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मंगलवार, 23 जुलाई 2019

ब्लॉग बुलिटेन-ब्लॉग रत्न सम्मान प्रतियोगिता 2019 (तीसवां दिन) कविता



सीमा 'सदा' - एक शांत,सरस नदी सी ब्लॉगर, जिसने बिना कुछ चाहे खुद को गुलमोहर, देवदार जैसा बना लिया।  यूँ तो ज़िन्दगी के सारे अभिन्न रंग उनके ब्लॉग पर मिल जाते हैं, लेकिन माँ"और पिता"की छवि हर रंग का सारांश है। 
चलते हैं इस लिंक पर -

माँ, तुलसी और गुलमोहर ...


 माँ कहती थी
आँगन के एक कोने में तुलसी
और दूसरे में गुलमोहर हो
तो मन से बसंत कभी नहीं जाता
तपती धूप में भी
खिलखिलाता गुलमोहर जैसे
कह उठता हो
कुछ पल गुजारो तो सही
मेरे सानिध्य में
मन का कोना-कोना
मेरी सुर्ख पत्तियों के जैसा
खुशनुमा हो जाएगा!

नहीं है इस बड़े महानगर में
गुलमोहर का पेड़
मेरे आस-पास
पर कुछ यादें आज भी हैं
इसके इर्द-गिर्द
बचपन की, माँ की,
और इसकी झरतीं सुर्ख पत्तियों की
मेरी यादों में गुलमोहर
हमेशा मेरे साथ ही रहेगा
मेरे पीहर की तरह
अपनेपन की छाँव लिये !!

35 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत प्यारी रचना
    भूमिका में लिखी बातों से सहमति हमारी

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  2. ओह , गुलमोहर बहुत आकर्षित करता है । गुलमोहर को बिल्कुल नया रंग दिया है पीहर का । सुंदर अभिव्यक्ति ।

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  3. बहुत प्यारी रचना... सचमुच माता पिता के स्नेह की शीतल छाया इनकी अधिकतर रचनाओं में महसूस होती है। शुभकामनाएं सदा जी

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  4. सदा दीदी का बेहद अपना सा व्यक्तित्व जो सहज ही मन को मोह लेता है सदा दी के स्नेहिल स्वभाव के साथ ही....बहुत ही अच्छी कवियत्री और कहानीकार हैं हर विषय पर उनकी कलम बखूबी चलती है उनकी भावनात्मक कविताओं का प्रशंसक हूँ सदा दीदी का आशीर्वाद मुझे हमेशा ही मिलता रहा है ....उनका लेखन निरन्‍तर चलता रहे ढेर सारी शुभकामनाएं :))

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    1. इस स्नेहिल प्रतिक्रिया का आभार भाई 💐💐

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  5. बेहतरीन...
    मेरी यादों में गुलमोहर
    हमेशा मेरे साथ ही रहेगा
    मेरे पीहर की तरह
    सादर नमन..

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  6. बहुत बहुत आभार आपका, ब्लॉग बुलेटिन के इस ब्लॉग रत्न सम्मान प्रतियोगिता में माँ तुलसी और गुलमोहर ...को स्थान देने के लिये ...
    सादर 🙏🏼🙏🏼🌺

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  7. बहुत सुंदर ..माँ किसिन किसी रूप में यादों में बसी होती हैं

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  8. बहुत सुंदर रचना हार्दिक शुभकामनाएं सीमा जी

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  9. सीमा सदा मेरी छोटी बहन हैं और मुझसे सीनियर भी! इनकी कविताएँ बहुत पढ़ी हैं और उनपर जी खोलकर अपनी बात भी कही है! इनकी कविताओं की एक विशेषता है... इनकी हर कविता दो भाग में में की गई अभिव्यक्ति है। जहाँ एक भाग में वह एक पहलू प्रस्तुत करती हैं, वहीं दूसरे भाग को उसके पूरक के रूप में देखा जा सकता है। रश्मि दी ने ठीक ही कहा है कि इनकी कविताओं में अधिकतर माँ का ज़िक्र मिलता है और हर बार उनके कहने का अंदाज़ जुदा होता है!

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    1. क्या कहूँ .... बस अभिभूत हूँ .. सादर वंदन 🙏🏻🙏🏻

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  10. रिश्तों की मधुरता और उष्णता का एहसास कराती बहुत सुंदर कविताएँ रचती है सीमा दी।
    हर कविता अलग अंदाज में मन छू जाती है।
    बहुत शुभकामनाएँ दी मेरी भी स्वीकार करिये।

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    1. इस स्नेहिल प्रतिक्रिया का 💕 से आभार श्वेता 💐💐

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  11. वाह!!सीमा जी ,बेहतरीन सृजन ।

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  12. बहुत ही सुन्दर लिखा दी जी
    सादर

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  13. बालक मन पर मां की हर बात किसी पावन ऋचा सी अकिंत है ,जो आज भी अहसास बन अनुभुति में रची बसी है । मां के अमूल्य कथ्य से एक संसार रचा बसा है, और उसी के आधार पर कलम से कविता नहीं भाव बहते हैं।
    अनुपम सृजन ।
    सीमा जी की सभी रचनाएं मन में गहरे उतरती है ।

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