सीमा 'सदा' - एक शांत,सरस नदी सी ब्लॉगर, जिसने बिना कुछ चाहे खुद को गुलमोहर, देवदार जैसा बना लिया। यूँ तो ज़िन्दगी के सारे अभिन्न रंग उनके ब्लॉग पर मिल जाते हैं, लेकिन माँ"और पिता"की छवि हर रंग का सारांश है।
चलते हैं इस लिंक पर -
माँ, तुलसी और गुलमोहर ...
माँ कहती थी
आँगन के एक कोने में तुलसीऔर दूसरे में गुलमोहर हो
तो मन से बसंत कभी नहीं जाता
तपती धूप में भी
खिलखिलाता गुलमोहर जैसे
कह उठता हो
कुछ पल गुजारो तो सही
मेरे सानिध्य में
मन का कोना-कोना
मेरी सुर्ख पत्तियों के जैसा
खुशनुमा हो जाएगा!
…
नहीं है इस बड़े महानगर में
गुलमोहर का पेड़
मेरे आस-पास
पर कुछ यादें आज भी हैं
इसके इर्द-गिर्द
बचपन की, माँ की,
और इसकी झरतीं सुर्ख पत्तियों की
मेरी यादों में गुलमोहर
हमेशा मेरे साथ ही रहेगा
मेरे पीहर की तरह
अपनेपन की छाँव लिये !!
सुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंजी आभार
हटाएंबहुत प्यारी रचना
जवाब देंहटाएंभूमिका में लिखी बातों से सहमति हमारी
जी 🙏🏼🙏🏼
हटाएंओह , गुलमोहर बहुत आकर्षित करता है । गुलमोहर को बिल्कुल नया रंग दिया है पीहर का । सुंदर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंजी बेहद आभार
हटाएंसुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंजी शुक्रिया
हटाएंसुंदर भावाभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंजी आभार आपका
हटाएंबहुत प्यारी रचना... सचमुच माता पिता के स्नेह की शीतल छाया इनकी अधिकतर रचनाओं में महसूस होती है। शुभकामनाएं सदा जी
जवाब देंहटाएंजी बेहद शुक्रिया
हटाएंसदा दीदी का बेहद अपना सा व्यक्तित्व जो सहज ही मन को मोह लेता है सदा दी के स्नेहिल स्वभाव के साथ ही....बहुत ही अच्छी कवियत्री और कहानीकार हैं हर विषय पर उनकी कलम बखूबी चलती है उनकी भावनात्मक कविताओं का प्रशंसक हूँ सदा दीदी का आशीर्वाद मुझे हमेशा ही मिलता रहा है ....उनका लेखन निरन्तर चलता रहे ढेर सारी शुभकामनाएं :))
जवाब देंहटाएंइस स्नेहिल प्रतिक्रिया का आभार भाई 💐💐
हटाएंबेहतरीन...
जवाब देंहटाएंमेरी यादों में गुलमोहर
हमेशा मेरे साथ ही रहेगा
मेरे पीहर की तरह
सादर नमन..
जी बेहद शुक्रिया 🙏🏻🙏🏻
हटाएंबहुत बहुत आभार आपका, ब्लॉग बुलेटिन के इस ब्लॉग रत्न सम्मान प्रतियोगिता में माँ तुलसी और गुलमोहर ...को स्थान देने के लिये ...
जवाब देंहटाएंसादर 🙏🏼🙏🏼🌺
अच्छी कविता सीमा ....
जवाब देंहटाएंजी आभार आपका
हटाएंबहुत सुंदर ..माँ किसिन किसी रूप में यादों में बसी होती हैं
जवाब देंहटाएंजी बिल्कुल
हटाएंआभार आपका
बहुत सुंदर रचना हार्दिक शुभकामनाएं सीमा जी
जवाब देंहटाएंजी बेहद शुक्रिया
हटाएंसीमा सदा मेरी छोटी बहन हैं और मुझसे सीनियर भी! इनकी कविताएँ बहुत पढ़ी हैं और उनपर जी खोलकर अपनी बात भी कही है! इनकी कविताओं की एक विशेषता है... इनकी हर कविता दो भाग में में की गई अभिव्यक्ति है। जहाँ एक भाग में वह एक पहलू प्रस्तुत करती हैं, वहीं दूसरे भाग को उसके पूरक के रूप में देखा जा सकता है। रश्मि दी ने ठीक ही कहा है कि इनकी कविताओं में अधिकतर माँ का ज़िक्र मिलता है और हर बार उनके कहने का अंदाज़ जुदा होता है!
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ .... बस अभिभूत हूँ .. सादर वंदन 🙏🏻🙏🏻
हटाएंबहुत बढ़िया लिखा आपने
जवाब देंहटाएंबेहद शुक्रिया प्रीति आपका ..…
हटाएंबधाई व शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंजी आभार
हटाएंरिश्तों की मधुरता और उष्णता का एहसास कराती बहुत सुंदर कविताएँ रचती है सीमा दी।
जवाब देंहटाएंहर कविता अलग अंदाज में मन छू जाती है।
बहुत शुभकामनाएँ दी मेरी भी स्वीकार करिये।
इस स्नेहिल प्रतिक्रिया का 💕 से आभार श्वेता 💐💐
हटाएंवाह!!सीमा जी ,बेहतरीन सृजन ।
जवाब देंहटाएंबेहद शुक्रिया आपका ....
हटाएंबहुत ही सुन्दर लिखा दी जी
जवाब देंहटाएंसादर
बालक मन पर मां की हर बात किसी पावन ऋचा सी अकिंत है ,जो आज भी अहसास बन अनुभुति में रची बसी है । मां के अमूल्य कथ्य से एक संसार रचा बसा है, और उसी के आधार पर कलम से कविता नहीं भाव बहते हैं।
जवाब देंहटाएंअनुपम सृजन ।
सीमा जी की सभी रचनाएं मन में गहरे उतरती है ।