प्रतीक्षा की घड़ियाँ खत्म हुईं, ब्लॉग के ऊपर छाए घने बादल बरस गए हैं, सोंधी खुशबू और सतरंगे इंद्रधनुष के साथ ये ब्लॉग बुलेटिन आपके सामने है । एहसासों की नदी एहसासों के समंदर से मिलने को आतुर है - लेखक और पाठक की अविस्मरणीय यात्रा शुरू हो गई है अपने साहित्यिक पड़ाव के लिए ।
शंखनाद के साथ आप सबका स्वागत है ।...
मन पाए विश्राम जहाँ
अनीता निहलानी का एक जाना माना ब्लॉग है। उनकी एक सशक्त कविता के साथ हम आज से चलनेवाली प्रतियोगिता का आरम्भ करते हैं।
कितना नीर बहा अम्बर से
कितने कुसुम उगे उपवन में,
बिना खिले ही दफन हो गयीं
कितनी मुस्कानें अंतर में !
कितनी धूप छुए बिन गुजरी
कितना गगन न आया हिस्से,
मुंदे नयन रहे कर्ण अनसुने
बुन सकते थे कितने किस्से !
कितने दिवस डाकिया लाया
कहाँ खो गये बिन बाँचे ही,
कितनी रातें सूनी बीतीं
कल के स्वप्न बिना देखे ही !
नहीं किसी की राह देखता
समय अश्व दौड़े जाता है,
कोई कान धरे न उस पर
सुमधुर गीत रचे जाता है !
कितने कुसुम उगे उपवन में,
बिना खिले ही दफन हो गयीं
कितनी मुस्कानें अंतर में !
कितनी धूप छुए बिन गुजरी
कितना गगन न आया हिस्से,
मुंदे नयन रहे कर्ण अनसुने
बुन सकते थे कितने किस्से !
कितने दिवस डाकिया लाया
कहाँ खो गये बिन बाँचे ही,
कितनी रातें सूनी बीतीं
कल के स्वप्न बिना देखे ही !
नहीं किसी की राह देखता
समय अश्व दौड़े जाता है,
कोई कान धरे न उस पर
सुमधुर गीत रचे जाता है !
वाह ........बढ़िया शुरुआत ..........सराहनीय प्रयास
जवाब देंहटाएंबहुत समय बाद अनिता जी को पढ़ा । आभार इस अवसर के लिए ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत श्रेष्ठ रचना।
जवाब देंहटाएंवाह! पुराने दिन लौटा लाया ब्लॉग बुलेटिन...प्रारम्भ शानदार कविता से।
जवाब देंहटाएंवाह! पुराने दिन लौटा लाया ब्लॉग बुलेटिन...प्रारम्भ शानदार कविता से।
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन के इस आयोजन का आरंभ 'मन पाए विश्राम जहाँ से' होगा, इसकी तो मैंने कल्पना भी नहीं की थी, इस अनुपम सौगात के लिए बहुत बहुत आभार रश्मिप्रभाा जी !
जवाब देंहटाएंअच्छी शुरुआत.
जवाब देंहटाएंरश्मि जी बहुत उम्दा प्रयास है . आपको ढेरो शुभकामनाएं . अनीता जी पुरानी ब्लोगर हैं . कविता भी अच्छी है
जवाब देंहटाएंढेरो शुभकामनाएं....प्रारम्भ शानदार कविता से
जवाब देंहटाएंबहुत खूब दीदी . शुभारम्भ अच्छी रचना से . अनीता जी जितनी सहृदया और संवेदनशील रचनाकार हैं उससे कहीं बड़ी पाठक हैं . वे दूसरों की रचनाएं पूरे ध्यान से पढ़तीं हैं और टिप्पणी करतीं हैं .
जवाब देंहटाएंव्वाहहहह...
जवाब देंहटाएंशानदार शुरुआत..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर , संग्रहणीय रचना ।
जवाब देंहटाएंअशेष शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंअहा! सुन्दर शुरुआत... शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंमैं अनिताजी के लेख नियमित रूप से पढ़ती हूँ। जीवन के प्रति उनके व्यापक दृष्टिकोण ने मेरा मन मोह लिया है।
जवाब देंहटाएंसुंदर।
जवाब देंहटाएंअनीता जी को पढ़ना सदैव एक अत्यंत सुखद अनुभूति है ! बहुत सुन्दर रचना से शुभारम्भ ! हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंआप के चयन पर तो कभी किसी को कोई भी संदेह नहीं रहा है ... हर बार आप ब्लॉग जगत के इस सागर से अनमोल मोती चुन लाती हो |
जवाब देंहटाएंआप की इस लगन को सादर नमन |
ब्लॉग बुलिटेन-ब्लॉग रत्न सम्मान प्रतियोगिता 2019 के सभी प्रतिभागियों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं |
अनीता जी निरंतर ब्लॉग पर लिखती रहती हैं और मैं तो उनके ब्लॉग पर अक्सर जा कर प्रेरणा लेता हूँ उनकी चमत्कारी लेखनी से ... दार्शनिक पक्ष को बाखूबी अपनी लेखनी से लिखना उनका एक उज्वल पक्ष है ... बहुत शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंआप सभी का हृदय से आभार !
जवाब देंहटाएंबेहद सराहनीय प्रयास ... और उस पर अनीता जी की बेजोड़ रचना ...अद्भुद संगम
जवाब देंहटाएंअनंत शुभकामनाएं
🙏🏻🙏🏻 सादर
अनीता जी की कविताएँ एक सरस बहाव लिये होती हैं और इनके समस्त आलेख एक कविता का फ्लेवर लिये हुये. अध्यात्म के सुगंध से सुवासित इनकी प्रतिनिधि रचना के लिये मेरा साधुवाद! मेरी विलम्बित उपस्थिति की क्षमा याचना सहित!
जवाब देंहटाएंबेहद सराहनीय पहल बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशानदार शुभारंभ.... सराहनीय पहल
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शुरुआत ...सुंदर रचना👌👌
जवाब देंहटाएंवाह, जवाब नहीं। बहुत सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंआप सभी का हृदय से आभार !
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