आज हम आपको मिलवाते हैं उषा किरण जी से, जिन्होंने हाल में ही अपना ब्लॉग बनाया, और पाठकों के साथ एक अद्भुत ताना बाना जोड़ा। इनकी कलम में एक ऐसी ज़िन्दगी की ताकत है, जिससे हर कोई किसी न किसी तरह खुद को जुड़ा हुआ महसूस करता है।
ये स्वयं कहती हैं -
"मन की उधेड़बुन से उभरे विचारों को जब शब्द मिले
तो कुछ सिलवटें खुल गईं और कविता में ढल गईं
और जब शब्दों से भी मन भटका
तो रेखाएं उभरीं और
रेखांकन में ढल गईं...
इन्हीं दोनों की जुगलबन्दी से बना है ये
ताना- बाना
यहां मैं और मेरा समय
साथ-साथ बहते हैं""
जब वे
किसी अस्मिता को रौंद
जिस्म से खेल
विजय-मद के दर्प से चूर
लौटते हैं घरों को ही
तब चीख़ने लगते हैं अख़बार
दरिंदगी दिखाता काँपने लगता है
टी वी स्क्रीन
दहल जाते हैं अहसास
सहम कर नन्हीं चिरैयों को
ऑंचल में छुपा लेती हैं माँएं...
और रक्तरंजित उन हाथों पर
तुम बाँधती हो राखी
पकवानों से सजाती हो थाली
रखती हो व्रत उनकी दीर्घायु के लिए
भरती हो माँग
तर्क करती हो
पर्दे डालती हो
कैसे कर पाती हो ये सब ?
कैसे सुनाई नहीं देतीं
उस दुर्दान्त चेहरे के पीछे झाँकती
किसी अबला की
फटी आँखें,चीखें और गुहार ?
किसी माँ का आर्तनाद
बेबस बाप की बदहवासी ?
बोलो,क्यों नहीं दी पहली सजा तब
जब दहलीज के भीतर
बहन या भाभी की बेइज़्ज़ती की
या जब छीन कर झपटा मनचाहा ?
तुम्हारे इसी मुग्ध अन्धत्व ने
सौ पुत्रों को खोया है
उठो गाँधारी !
अपनी आँखों से
अब तो पट्टी खोलो...!!
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रंजु जी !
हटाएंबेहतरीन रचना...
जवाब देंहटाएंआभार पढ़वाने हेतु
सादर
आपका बहुत धन्यवाद !
हटाएंसशक्त रचना
जवाब देंहटाएंआभार शोभना जी !
हटाएंझकझोर देने वाली रचना . गांधारी बन हर दुष्कर्म पर पर्दा न डालें . बलात्कारी घटनाओं से आक्रोशित मन सटीक आह्वान कर रहा है . उषा किरण जी को इस प्रभावी रचना के लिए बधाई .
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हटाएंआभारी हूँ आपकी प्रतिक्रिया पर आशा है आप आगे भी हौसला बढ़ाती रहेंगी 😊
हटाएंसशक्त रचना
जवाब देंहटाएंआभार शिखा !
हटाएंगांधारी न बनने का सशक्त आह्वान, बेहतरीन अभव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ऋता जी !
हटाएंबहुत अच्छी रचना,विषय को आदि से जोड़कर ....👍👍👍
जवाब देंहटाएंअर्चना जी आभार आपका !
हटाएंकाश की हम महिलाएं आँखों पर बँधी इन पट्टी को खोल पाते ..प्रासंगिक रचना ..👌
जवाब देंहटाएंकाश....धन्यवाद!
हटाएंबेहतरीन बुलेटिन अद्भुत रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनुराधा जी !
हटाएंकमाल की रचना है ...
जवाब देंहटाएंआभार आपका!
हटाएंमेरी पहली भेंट उषा जी की लेखनी से
जवाब देंहटाएंशानदार भावाभिव्यक्ति
उत्साहवर्धन हेतु आभार आपका !
हटाएंसमाज की वर्तमान हालात पर बखूबी लिखा है ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रेखा जी !
हटाएंकाश कि उषा किरण जी की ये पुकार मौजूदा दौर की गांधारी सुन ले और अपने वहशी पुत्रों को रोक ले |
जवाब देंहटाएंजी बस यही आशा है ...काश...!
हटाएंवर्तमान हालातों से जूझने को प्रेरित करती प्रभावशाली रचना
जवाब देंहटाएंअनीता जी आभार आपका !
हटाएंपहली बार पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ उषा जी को. बहुत ही प्रभावशाली रच्ना... दिल को छूने और झकझोरने वाली रचना... शब्दों का चयन सुंदर है और रचनाकार की भावाभिव्यक्ति में सक्षम भी है!
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका !
हटाएंस्वागत आपका... बहुत प्रभावी रचना, सुंदर शब्दचयन... शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंस्वागत आपका... बहुत प्रभावी रचना, सुंदर शब्दचयन... शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद संध्या !
हटाएंचेतना को झकझोरती अत्यंत सशक्त रचना ! उषा जी की कलम और कलाकारी हम तो दोनों के ही मुरीद हैं ! हार्दिक शुभकामनाएं उषा जी !
जवाब देंहटाएंआपका बहुत आभार साधना जी आप हमेशा ही हौसला बढ़ाती हैं !
जवाब देंहटाएंगाँधारी का मोह महाभारत होने देने के लिए एक कारण रहा है.
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना.
जी वाणी और आज भी पुत्रमोह की पट्टी बाँधे कम नहीं हैं गाँधारी ...धन्यवाद आपका !
हटाएंबहुत ही प्रभावशाली अभिव्यक्ति। ताना बाना पढ़ रही हूँ।
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हटाएंमीना जी आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा...धन्यवाद😊
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जवाब देंहटाएंयथार्थ धरातल का कड़वा सच
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट और मार्मिक
बहुत धन्यवाद आपका!
हटाएंबेहद सशक्त और सटीक रचना ... उत्कृष्ट लेखन के लिये बधाई सहित शुभकामनाएं ...
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत शुक्रिया हौसला बढ़ाने का!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब , दिल को खरोंचती हुई कविता
जवाब देंहटाएंधन्यवाद गिरिजा जी उत्साह बढ़ाने का😊
हटाएंसच कहा! शिक्षा घर से ही देनी होगी.
जवाब देंहटाएंजी ...संस्कार व शिक्षा की पहली पाठशाला घर ही है ...धन्यवाद!
हटाएंअत्यंत प्रेरक और सार्थक ल रचना आदरणीय उषा जी | यदि हर माँ पत्नी बेटी परिवार के दुराचारी प्पुरुस्शों को संरक्षण देना छोड़ दे तो समाज से इस तरह के अपराध मिटने में बहुत सहायता मिलेगी |
जवाब देंहटाएंयही कहना चाहा है मैंने आखिरकार अपराधी, बलात्कारी का भी तो परिवार होता है वे क्यों नहीं सजा देते ? क्यों साथ देते हैं सब लोग ...माँ का काम है बेटे को सही गलत की शिक्षा देना और गल्ती पर दंड देना भी....धन्यवाद!
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