शायद कोई -सा ही बचपन ऐसा गुजरा हो जिसने परियों की कहानी न सुनी हो. बचपन ही क्यों, बड़ों को भी लुभाने वाली लोककथाएं या धर्मकथाओं में भी अप्सराओं की कथाएं कही /सुनी/ पढ़ी जाती रहीं हैं. अधिकांश किसी श्राप वश धरती लोक पर आतीं और मोह के बंधन में बँध कर भी फिर लौट जातीं अपनी दुनिया में. इन कथाओं या प्रतीकों के माध्यम से पृथ्वी पर मानव जीवन के लिए निर्देश अथवा जीवन की विडंबनाएं प्रेषित होती रहीं. ऐसी ही एक लोक कथा मिलेगी यहाँ
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रक्तदान महादान का संदेश चुटीले अंदाज में दे रहीं अंशुमाला
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हमारी पीढ़ी ने दूरदर्शन पर डेली सोप की शुरूआत 'हम लोग' से होते हुए देखी. जाने माने लेखक मनोहर श्याम जोशी ने मध्यमवर्गीय परिवारों में के सहज जीवन एवं उसमें होने वाली छोटी मोटी घटनाओं को इस तरह पिरोया कि हर परिवार उसमें कुछ न कुछ अपने जैसा ढ़ूंढ़ ही लेता था. उन्हीं मनोहर श्याम जोशी को याद करते हुए प्रभात रंजन लिखते हैं पालतू बोहेमियन...
http://yahansedekho.blogspot.com/2019/06/blog-post.html?m=1
हारती जा रही संवेदना... इस तरह व्यावहारिक होते जा रहे हम. साधना वैध जी की कविता पढ़ें यहाँ
http://sudhinama.blogspot.com/2019/06/blog-post_13.html
अंतर्जाल के विभिन्न लाभ में से तो एक यही है कि हम इसके माध्यम से विभिन्न ब्लॉग्स पढ़ पाते हैं. मगर हर बेहतरीन चीज का दुरूपयोग कर लेने वाली मानव जाति ने भी इसका गलत उपयोग करने में कोई कोर कसर नहीं रखी है. वीभत्स ,भयावह , घृणित घटनाओं के अनावश्यक प्रसार में भी इसी माध्यम का हाथ भी है जो समाज में मानसिक रोगों कीएक बड़ी वजह भी बन रहा है. पूजा उपाध्याय एक तीक्ष्ण दृष्टि रखती हैं इस तकनीक के दुरूपयोग पर...
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मनोरंजन के विभिन्न साधनों में हिंदी फिल्म जगत का महत्वपूर्ण स्थान है. आम जन के लिए बनने वाली फार्मूला फिल्मों के साथ ही एक समानांतर विधा चलती रही कला फिल्मों की. स्मिता पाटिल, दिप्ति नवल, शबाना आजमी जैसी अभिनेत्रियों ने इस माध्यम को खूब निबाहा. संजय भास्कर स्मिता पाटिल के खूबसूरत अभिनय को स्मरण कर रहे हैं यहाँ...
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अभिवादन स्वीकारिये!अंशुमाला जी से कहिये! हम अब भी जीवित हैं ब्लॉग पर!
जवाब देंहटाएंमगर व्याख्या भी होनी थी 😊
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सारगर्भित सूत्रों से सुसज्जित आज का बुलेटिन वाणी जी ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन में हमारी पोस्ट शामिल करने के लिए धन्यवाद वाणी जी | अली जी से कहिये हमने तो पढ़ लिए उन्हें , लेकिन उन्होंने अपने दरवाजे बंद कर रखें हैं हमारे जवाबो के लिए , तो उन्हें कैसे पता चलेगा कि हमने पढ़ लिया हैं :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन दीदी |
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