प्रतिभा सक्सेना का ब्लॉग
मुझे नींद से डर लगता है.
बिलकुल नही सो पाती ,
यों ही बिलखते ,
कितने दिन हो गए !
झपकी आते ही
चारों ओर वही भयावह घिर आता है -
नींद के अँधेरे में अटकी मैं,
पिशााचों का घेरा .
बस में खड़ी बेबस झोंके खाती देह ,
आगे पीछे,इधऱ से उधर से ,उँगलियाँ कोंचते
ज़हर भरी फुफकार छोड़ते बार-बार .
सिमटती देह पर .
अँगुलियाँ नहीं, लपलपाते साँप हैं ये ,
देह से लटके, नर के प्रतीक.
आँखों में गिजगिजी तृष्णा लिये
चीथते हैं अंग-अंग.
चीख निकलती नहीं,जीभ काठ,
हाथ-पाँव सुन्न
दिमाग़ शून्य.
चारों ओर वही सब ,
कहीं छुटकारा नहीं.
देह नुच-नुच कर चीथड़ा ,
हर साँस ज्यों तीर की चुभन .
वीभत्स , घोर यंत्रणा ,
उफ़्फ़ ,कहाँ जाऊँ ?
कैसे पार पाऊँ?
अरे, कोई काट फेंको
इन ज़हरीले साँपों को .
डसते-दाघते रहेंगे ,
नारी देह हो बस
बचपन ,जवानी ,बुढ़ापा
कोई अंतर नहीं पड़ता इन्हें.
घबरा कर आँखें खोल देती हूँ.
समय वहीं थम गया है .
नहीं, नहीं सो सकती,
मुझे नींद से डर लगता है.
बिलकुल नही सो पाती ,
यों ही बिलखते ,
कितने दिन हो गए !
झपकी आते ही
चारों ओर वही भयावह घिर आता है -
नींद के अँधेरे में अटकी मैं,
पिशााचों का घेरा .
बस में खड़ी बेबस झोंके खाती देह ,
आगे पीछे,इधऱ से उधर से ,उँगलियाँ कोंचते
ज़हर भरी फुफकार छोड़ते बार-बार .
सिमटती देह पर .
अँगुलियाँ नहीं, लपलपाते साँप हैं ये ,
देह से लटके, नर के प्रतीक.
आँखों में गिजगिजी तृष्णा लिये
चीथते हैं अंग-अंग.
चीख निकलती नहीं,जीभ काठ,
हाथ-पाँव सुन्न
दिमाग़ शून्य.
चारों ओर वही सब ,
कहीं छुटकारा नहीं.
देह नुच-नुच कर चीथड़ा ,
हर साँस ज्यों तीर की चुभन .
वीभत्स , घोर यंत्रणा ,
उफ़्फ़ ,कहाँ जाऊँ ?
कैसे पार पाऊँ?
अरे, कोई काट फेंको
इन ज़हरीले साँपों को .
डसते-दाघते रहेंगे ,
नारी देह हो बस
बचपन ,जवानी ,बुढ़ापा
कोई अंतर नहीं पड़ता इन्हें.
घबरा कर आँखें खोल देती हूँ.
समय वहीं थम गया है .
नहीं, नहीं सो सकती,
मुझे नींद से डर लगता है.
मन को उद्वेलित करती रचना, जो एक नारी अंतस में व्याप्त भीषण असुरक्षा का बोध कराती है। आदरणीय प्रतिभा जी मैंने आपको ज्यादा नहीं पढ़ा, पर आज आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा। मेरी शुभकामनाये ब्लॉग बुलेटिंन के एक दिन के अतिथि बनने पर 🙏🙏🙏🙏🌹💐🌹💐🌹
जवाब देंहटाएंल
सार्थक प्रस्तुति के लिए शुक्रिया ,आभार ब्लॉग बुलेटिंन 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंओह ! अत्यंत मार्मिक ! दिल को दहलाती हुई सशक्त अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंसशक्त अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभारी हूँ,आप सबकी अपनी प्रतिक्रिया देने के लिये और ऱश्मिजी की विशेष रूप से मुझे यहाँ स्थान देने हेतु .
जवाब देंहटाएं