू के बाद मुझे "शिक्षा प्रौद्यौगिकी" (Educational Technology) विभाग में पी.एच.डी. में एडमिशन मिला, मेरे रोचक इंटरव्यू के बारे में इन दो पोस्टों में विस्तार से जानकारी दे चुका हूँ, "आई.आई.टी. में इंटरव्यू" तथा "मैं और मेरी अंग्रेजी" आपने यदि नहीं पढ़ा है तो पढ़ लीजिए, यकीन मानिए बहुत मजा आएगा|

शिक्षा इंसानों को अन्य जीवों के मुकाबले ताकतवर बनाती है पर आज के समय में जब कि प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ गयी है, माता-पिता अपने बच्चों पर परीक्षा में बेहतर करने के लिए जरूरत से ज्यादा दबाब डालते हैं| बड़े शहरों में तो यह दबाब सिर्फ पढाई तक ही सीमित नहीं रहता कुछ बच्चे तो स्कूल के बाद ट्यूशन, हॉबी क्लास और इंग्लिश स्पीकिंग क्लास भी जाते हैं| माता-पिता को ऐसा लगता है कि बच्चा हर क्षेत्र में अव्वल आये और उनका नाम ऊंचा करे| कुछ माता-पिता तो बच्चों को रुपयों के बारे में ताना भी मारते हैं जो किसी भी तरह से सही नहीं है| माता-पिता को यह तय करना चाहिए कि उनको एक जिम्मेदार बच्चा चाहिए या सुपर हीरो|

माता-पिता तथा समाज के इस दबाब के चलते बच्चे काफी तनाव में रहते हैं और अपने बहुमूल्य जीवन का अंत कर लेते हैं| जो शिक्षा हमें ताकतवर बनाने के लिए प्रयोग में लाई जानी चाहिए वही शिक्षा हमारी कल की ताकत को बचपन में ही छीन लेती है| यह परीक्षा का समय है और बच्चों के द्वारा आत्महत्याएँ इन्ही दिनों में बढ़ जातीं हैं, पिछले बर्ष इन विद्यार्थियों को ध्यान में रख कर कुछ लेख लिखे थे जो इस समय भी उनके लिए फायदेमंद रहेंगे| आप इन लेखों को यहाँ पढ़ सकते हैं-

  1. विद्यार्थियों के लिए: आपकी खुशकिस्मत, सोच और आत्महत्या
  2. विद्यार्थियों के लिए (२): परीक्षा में पेनों के रंग का प्रयोग
  3. विद्यार्थियों के लिए (३) : परीक्षा में समय प्रबंधन

ब्लोगिंग ने एक बहुत ही बेहतरीन प्लेटफॉर्म दिया है हमें, यह एक ताकत है जिसका सदुपयोग हमें तथा हमारे समाज को ताकतवर बनाएगा तथा दुरुपयोग हमें खोखला करेगा| ब्लोगिंग ने जहाँ बहुत से लेखकों, कवियों को एक बहुत ही बेहतरीन प्लेटफोर्म प्रदान किया है ठीक वैसे ही असामाजिक तत्वों को भी समाज में और प्रदूषण फैलाने के लिए एक प्लेटफोर्म प्रदान किया| 

आप चाहे जो भी मुफ्त ब्लोगिंग प्लेटफोर्म देख लें, ब्लोगर, नवभारत टाइम्स अथवा वर्डप्रेस सभी जगह आपको एक दूसरे के धर्म को कोसते हुए लेख मिल जायेंगे तथा कमाल की बात यह है कि ऐसे लेख सबसे चर्चित लेखों में रहते हैं, कोई उनको गाली देता हुआ होगा और कोई उनके पक्ष में बोलता हुआ पर लोग ऐसे लेखों को पढ़ कर अपनी भावनाओ पर काबू नहीं रख पाते और कमेन्ट कर ही देते हैं, इससे, घटिया मानसिकता वाले लोगों को और ज्यादा हौसला मिलता है और वो ऐसे लेख लिखने के लिए और ज्यादा प्रोत्साहित होते हैं| यह सब इसलिए लिख रहा हूँ क्यूंकि आपसे गुजारिश करना चाहता हूँ कि अपना कीमती वक्त ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करने में व्यर्थ ना करें| 

यदि आप किसी कवि की कविता, लेखक की कहानी अथवा कुछ अच्छे प्रयास करने वाले व्यक्तियों के लेख पर कुछ कमेन्ट कर देंगे तो वो और ज्यादा प्रोत्साहित होंगे और कुछ और सृजनात्मक कार्य करने के लिए प्रेरित होंगे| एक पाठक होने के नाते यह आप पर निर्भर करता है कि आप सृजन को बढ़ावा देते हैं अथवा विकृति को, अपनी जिम्मेदारी समझिए तथा अपने कमेन्ट को सही जगह पर लिखें|

एक हिन्दी यू-ट्यूबर होने के नाते एक बात दिल को बहुत चुभती है, मैं सिर्फ हिन्दी में वीडियो बनाता हूँ| ब्लोगिंग से सम्बंधित भी कुछ वीडियो बनाएँ हैं जाहिर है क्यूंकि यह वीडियो इंटरनेट पर सभी के लिए उपलब्ध होते हैं तो मेरे वीडियो को हर वो व्यक्ति dislike करता है जिसको हिन्दी समझ में नहीं आती पर हिन्दी जानने वाले उसको देखते हैं, सीखते हैं पर like नहीं करते इससे मेरे वीडियो सर्च में ऊपर नहीं आ पाते और कम लोगों को उनसे लाभ मिल पाता है| भारत से बाहर के लोग हमसे ज्यादा ऑनलाइन सक्रिय होते हैं, इंग्लिश के जो भी यू-ट्यूब चैनल शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं वहाँ लोग भरपूर इनका फायदा उठाते हैं, वीडियो रिलीज होने के 24 घंटे के भीतर ही उसको औसतन 1000 से ज्यादा बार देख लिया जाता है क्यूंकि जिसको भी वह वीडियो काम का लगता है तुरंत उसको फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन, डिग इत्यादि पर शेयर करता है| परन्तु हमारे यहाँ के छात्र सूचना प्रौद्यौगिकी का कुछ अलग ही तरह से प्रयोग करते हैं, जो दुखद है :(

ब्लोगिंग में कुछ ब्लॉग शिक्षा के स्तर को बढ़ावा देने के लिए बहुत बेहतरीन कार्य कर रहे हैं, मैं जिन ब्लॉग को फोलो करता हूँ उनकी लिस्ट यहाँ दे रहा हूँ हो सकता है आपको इससे फायदा हो :)
  1. छीटें और बौछारें
  2. हिन्दी २ टेक
  3. तीसरा खम्बा
  4. भास्कर टाइम्स
और भी बहुत हैं, सभी को यहाँ लिखना संभव नहीं है, इस एक लिंक पर आपको वो सभी ब्लॉग मिल जायेंगे जिनको मैं फोलो करता हूँ :)

इसके अलावा कुछ हिन्दी यू-ट्यूब चैनल भी बेहतरीन कार्य कर रहे हैं, जिनके लिंक देना यहाँ उचित समझता हूँ-

  1. बहुत बेहतरीन कार्य किया जा रहा है दर्शन लाल बाबेजा जी के द्वारा देखिये उनका यू-ट्यूब चैनल इसमें आपके बच्चों के लिए विज्ञान से सम्बंधित रोचक जानकारी है|
  2. अंकुर गुप्ता जी से मैंने वर्डप्रेस के तथा पी.एच.पी. के वीडियो बनाने के लिए Learn By Watch की ओर से संपर्क किया था, उन्होंने भी कुछ तकनीकी वीडियो बनाए हैं- देखिये उनका यू-ट्यूब चैनल और यदि आप इनसे और भी वीडियो चाहते हैं तो इनका उत्साहवर्धन करना मत भूलिएगा :)
  3. अंत में देखिये मेरा यू-ट्यूब चैनल , मुझे अध्यापकों की तलाश है यदि शिक्षा आपका पैशन है तो मुझे जरूर संपर्क करें


ब्लोगरों में एक गुण बहुतायत में पाया जाता है वह है बिना किसी लालच के कार्य करना, इसलिए यदि एक ही दिशा में कार्य करने वाले कुछ ब्लोगर मिल जाएँ तो समाज में बदलाब ला सकते हैं| मैं शिक्षा के क्षेत्र में वीडियो बनाता हूँ क्यूंकि मेरा मानना है कि वीडियो की सहायता से वहाँ भी सिखाया जा सकता है जहाँ पर शिक्षकों का अभाव है| यदि आप कुछ भी सिखाने के लिए वीडियो बनाना चाहते हैं तथा इस क्षेत्र में योगदान देना चाहते हैं तो मुझे बताएं yogendra.pal3@gmail.com पर अथवा यहाँ कमेन्ट में लिखें, यकीन मानिए हम और आप मिल कर इस समाज में सकारात्मक बदलाब ला सकते हैं|

आज बसंत पंचमी के इस शुभ दिन आईये खुद से एक वादा करें कि समाज में शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए हम सदैव तत्पर रहेंगे !

मेरी और ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को बसंत पंचमी की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं ! 


सादर आपका 

शुक्रवार, 27 जनवरी 2012

सच लगे तो हाँ कहना , झूठ लगे तो ना कहना - ब्लॉग बुलेटिन

जैसा कि आप सब से हमारा वादा है ... हम आप के लिए कुछ न कुछ नया लाते रहेंगे ... उसी वादे को निभाते हुए हम एक नयी श्रृंखला शुरू कर रहे है जिस के अंतर्गत हर बार किसी एक ब्लॉग के बारे में आपको बताया जायेगा ... जिसे हम कहते है ... एकल ब्लॉग चर्चा ... उस ब्लॉग की शुरुआत से ले कर अब तक की पोस्टो के आधार पर आपसे उस ब्लॉग और उस ब्लॉगर का परिचय हम अपने ही अंदाज़ में करवाएँगे !
आशा है आपको यह प्रयास पसंद आएगा !
आज मिलिए ...  सलिल वर्मा जी से ... 

कई ब्लौगों पर देखा था एक नाम - चला बिहारी ब्लौगर बनने . मुझसे पहचान नहीं थी , न मैं कभी उनके दरवाज़े गई , न उन्होंने मेरा घर देखा . लड़ाई नहीं , कोई अनबन नहीं , बस ' जतरा ' नहीं बना तो एक दूसरे के ब्लॉग की यात्रा नहीं हुई . पहचान हुई इसी बुलेटिन पर और जब पहचान हुई तो पलक झपकते मैं दीदी हो गई और नाम भी जान लिया ' सलिल वर्मा ' - एक तो अपना बिहार , उस पर से पटना , पहुंची इनके ब्लॉग पर और मन खुश ! अरे बिहारी भाई ब्लौगर क्या बनेंगे , अपनी भाषा के साथ अटूट रिश्ता कायम रखते हुए इन्होंने बताया - ' ये ब्लौगर बिहारी है , यानि बहुत दम है इस ब्लॉग में ...' . मैं तो मान ही गई ... आपमें से कितनों ने माना होगा और जो रह गए हैं - उनसे कहना है कि ' आइये आपको हम अपने बिहार की सैर कराएँ . अपनापन , जैसे को तैसा , वर्चस्व , ... सब मिलेगा हमारे बिहार में ...'
21 अप्रैल 2010 से सलिल जी यानि बिहारी बाबू ने ब्लॉग http://chalaabihari.blogspot.com/ लिखना शुरू किया दोस्तों के कहने पर , सुनिए इनकी ही कलम से -
" हमरा दु चार ठो दोस्त सब मिलकर, हमको फँसा दिया. बोला तुमरा बात सब बुड़बक जैसा लगता है, लेकिन कभी कभी बहुत निमन बात भी तुम कर जाते हो. काहे नहीं ब्लोग लिखते हो तुम. हम बोले, “पगला गए हो का! ई सब बड़ा लोग का काम है. देखते नहीं हो, आजकल बच्चन भैया कोनो बात मुँह से नहीं बोलते हैं. सब बतवे ब्लोग में लिखते हैं. साहरुख खान, आमिर खान जैसा इस्टार लोग ब्लोग लिखता है. ब्लोग का इस्पेलिंग देखो, उसमें भी B log है, माने बड़ा लोग. हम ठहरे देहाती भुच्च. "
ब्लॉग क्या बना शुरू हो गए बिहारी बाबू खरी खरी बातों की धार में कलम की पतवार लेकर - सच्ची , इसे नहीं पढ़ा तो एक सच से आप महरूम रह जायेंगे ...
ब्लॉग पढ़ते हुए बार बार कहने का दिल करता है - ' मान गए आपकी पारखी नज़र और बिहारी सुपर को '
सच पूछिए तो मेरी समझ से बाहर है कि किसे भूलूँ , किसे याद रखूं .... अब तक अपने बच्चों को , उनके मित्रों को मैं इस ब्लॉग से बहुत कुछ सुना चुकी हूँ - हास्य , व्यंग्य , सीख ... सबकुछ है इनकी लेखनी में ! लिंक पर तो आप जायेंगे ही ,जाने से पहले इस आलेख को, यूँ कहें संस्मरण को यहीं पढ़ लीजिये वरना मुझे लगेगा कि मैंने अपने बिहारी भाई के साथ न्याय नहीं किया - माना कि आप पढ़ चुके होंगे , परन्तु एक बार और ताजा होने में क्या जाता है ? तो लीजिये पढ़िए -

गुल्लक


अपने सोसाईटी में कोनो बच्चा का जनमदिन था, तो उसके लिये गिफ्ट खरीदने बाजार गए अपनी बेटी के साथ. दोकान में एतना खिलौना देखकर माथा घूम जाता है. एगो पसंद आया तो बेटी बोली, “डैडी! ये तो पाँच साल से ज़्यादा उम्र के बच्चों के लिये है. सक्षम तो अभी तीन साल का है.” हमको समझे में नहीं आया ई बात कि खिलौना खिलौना होता है अऊर बच्चा बच्चा होता है, अब तीन साल का अऊर पाँच साल का बच्चा में हमको तो कोनो फरक नहीं बुझाता है. ई भी जाने दीजिये, खिलौना के डिब्बा के ऊपर लिखा हुआ है “ख़तरा… चोकिंग हाज़ार्ड्स!” भाई जब एतने खतरा है तो बेच काहे रहे हो. खिलौना न हो गया, दवाई हो गया कि नोटिस लगा दिये हैं “बच्चों के पहुँच से दूर रखिये.” अब घर में अगर अलग अलग उमर का बच्चा हो, तो तीन साल वाला बच्चा को पाँच साल वाला के खिलौना से दूर रखना होगा! कमाल है!!
हम लोग का टाईम अच्छा था. खिलौना, खिलौना होता था. खिलौना में उमर का कोनो भेद नहीं होता था. बस एक्के भेद था कि लड़का अऊर लड़की का खिलौना अलग अलग होता था. लड़की लोग मट्टी का बर्तन चौका के खिलौना से खेलती थी. चाहे गुड़िया गुड्डा से, जो माँ, फुआ, मौसी, चाची पुराना कपड़ा से बना देती थीं. उधर लड़का लोग के पास गंगा किनारे लगने वाला सावनी मेला से लाया हुआ लकड़ी का गाड़ी, ट्रक, मट्टी का बना हुआ सीटी, लट्टू , चरखी. सबसे अच्छा बात ई था कि खेलता सब लोग मिलकर था. अऊर कभी चोकिंग हैज़ार्ड्स का चेतावनी लिखा हुआ नहीं देखे.
ई सब खिलौना के बीच में एगो अऊर चीज था. जिसको खिलौना नहीं कह सकते हैं, लेकिन बचपन से अलग भी नहीं कर सकते हैं. लड़का लड़की का भेद के बिना ई दूनो में पाया जाता था. बस ई समझिये कि होस सम्भालने के साथ ई खिलौना बच्चा लोग से जुट जाता था. पकाया हुआ मट्टी से बना , एगो अण्डाकार खोखला बर्तन जिसमें बस एगो छोटा सा पतला छेद बना होता था. हई देखिये, एक्साईटमेण्ट में हम ई बताना भी भुला गये कि उसको गुल्लक बोलते हैं.
करीब करीब हर बच्चा के पास गुल्लक होता था. कमाल का चीज होता था ई गुल्लक भी. इसमें बना हुआ छेद से खुदरा पईसा इसमें डाल दिया जाता था, जो आसानी से निकलता नहीं था. जब भर जाता, तो इसको फोड़कर जमा पईसा निकाल लिया जाता था. बचपन से फिजूलखर्ची रोकने, छोटा छोटा बचत करने, जरूरत के समय उस पईसा से माँ बाप का मदद करना अऊर ई जमा पूँजी से कोई बहुत जरूरी काम करने, छोटे बचत से बड़ा सपना पूरा करने, एही गुल्लक के माध्यम से सीख जाता था. अऊर ओही बचत का कमाल है कि आज भी हम अपना याद के गुल्लक से ई सब संसमरन निकालकर आपको सुना पा रहे हैं.
इस्कूल में पॉकेट खर्च के नाम पर तो हमलोग को पाँच पईसा से सुरू होकर आठ आना तक मिलता था. बीच में दस, बीस,चार आना भी आता था. अब इस्कूल में बेकार का चूरन, फुचका, चाट खाने से अच्छा एही था कि ऊ पईसा गुल्लक में जमा कर दें. पिता जी के पॉकेट में जब रेजगारी बजने लगता, तो ऊ निकालकर हम लोग को दे देते थे, गुल्लक में डालने के लिये. त एही सब रास्ता से पईसा चलकर गुल्लक के अंदर पहुँचता था. ऊ जमा पूँजी में केतना इजाफा हो गया, इसका पता उसका आवाज़ से लगता था. अधजल गगरी के तरह, कम पूँजी वाला गुल्लक जादा आवाज करता था अऊर भरा हुआ रहता था चुपचाप, सांत. मगर प्रकीर्ती का नियम देखिये, फल से लदा हुआ पेड़ पर जईसे सबसे जादा पत्थर फेंका जाता है, ओईसहिं भरा हुआ सांत गुल्लक सबसे पहिले कुरबान होता था.
अब गुल्लक के जगह पिग्गी बैंक आ गया है. उसमें सिक्का के जगह नोट डाला जाता है. सिक्का सब भी तो खतम हो गया धीरे धीरे. पाँच, दस, बीस पईसा तो इतिहास का बात हो गया. बैंको में चेक काटते समय पईसा नदारद, फोन का बिल, अखबार का बिल, रासन का बिल, तरकारी वाला का बिल सब में से पईसा गायब. लोग आजकल नोट कमाने के फेर में लगा हुआ है, पईसा जमा करना बहुत टाईम टेकिंग जॉब है. इसीलिये उनका याद का गुल्लक में भी कोई कीमती सिक्का नहीं मिलता है.
दू चार महीना में चवन्नी भी गायब हो जाएगा. अब ऊ चवन्न्नी के साथ जुड़ा हुआ चवन्नी छाप आसिक, या महबूबा का चवनिया मुस्कान कहाँ जाएगा. बचपन से सुन रहे हैं किसोर दा का गाना “पाँच रुपईया बारा आना”.. इसका मतलब किसको समझा पाईयेगा. अऊर गुरु देव गुलज़ार साहब का नज़्म तो साहित्त से इतिहास हो जाएगाः
एक दफ़ा वो याद है तुमको
बिन बत्ती जब साइकिल का चालान हुआ था
हमने कैसे भूखे प्यासे बेचारों सी ऐक्टिंग की थी
हवलदार ने उल्टा एक अठन्नी देकर भेज दिया था.
एक चवन्नी मेरी थी, वो भिजवा दो!
बेटी अऊर बेटा का परीच्छा हो, चाहे किसी का तबियत खराब हो, हमरी माता जी भगवान से बतिया रही हैं कि अच्छा नम्बर से पास हो गया या तबियत ठीक हो गया तो सवा रुपया का परसाद चढ़ाएँगे. सोचते हैं माता जी को बता दें कि अब भगवान का फीस बढ़ा दीजिये अऊर अपना प्रार्थना में सुधार कर लीजिये!
2010 से धमाल मचाते मचाते सलिल जी 2012 में प्रवेश कर चुके हैं , यानि तीन वर्ष हमारे साथ आई गई को साझा कर चुके हैं . लीजिये 2012 का लिंक http://chalaabihari.blogspot.com/2012/01/blog-post_10.html कन्फ्यूज़न ने हमको एहसास दिया कि हम एक अच्छे ब्लॉग को मिस किये ..... आप न मिस करें तो हम हाज़िर हो गए इस ब्लॉग के साथ ... तो अब - आइये मेहरबां , शौक से पढ़िए इस ब्लॉग को और बताइए खुले मन से कि सच बोले न हम ....
सच लगे तो हाँ कहना , झूठ लगे तो ना कहना , हाँ कि ना ???


रश्मि प्रभा 

गुरुवार, 26 जनवरी 2012

गणतंत्र दिवस विशेष - जय हिंद ... जय हिंद की सेना - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !
आज २६ जनवरी है यानी गणतंत्र दिवस : आज ही के दिन १९५० में भारत का संविधान लागू किया गया था !

आप तो जानते ही है कि हर २६ जनवरी को दिल्ली के राजपथ पर परेड निकलती है ...
आज एक परेड ब्लॉग बुलेटिन के इस मंच पर निकलेगी ... जहाँ आपको परेड के साथ साथ कुछ पोस्टो के  लिंकों का भी आनद उठाने का मौका मिलेगा  !

तो चले परेड का मज़ा लेने ...
२६ जनवरी १९५० - २६ जनवरी २०१२

सब से पहले अमर शहीदों को नमन

राष्ट्रपति का काफिला आता हुआ

आ गयी महामहिम

ध्वजारोहण समारोह

अरे यह हेलीकाप्टर की आवाज़ कहाँ से आई ...

और यह रहा MI - 17 हेलीकाप्टर तिरंगे के साथ 
विश्व विजयी तिरंगा 

हमारे परम वीर

परेड सलामी देगी ... सलामी शास्त्र


ताक़त वतन की हम से है ...

कदम कदम बडाये जा ...
आकाश मिसाइल 

महामहिम को सलामी देते टैंक

अपनी अग्नि 

हम है सीमा सुरक्षा बल

राजपथ का मनोरम नज़ारा

इंडिया गेट से राजपथ का नज़ारा
हर हर महादेव का युधघोष

सीमा सुरक्षा बल का ऊँठ दस्ता

हमारे जांबाज़ फौजी 

ओपरेशन विजय

महाराष्ट्र की झांकी

मणिपुर की झांकी

जम्मू व कश्मीर की झांकी

गुजरात की झांकी


कर्नाटक की झांकी

नौसेना की झांकी

दूर संचार विभाग की झांकी

आमार सोनार बंगला ... आमी तुमाये भालोबासी
महामहिम परेड का आनंद लेती हुयी

दिल्ली की झांकी

बिहार की झांकी

उत्तराखंड की झांकी

राजपथ का नज़ारा
बहादुर बच्चे 

स्कूली बच्चो की रंगारंग प्रस्तुति 

हमारे डेअर डेविल्स

सूर्य किरण 

वायु सेना का फ़्लाई पास्ट

लो जी आ गए राष्ट्रपति अंगरक्षक

राष्ट्रपति मंच से उतरते हुए

परेड की सलामी तो ले ली अब वापस चला जाए

परेड ख़त्म अब मस्ती टाइम
गणतन्त्र दिवस की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
( सभी चित्रों के लिए गूगल का आभार )
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आइये अब चलते है आज की ब्लॉग बुलेटिन की ओर ... आज सिर्फ हेडलाइन्स ...





















































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ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को गणतन्त्र दिवस की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

सादर आपका 


जय हिंद !!!