लिखावट में मेरी गरचे, निशाने जुनूँ नज़र आए.
तो मैं समझू फ़क़त, मेहनत मेरी कामयाब हो गयी.
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सभी मित्रों को शाहनवाज़ सिद्दीकी का 'प्रेम रस' में डूबा हुआ आदाब. यह मेरी पहली ब्लॉग्स चर्चा है, कुछ बेहतरीन ब्लॉग-पोस्ट से आप सभी को रु-बरु कराने की कोशिश करूँगा. मेरी इस पहली बुलेटिन की थीम स्वास्थ्य है, इसलिए सबसे पहले बात करते हैं स्वास्थ्य से जुडी कुछ जानकारियों की.
अगर आपका वज़न अचानक तेज़ी से घट या बढ़ रहा है तो यह थायरॉइड डिस्ऑर्डर का लक्षण हो सकता है, थायरॉइड डिस्ऑर्डर के प्रमुख लक्षणों में वज़न के घटने, बढ़ने के आलावा काम में मन ना लगना, उदास रहना, हड्डियों अथवा जोड़ों में दर्द प्रमुख हैं.
क्या होता है थायरॉइड?
हमारी बॉडी में बहुत-से एंडोक्राइन ग्लैंड्स (अंत: स्रावी ग्रंथियां) होते हैं, जिनका काम हॉर्मोन्स बनाना होता है। इनमें से थायरॉइड भी एक है, जो कि गर्दन के बीच वाले हिस्से में होता है। थायरॉइड से दो तरह के हॉर्मोन्स निकलते हैं : T3 और T4, जो हमारी बॉडी के मेटाबॉलिज्म को रेग्युलेट करते हैं। T3 10 से 30 माइक्रोग्राम और T4 60 से 90 माइक्रोग्राम निकलता रहता है। एक तंदुरुस्त आदमी के शरीर में थायरॉइड इन दोनों हॉर्मोन्स को सही मात्रा में बनाता है, जबकि गड़बड़ी होने पर ये बढ़ या घट जाते हैं। थॉयराइड डिस्ऑर्डर के कारण महिलाओं में बांझपन और पीरियड्स के अनियमित होने की प्रॉब्लम हो जाती है। शरीर में इन दोनों के लेवल को TSH हॉर्मोन कंट्रोल करता है। THS (Thyroid Stimulating Harmone) पिट्यूटरी ग्लैंड से निकलने वाला एक हॉर्मोन है।
क्या है थायरॉइड डिस्ऑर्डर?
थायरॉइड ग्लैंड से निकलने वाले T3 और T4 हॉर्मोन्स का कम या ज्यादा होना थायरॉइड डिस्ऑर्डर कहलाता है।
कैसे होता है
- ज्यादातर मामलों में यह खानदानी होता है।
- खाने में आयोडीन के कम या ज्यादा होने से।
- ज्यादा चिंता करने, अव्यवस्थित खानपान और देर रात तक जागने से।
- कुछ दवाइयों से, जैसे Amiodarone जो कि दिल के मरीजों को दी जाती है और Lithium जो कि मूड डिस्ऑर्डर यानी मानसिक रूप से परेशान मरीजों को दी जाती है। इन दवाइयों को लंबे समय तक लेने से हॉर्मोन्स का लेवल कम-ज्यादा हो जाता है, जिससे थायरॉइड डिस्ऑर्डर हो जाता है।
कैसे पता चलता है
किसी को थायरॉइड डिस्ऑर्डर है या नहीं, इसके लिए यह चेक किया जाता है कि बॉडी में T3, T4 और TSH लेवल नॉर्मल है या नहीं। पहले लक्षणों और फिर जांच (थायरॉइड प्रोफाइल टेस्ट) से इसका पता चलता है।
कितने तरह का होता है :
मोटे तौर पर थायरॉइड डिस्ऑर्डर को दो भागों में बांटा जाता है :
1. हाइपोथायरॉइडिज्म: थायरॉइड में जब T3 और T4 हॉर्मोन लेवल कम हो जाए तो उसे हाइपोथायरॉइडिज्म कहते है। इसमें TSH बढ़ जाता है।
2. हाइपरथायरॉइडिज्म: थायरॉइड में जब T3 और T4 हॉर्मोन लेवल अगर बढ़ जाए तो हाइपरथायरॉइडिज्म कहते है। इसमें TSH घट जाता है।
थायरॉइड डिस्ऑर्डर में पहले TSH चेक किया जाता है और अगर उसमें कोई घट-बढ़ पाई जाती है तो फिर T3 और T4 टेस्ट किया जाता है। पहली बार थायरॉइड टेस्ट कराने के बाद दूसरी बार टेस्ट तीन से छह महीने बाद करा सकते हैं। आजकल हॉमोर्न लेवल घटने यानी हाइपोथायरॉयडिज्म के मामले ज्यादा देखे जा रहे हैं। इसमें TSH बढ़ जाता है।
हाइपोथायरॉयडिज्म के कारण
- आयोडीन 131 ट्रीटमेंट से। यह ट्रीटमेंट हाइपरथायरॉइडिज्म के मरीजों को दिया जाता है, जो थायरॉइड के सेल्स को मारता है। इस ट्रीटमेंट में डोज के ज्यादा या कम होने से।
- थायरॉइड की सर्जरी से।
- गले की रेडिएशन थेरेपी से, जो कि ब्लड और गले का कैंसर होने पर दी जाती है।
- दवाइयों जैसे Lithium मानसिक रूप से परेशान मरीजों को दी जाती है, Anti-Thyroid Drugs थायरॉइड डिस्ऑर्डर को नॉर्मल करने के लिए, Interferon-Alfa हेपेटाइट्स और कैंसर के मरीजों को दी जाती है और Amiodarone जो कि दिल के मरीजों को दी जाती है, आदि से। ये दवाएं लंबे समय तक लेने से ही दिक्कत होती है।
- अगर पैदाइशी रूप से थायरॉइड ग्लैंड में हॉर्मोन बनने में गड़बड़ी हो या फिर थायरॉइड ग्लैंड हो ही न।
- अगर कोई पहले से ही थायरॉइड का ट्रीटमेंट ले रहा हो और उसे अचानक से बंद कर दे।
- TSH की कमी से।
- अगर किसी को हाइपोथैलमिक बीमारी हो। हाइपोथैलमस ब्रेन का ही एक पार्ट होता है, जिसमें किसी भी तरह की बीमारी जैसे ट्यूमर, रेडिएशन आदि होने से हाइपोथैलमिक बीमारी होती है, जिससे हाइपोथायरॉइडिज्म हो जाता है।
हाइपोथायरॉइडिज्म के लक्षण
बड़ों में
- भूख कम लगती है, पर वजन बढ़ता जाता है।
- दिल की धड़कन कम हो जाती है।
- गले के आसपास सूजन हो जाती है।
- हर काम में आलस जैसा लगने लगता है, थकावट जल्दी हो जाती है और कमजोरी आ जाती है।
- डिप्रेशन होने लगता है।
- पसीना कम आने लगता है।
- स्किन ड्राई हो जाती है।
- ठंड ज्यादा लगना (गर्मी में भी ठंड लगती है)
- बाल ज्यादा झड़ने लगते हैं।
- याददाश्त में कमी आ जाती है।
- कब्ज
- महिलाओं के पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं। कुछ मामलों में पहले पीरियड्स कम होते हैं, फिर धीरे-धीरे बंद हो जाते हैं।
- कुछ लोगों में सुनने की शक्ति भी कम हो जाती है।
इलाज
पहले लीवोथॉयरोक्सिन (ये हॉर्मोन्स होते हैं) दिया जाता है, जिसकी डोज 50 माइक्रोग्राम से शुरू की जाती है और फिर TSH लेवल और जरूरत के मुताबिक इसकी डोज बढ़ाई जाती है। इसके साथ अगर मरीज की कोई ऐसी दवा चल रही हो, जोकि थायरॉइड के लेवल को घटा रही हो जैसे : Lithium, Amiodarone तो ऐसी दवाओं को रोक दिया जाता है क्योंकि ये दवाइयां हाइपोथायरॉइडिज्म करती हैं। इलाज का असर हो रहा है या नहीं, इसे दो तरह से आंक सकते हैं : पहला : ऐसे सुधार, जिन्हें मरीज खुद देख सकता है जैसे सूजन में कमी आना और दूसरा : जिसमें हॉर्मोन्स में सुधार आता है और जिनकी पहचान सिर्फ डॉक्टर ही कर सकता है।
बच्चों में
हाइपोथायरॉइडिज्म से पीड़ित पैदा नॉर्मल होता है लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाता है, उसमें लक्षण दिखने लगते हैं। आमतौर पर यह आयोडीन की कमी से होता है।
- बच्चा गूंगा-बहरा पैदा होता है।
- बौना होता है, यानी उसकी उम्र के हिसाब से लंबाई कम होती है।
- लंबे समय तक पीलिया रहने लगता है।
- सामान्य बच्चों की तुलना में उसकी जीभ बड़ी होती है।
- हड्डियों का विकास धीमा होता है।
- नाभि फूलती जाती है।
- आई क्यू सामान्य बच्चों की तुलना में कम होता है।
जब कोई महिला प्रेग्नेंट होती है तो बच्चे को थायरॉइड न हो, इसके लिए मां को आयोडीन नमक वाला खाना दिया जाता है। लेकिन अगर पैदा होने के बाद बच्चे को थायरॉइड डिस्ऑर्डर हो जाता है तो उसे Iodized Oil दिया जाता है। इसमें एक एमएल में 480 मिली ग्राम आयोडीन होता है। आजकल थॉयरोक्सिन यानी Eltroxin टैब्लेट भी दी जाती हैं। 5 साल से कम के बच्चों को 8 से 12 माइक्रोग्राम से शुरू करते हैं और दिन में एक बार देते हैं। यह तब तक दी जाती है, जब तक बच्चा नॉर्मल न हो जाए।
हाइपरथायरॉइडिज्म
हाइपरथायरॉइडिज्म : इसकी जांच में T3, T4 बढ़ा हुआ और THS घटा हुआ रहेगा। साथ ही इसमें Thyroid Stimulating Immunoglobulin मिलता है। यह एक तरह का प्रोटीन होता है, जोकि थायरॉइड ग्लैंड में जाकर उसे ज्यादा निकालता है। इसी की वजह से यह बीमारी होती है।
कारण
- ग्रेव्स बीमारी से। यह आमतौर पर 20 से 50 साल तक की उम्र के लोगों में पाई जाती है और ऑटोइम्यून डिस्ऑर्डर से होती है। इसमें सारे लक्षण हाइपरथायरॉयडिज्म के होते हैं, जिसके ट्रीटमेंट में एंटी-थायरॉइड ड्रग सर्जरी की जाती है।
- ज्यादा मात्रा में आयोडीन खाने से।
- थायरॉइड हॉर्मोन ज्यादा लेने से।
- टॉक्सिक मल्टिनॉड्युलर ग्वाइटर और टॉक्सिक एडिनोमा हो जाने से। ग्लैंड में बहुत-सी गांठें होती हैं, जिनमें बहुत तेजी से हॉर्मोन्स बनने लगते हैं।
बड़ों में लक्षण
- वजन कम हो जाता है।
- दिल की धड़कन तेज होने लगती है।
- हर काम में जल्दी रहती है।
- चिड़चिड़ापन रहने लगता है।
- पसीना ज्यादा आने लगता है।
- स्किन में नमी ज्यादा रहती है।
- दिमागी तौर पर स्मॉर्टनेस और इंटेलिजेंस बढ़ जाती है।
थायरॉइड की सर्जरी के अलावा आयोडीन 131 और एंटी-थायरॉइड ड्रग्स जैसे Carbimazole, Methimazole और Propranolol आदि दी जाती हैं।
बच्चों में लक्षण
बच्चों में हाइपरथायरॉइडिज्म के मामले लगभग 5 पर्सेंट ही होते हैं, यानी उनमें हाइपरथायरॉइडिज्म के बजाय आमतौर पर हाइपोथायरॉइडिज्म ज्यादा होता है।
- गॉइटर (घेंघा) यानी गर्दन का साइज बढ़ जाना।
- मानसिक रूप से परेशान रहने लगेगा।
- बच्चे का किसी भी काम में, पढ़ाई और खेलकूद में ध्यान न लगना।
- भूख बढ़ जाना लेकिन वजन कम होना। मतलब, बच्चा खाना ज्यादा खाएगा लेकिन उसका वजन घटेगा।
- प्रोप्टोसिस यानी आंखों का ज्यादा बाहर आ जाना।
इसमें एंटी-थायरॉइड ड्रग जैसे Propylthioucacil और Methimazole दी जाती है। एक बार थायरॉइड लेवल नॉर्मल हो जाने पर दवाओं की डोज कम-से-कम स्तर पर ले जाते है। कितने लेवल पर ले जाना है, यह डॉक्टर तय करता है। इन्हें हॉर्मोन्स लेवल को कंट्रोल करने के लिए दिया जाता है।
होम्योपैथ
होम्योपैथ में भी थायरॉइड का इलाज मरीज के लक्षणों जैसे पर्सनैलिटी, बॉडी टाइप (मोटा-पतला), मरीज की मेडिकल हिस्ट्री, फैमिली मेडिकल हिस्ट्री, मरीज के शरीर की संवेदनशीलता आदि के आधार पर ही किया जाता है। होम्योपैथ में TSH को नॉर्मल करने के लिए दवा दी जाती है।
दवाएं
लांकि लक्षणों को देखकर ही दवा और डोज दी जाती है। लेकिन कुछ दवाएं हैं, जो आमतौर पर थायरॉइड के सभी मरीजों को दी जाती है। वे हैं :
लांकि लक्षणों को देखकर ही दवा और डोज दी जाती है। लेकिन कुछ दवाएं हैं, जो आमतौर पर थायरॉइड के सभी मरीजों को दी जाती है। वे हैं :
- Calcarea Carb 30, 5-5 गोली दिन में तीन बार, एक महीने तक।
- Graphites 30, 5-5 गोली दिन में तीन बार, एक महीने तक।
- Thuja Occ 30 , 5-5 गोली दिन में तीन बार, एक महीने तक।
- Phosphorus 30, 5-5 गोली दिन में तीन बार, एक महीने तक।
- Lachesis 30, 5-5 गोली दिन में तीन बार, एक महीने तक।
ध्यान रखें : दवा खाने से 15-20 मिनट पहले और बाद में कुछ भी न खाएं। मुंह में कोई भी तेज खुशबू वाली चीज होगी तो दवा असर नहीं करेगी।
आयुर्वेद
आयुर्वेद में भी ज्यादा चिंता, शोक में रहना और अव्यवस्थित खानपान को थायरॉइड डिस्ऑर्डर का मुख्य कारण माना गया है।
लक्षणों को देखकर ही इलाज किया जाता है लेकिन सामान्य रूप से इसके लिए आरोग्यवर्द्धनी वटी (एक गोली), गुग्गुल (एक गोली), वातारि रस (एक गोली) और पुनर्नवादि मण्डूर (एक गोली) दवा दी जाती है। ये दवाएं सुबह-शाम गर्म पानी से कम-से-कम तीन महीने लेनी होती हैं। थायरॉइड डिस्ऑर्डर में घरेलू नुस्खों से ज्यादा फायदा नहीं होता।
योग
थायरॉइड डिस्ऑर्डर गले से जुड़ी बीमारी है, इसलिए जो भी प्राणायाम आदि गले में खिंचाव, दबाव या कंपन पैदा करे, उन्हें मददगार माना जाता है।
थायरॉइड डिस्ऑर्डर होने पर :
- कपालभाति क्रिया के तीन राउंड पांच मिनट तक करें।
- उज्जयिनी प्राणायाम 15 से 20 बार दोहराएं।
- गर्दन की सूक्ष्म क्रियाएं करें, जिसमें गर्दन को आगे-पीछे और लेफ्ट-राइट घुमाएं।
- लेटकर सेतुबंध, सर्वांग और हलासन, उलटा लेटकर भुजंग और बैठकर उष्ट्रासन, जालंधर बंध आसन करें। सभी आसन 2 से 3 बार दोहराएं।
नोट : सर्वांग और हलासन गर्दन, कमर दर्द, हाई बीपी और हार्ट की बीमारियों में न करें। बाकी आसन कर सकते हैं।
थायरॉइड डिस्ऑर्डर हो ही न, इसके लिए इन सभी आसनों और प्राणायाम को रोजाना करने के साथ ही रोजाना सैर पर जाएं। रेग्युलर ऐसा करने से थायरॉइड डिस्ऑर्डर कुछ ही दिनों में कंट्रोल हो जाता है।
क्या खाएं
- हल्का खाना जैसे दलिया, उबली सब्जियां, दाल-रोटी आदि खाएं।
- हरी सब्जियां और कम घी-तेल और मिर्च-मसाले वाला खाना खाएं।
क्या न खाएं
- बैंगन, चावल, दही, राजमा, अरबी आदि।
- खाने की किसी भी चीज को ज्यादा ठंडा और ज्यादा गर्म न खाएं।
- तला खाना जैसे समोसे, टिक्की आदि न खाएं।
INMAS (Istitute of Nuclear Medicine and Allied Science)
यह मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस का एक इंस्टिट्यूट और खासकर थायरॉइड का बड़ा हॉस्पिटल है।
- यहां जनरल ओपीडी नहीं है। सिर्फ किसी एम. डी. डॉक्टर के रेफर पर ही यहां इलाज किया जाता है।
- सुबह 7:30 से 11 बजे तक नंबर मिलते हैं, 8:30 से 11 बजे तक कार्ड बनाए जाते हैं और सुबह 9 से 11:30 बजे तक डॉक्टर मरीजों को देखते हैं।
- कार्ड 10 रुपये में बनता है और इसी पर इलाज के पूरे होने तक दवाइयां लिखी जाती है, जोकि बाहर से खरीदनी होती हैं।
फोन नंबर : 011- 2390 5327
पता : INMAS, तीमारपुर-लखनऊ रोड, तीमारपुर, दिल्ली-110 054, दिल्ली यूनिवर्सिटी मेट्रो स्टेशन के पास।
एक्सपर्ट्स पैनल :
- डॉ. के. के. अग्रवाल, सीनियर कंसलटेंट, मूलचंद हॉस्पिटल
- डॉ. ओमप्रकाश सिंह, मेडिकल ऑफिसर, ई. एस. आई. हॉस्पिटल
- डॉ. शुचींद्र सचदेवा, सीनियर होम्योपैथ
- एल. के. त्रिपाठी, वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक
- सुरक्षित गोस्वामी, योग गुरु
नोट : ऊपर बताई गई एलोपैथी, होम्योपैथी और आयुर्वेदिक किसी भी दवा को डॉक्टर की सलाह के बिना अपने आप न लें। एलोपैथी में बताई गई सभी दवाइयों के नाम उनके जेनरिक नेम हैं। बाजार में ये अलग-अलग नामों से मिलती हैं।
शुरू करते हैं अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी लिंक्स
साभार: नवभारत टाइम्स
शुरू करते हैं अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी लिंक्स
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मसालों में छिपी है सेहत
गर्भावस्था के दौरान योग
वेब दुनिया बता रही कि
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कार्टून:- दाखिलों के दिन फिर से आए रे
अब आज्ञा दीजिये ... अगले हफ्ते फिर मुलाकात होगी ... एक और बुलेटिन के साथ ...
बढ़िया...स्वस्थ बुलेटिन
जवाब देंहटाएंअरे वाह शाहनवाज़ भाई ... कमाल कर दिया आपने ... बेहद उपयोगी जानकारी दी ... अपनी पहली ही बुलेटिन में आप ने ब्लॉग जगत को खूब समेटा ... जय हो ... अब तो हर हफ्ते आपके अनुभवों का लाभ मिला करेगा हम सब को ... जय हो !
जवाब देंहटाएंसुन्दर, संतुलित, विषयाधारित और अलग तरह की चर्चा।
जवाब देंहटाएंबिल्डिंग पार कर गया बॉल ... यानि सिक्स़र . इतनी जानकारी और इतनी सधी चर्चा लिंक्स की - बधाई हो .
जवाब देंहटाएंशाहनवाज़ भाई ब्लॉग बुलेटिन टीम में आपका स्वागत है ... आपके बुलेटिन टीम के नियमित सदस्य बनने के निर्णय का हम सब तहे दिल से स्वागत करते है | पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंवाह वाह मास्टर स्ट्रोक शाहनवाज़ भाई ,बहुत ही बेहतरीन और उपयोगी प्रस्तावना के साथ चुनिंदा लिंक्स सहेज कर आपने इस अंक को सहेजनीय और संग्रहणीय बना दिया । बहुत बहुत आभार और शुक्रिया और हां स्वागत है आपका
जवाब देंहटाएंचर्चा कितनी तरह से की जा सकती है उसका एक नया उदाहरण. जीवंत. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबढ़िया विस्तृत चर्चा के लिए बधाई और शुभकामनाये !
जवाब देंहटाएंथायराइड के बारे में काम की जानकारी दी आपने, मुझे काफी दिनों से शक हो रहा था कि कहीं मेरा मोटापा थायराइड की बजह से तो नहीं बढ़ रहा है, अब यह शक दूर हो गया क्यूंकि कोई भी लक्षण नहीं मिल रहा है|
जवाब देंहटाएंमेरा लिंक इंग्लिश में होने के बाबजूद आपने शामिल किया उसके लिए शुक्रिया
शाहनवाज़ भाई,स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विषय पर कलम उठाकर आपनें एक संतुलित और स्वस्थ बुलेटीन दिया है। थायरॉइड पर तो आमूल-चूल जानकारी जुटा लाए है। आभार इस उपयोगी पोस्ट के लिए।
जवाब देंहटाएंचर्चा कितनी तरह से की जा सकती है , उसका एक जीवंत , नया उदाहरण.... !
जवाब देंहटाएंथायराइड के बारे में बेहद उपयोगी जानकारी दी.... !!
चर्चाकार के रुप में स्वागत है। बढिया चर्चा रही। आभार
जवाब देंहटाएंलो जी आ गए एक और धुरंधर..........स्वागत आपका..
जवाब देंहटाएंफ्युजन बुलेटिन भी कहा जा सकता है...थाँयरायड के बारे में बेहद विस्तृत जानकारी लाभप्रद है और सुंदर लिंक्स ...शामिल करने के लिये शुक्रिया !!
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी जानकारियों से भरपूर पोस्ट ...
जवाब देंहटाएंबधाई और शुभकामनाएँ !
थायरॉइड.....पर इतना रोचक लेख पहले ना कभी पढ़ा और ना सुना ...यहाँ आना सार्थक हुआ ...
जवाब देंहटाएंस्वागत है आपका ... अच्छी रही चर्चा स्वस्थ के साथ ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंकों से सज्जित बुलेटिन!
जवाब देंहटाएंशानदार और उपयोगी चर्चा है।
जवाब देंहटाएंशानदार... इतनी विस्तृत जानकारी तो डाक्टर से भी नहीं मिल पाती है। बहुत अच्छा लगा बुलेटिन... बधाई
जवाब देंहटाएंबड़े ही सलीके से समझाया स्वास्थ्य संबंधी विषय को, सुन्दर सूत्र संकलन..
जवाब देंहटाएंshahnvaz ji bahut sunder prstuti ..........aabhar
जवाब देंहटाएंनई सोच के साथ प्रस्तुति , इससे बुलेटिन का आकर्षण बढ़ गया
जवाब देंहटाएंजो थायराइड के शिकार थे वो संभल गये पर मैं मियांजी डर गया :)
डॉ. शाहनवाज - मरीजों के मददगार
जवाब देंहटाएंजरूरी नहीं कि मरीज ही हो रोग से पीडि़त
ब्लॉग भी हो सकता है बीमार
करते हैं उसका भी सटीक उपचार
हिंदी चिट्ठाजगत इनके प्रमोशन पर करे
खुले मन से बारंबार विचार।
इस स्नेह एवं सहयोग के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंमैं स्वयं थायरॉइड डिस्ऑर्डर का शिकार रहा हूँ, खुदा का शुक्र है कि इससे निजात पा सका...
मैंने भी अपने डॉक्टर की सलाह से इसका इलाज इनमास (INMAS) से ही कराया है. बहुत ही बेहतरीन अस्पताल है. इसलिए तभी सोचा था कि थायरॉइड डिस्ऑर्डर के ऊपर जानकारी इकठ्ठा करके सभी के सम्मुख रखूँगा.
थायराइड के बारे में बेहद उपयोगी जानकारी दी......शाहनवाज़ भाई
जवाब देंहटाएंआज कल प्रायः हर घर में विशेषकर महिलायें इस रोग से पीड़ित देखी जाती हैं.. आपका यह बुलेटिन उनके लिए जानकारी प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगा!! धन्यवाद!!
जवाब देंहटाएंअच्छी और विस्तृत जानकारी से भरा बुलेटिन.
जवाब देंहटाएंथायरायड के बारे में बेहद विस्तृत जानकारी लाभप्रद है
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स ... शुक्रिया !!
बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
वाह...बहुत बढ़िया चर्चा तैयार की है आपने। पहली बार और ऐसी प्रस्तुति....प्रशंसनीय है। साथ ही थायराइड के बारे में इतनी अच्छी जानकारी देने का शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंहां....मुझे शामिल करने का बहुत-बहुत शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंपहली बार में ही इतनी बढ़िया चर्चा के लिए बधाई। अच्छे लिंक्स दिए आपने। और थायराइड संबंधी विस्तृत जानकारी देने का शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंशाहनवाज भाई, बहुत ही सुंदर काम किया है आपने। खुले मन से आपकी तारीफ कर रहा हूं। इस रचनात्मक ऊर्जा को बनाए रखिएगा।
जवाब देंहटाएंब्लाग बुलेटिन पर स्वास्थ्य चर्चा में थायराईड पर आपने बहुत ही विस्तारपूर्वक उपयोगी जानकारी प्रस्तुत की है । इसके अलावा अन्य स्वास्थ्य लिंक व वसंत पंचमी सहित अन्य पठनीय लिंक्स के द्वारा पूरी तरह से आपने इस चर्चा को गागर में सागर बना दिया है ।
जवाब देंहटाएंआभार सहित...
उत्कृष्ट प्रयास शाहनवाज़ जी |बहुत ही सुंदर संकलन है |बहुत मेहनत से की है तैयारी ...बहुत बधाई एवं शुभकामनायें भी |
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रयास शाहनवाज़ जी |बहुत ही सुंदर संकलन है |बहुत मेहनत से की है तैयारी ...बहुत बधाई एवं शुभकामनायें भी |
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य बुलेटिन..... स्वास्थ्य संबधी बहुत अच्छी जानकारी मिली
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी की शुभकामनायें ...चैतन्य को शामिल करने का आभार
बहुत बहुत बधाई, सार्थक और सकारात्मक प्रयास के लिए। सबसे बेहतर रही स्वास्थ्य की चर्चा और फिर सहजता से अन्य चर्चाओ को शामिल कर दिया... आभार।
जवाब देंहटाएंऔर मेरे ब्लॉग को शामिल किया, बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंशाह नवाज़ जी पहली चर्चा और ये तेवर्…………गज़ब कर दिया सबको मात कर दिया………जो काम किया इतने मनोयोग से किया है कि तारीफ़ खुद-ब-खुद निकलेगी और मुस्कान चेहरे पर चस्पाँ हो जायेगी…………अगर कुछ दिन इसी तरह चर्चा की तो बेस्ट चर्चाकार का खिताब सिर्फ़ और सिर्फ़ आपकी ही झोली मे आयेगा……………बेहद उम्दा अन्दाज़-ए-बयाँ।
जवाब देंहटाएंशाह नवाज़ जी आपके प्रथम ब्लॉग बुलेटिन की चर्चा का स्वागत है .. जिसमें स्वास्थ्य के साथ-साथ इतने बढि़या लिंक्स के साथ बेहतरीन प्रस्तुति का आभार बधाई सहित शुभकामनाऍं ।
जवाब देंहटाएंथायरॉइड डिसऑर्डर्स पर लेख किसी टेक्स्ट बुक से कम जानकारी पूर्ण नहीं .
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा प्रयास है . हालाँकि एलोपेथी के अलावा किसी और पद्धति में इसका इलाज कराना उचित नहीं रहेगा .
मैंने तो स्वयं इनमास से इसका स्पेशलाइजेशन किया है .
शहनवाज भाई एक अच्छा बुलेटिन बनाया है आपने...सही में फ्यूजन है ..पर इसमें एक कनफ्जून भी है ...वैसे बुलेटिन है सो सब शामिल करना अच्छा तरीका रहा.पर इससे बुलेटिन का साइड लंबा हो गया है ...अगर हो सके तो पहला पेज स्वास्थ बुलेटिन के तौर पर रखें..और साथ में कुछ और पेज बना लें बाकी अन्य ब्लॉग मे लिखे पोस्ट के लिए...उपर ही पेज के अलग अलग हिस्से बनाएं विषय के अनुसार...
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शाह नवाज़ जी, आपका ब्लॉग देखा अच्छा है !
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद स्पैम लिंक को क्लिक किया तो आप समेत कई सुधी टिप्पणीकारों के स्नेह-शब्द वहां दबे मिले।
जवाब देंहटाएंआभार के अतिरिक्त और क्या कहूं शाहनवाज भाई।
swagt hai
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