डॉक्टर निशा महाराणा जी की एक भावप्रवण रचना।
ले चल किसी विधि मुझे उस पार
जहाँ निराशा की ओट में
आशा का सबेरा हो
तम संग मचलता उजालों का घेरा हो
जहाँ मतलबी नहीं अपनों का बसेरा हो
साझा हो हर गम न तेरा न मेरा हो
जहाँ बचपन की मस्ती लेती हो अंगराई
उत्साह-उमंगों संग बहे पुरवाई
जहाँ अपने ही दम पे जुगनी झिलमिलाती
छोटी छोटी बातों पे निशा खिलखिलाती
मुँह -मांगी दूँगी तुमको उतराई
तहेदिल से दूंगी तुम्हे जीत की बधाई
खुशियों से दमकेगा प्यारा वो संसार
ले चल किसी विधि मुझे उस पार----
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंले चल किसी विधि मुझे उस पार- उस पार को महसूस कर पाते...
काश..
बहुत बहुत धन्यवाद....विभा जी ...
हटाएंव्वाहहहहह
जवाब देंहटाएंमुँह -मांगी दूँगी तुमको उतराई
तहेदिल से दूंगी तुम्हे जीत की बधाई
बेहतरीन रचना
सादर
बहुत बहुत धन्यवाद यशोदा जी
हटाएंपरिचय और आपकी कलम दोनो ने एकदम सच कहा है ... बहुत ही अच्छा लगा पढ़कर ..आभार के साथ शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद संजय जी .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना। बधाई हो निशा जी। रश्मि दी फिर वही ब्लॉगिंग के दिन लौटा लाई हैं...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद संध्या जी ..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब मैडम!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद सर ..
हटाएंवाह अनुपम सृजन ....
जवाब देंहटाएंबधाई सहित शुभकामनाएं
बहुत बहुत धन्यवाद सीमा जी
हटाएंदमकता रहे तुम्हारा संसार ..........सुंदर !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद मुकेश जी ..
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद ब्लॉग बुलेटिन को भी
जवाब देंहटाएंएक सरल सहज रचना...!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सकारात्मक रचना ...
जवाब देंहटाएंउम्मीद भरी रचना
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद 😊
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंदिल को छू गयी 👌👌
धन्यवाद
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