हिंदी ब्लॉगिंग अंतर्जाल युग की एक उल्लेखनीय उपलब्धि मानी जा सकती है जिसने सामान्य पाठकों और नवलेखन तथा लेखक/लेखिकाओं के मध्य एक सेतु का निर्माण किया . जिन विशिष्ट लेखक/लेखिकाओं के लेख अखबार/पत्रिकाओं में पढ़ते रहे, उनसे एक क्लिक पर ही साक्षात्कार सामान्य पाठकों के लिए आसान हुआ और वहीं दूसरी ओर पाठकों की त्वरित टिप्पणी द्वारा लेखक/लेखिकाओं का भी उत्साहवर्धन होता है. हिंदी ब्लॉगिंग ने डायरियों में लिख कर भूल जाने वाले सामान्य जन को भी लेखन/पाठन के लिए एक खुला आसमान दिया. तकनीक के लाभ हानि एक सिक्के के दो पहलू जैसे ही होते हैं इसलिए एक बार उच्चतम स्थान तक आकर हिंदी ब्लॉगिंग का पहिया कुछ लड़खड़ाया. शौकिया लिखने वाले भी एक आधार पाकर प्रिंट मीडिया की तरफ मुड़ने लगे . नियंत्रित विधा न होने के कारण बंदर के हाथ में उस्तरा आने उच्छृंखलता आई तो पाठकों और लेखकों का इस प्लेटफॉर्म से मोहभंग भी हुआ. फेसबूक/ट्विटर/वाट्सएप आदि ने भी ब्लॉगिंग के प्रति उपेक्षा बढ़ाई . मगर फिर भी कुछ प्रतिबद्ध ब्लॉगर्स ने डटे और जुटे रहकर इस माध्यम की सार्थकता बनाये रखी है. विभिन्न अभियानों द्वारा लेखकों और पाठकों को आकर्षित करने का कार्य भी हुआ. समस्या यह भी रही कि ब्लॉग पाठकों तक कैसे पहुँचे क्योंकि हिंदी ब्लॉगिंग को गति देने वाले संकलक ब्लॉग वाणी और चिट्ठाजगत सुप्तावस्था में चले गये. ऐसे में ब्लॉग बुलेटिन, चिट्ठा चर्चा आदि के संचालक जो अपने संकलकों के माध्यम से लेखकों तथा पाठकों के बीच एक मजबूत कड़ी बने हुए हैं, साधुवाद के पात्र हैं.
पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियों के फलस्वरूप हिंदी ब्लॉगिंग में मेरी भी अनियमितता रही है. मगर जब शिवम मिश्रा ने इस संकलक से जुड़ने का आग्रह किया तो इस दौर में भी हिंदी ब्लॉगिंग को नियमित रखने वाले लेखक/लेखिकाओं को पाठकों तक पहुँचाने के इस सेतुबंध में गिलहरी सा प्रयास कर रही हूँ. ...
व्यंग्य लेखन में महारत है जिन्हें उनके ब्लॉग पर आया हुआ है जबरदस्त चुनावी तूफान
सेवानिवृत्ति के उपरांत गाँव में रहकर शहरी अभिजात्य और गँवई मानसिकता के बीच की कड़ी बने हुए इस ब्लॉग पर गाँव के सहज दृश्यों के सरल शब्दचित्र मोहक हैं.
गठबंधन पर सभाजीत ने टिप्पणी की – साझे में होल्ला ही नीक रहथ (सामूहिक रूप में होलिका दहन ही उपयुक्त है। आग लगाओ, तमाशा देखो और अपने अपने घर जाओ), साझे में सरकार नहीं चलती।
तकनीक के ब्लॉग पर विंडोज के अपडेट से होने वाली खड़खड़ाहट मिलेगी यहाँ
विंडोज 10 अपडेट...
भीषण गर्मी में भी अपने लाल पुष्पों से लदा फँदा गुलमोहर प्रेम की अविरल फुहार बरसाये हुए है यहाँ.
कहो गुलमोहर
नारी सशक्तिकरण पर विचारोत्तेजक लेख लिखने वाली आराधना इस आलेख में सरल सहज हैं . अपने आसपास की गतिविधियों में मगन...
आराधना का ब्लॉग
अपनी कविताओं से दोहरी चाल चलने वालों को कड़ी फटकार देते हैं. नसीहतें भी!
यज्ञ सदियों तक चले
शांतनु सान्याल की कविता मुक्त द्वार पढ़ सकते हैं यहाँ
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पुरानी पोस्ट है अज़दक पर मगर एक ही ब्लॉग पर दुनिया के कोने कोने पहुँचा रहे ' दुनिया जिसे कहते हैं ' में.
दुनिया जिसे कहते हैं...
अपने पिता की स्मृति में किशौर चौधरी ने जो लिखा.
क्षमाप्रार्थी हूँ कि बहुत से ब्लॉग छूटे होंगे पढ़ने से क्योंकि इन दिनों अधिक पढ़ना नहीं हुआ है. यदि आप किसी विशेष ब्लॉग के बारे में बताना चाहते हैं तो आपका स्वागत है.
ब्लॉग बुलेटिन की टीम का भी बहुत आभार कि उन्होंने विश्वासपूर्वक यह कार्य मुझे सौंपा.
पहली पोस्ट वाणी गीत की, और पहली बार में ही अपना जबरदस्त प्रभाव जमा दिया
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुतीकरण
अरे वाह! आपका आगमन जैसे भीषण लू में शीतल बयार। सुस्वागतम!!
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन टीम में आपका हार्दिक स्वागत है वाणी दीदी |
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम |
आज का ब्लॉग बुलेटिन आदरणीय वाणी जी द्वारा बहुत शानदार तरीके से संचालित किया गया नये (मेरे लिये) ब्लॉगों से परिचय शानदार रहा। उन्होंने काफी मेहनत से ब्लॉग चुने।
जवाब देंहटाएंसभी सामग्री पठनीय
मेरी रचना को शामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया ।
बहुत सुन्दर पोस्ट आपकी...बधाई ...
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