प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
आज का विचार ...
प्रणाम |
आज का विचार ...
मजबूत रिश्ते और कड़क चाय, धीरे धीरे बनते हैं।
#SundayThoughts
अब आज्ञा दीजिए ...
जय हिन्द !!!
#SundayThoughts
सादर आपका
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जुआन रुल्फो की कहानी ‘उनसे बोलो मेरा कत्ल न करें’ अनुवाद : यादवेन्द्र
चलते रहो
३४४. रिटायरमेंट के बाद का दिन
गलत परंपराओं आडंबरों को ढोते हम लोग - डॉ लोक सेतिया
मोहब्बत का तलाक
514.मुहब्बत की आजमाइश
क्या अब अर्थी से मीत ,कफ़न उतारे जायेंगे ?
स्त्रियों का हौसला बढ़ाती कदमताल
दो पंछी
अंधी गली
चाँद हंसिया रे !
~~~~~~~~~~~~~~~~~अब आज्ञा दीजिए ...
जय हिन्द !!!
बढ़िया बुलेटिन।
जवाब देंहटाएंसही कहा आप ने मजबूत रिश्ते और कड़क चाय, धीरे धीरे बनते हैं...बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुन्दर ब्लॉग बुलेटिन की प्रस्तुति
सादर
आज की इस प्रस्तुति में मुझे भी सहभागी बनाने के लिए मैं आभारी हूँ । रिश्ते बनाए नहीँ जाते, खुद बन जाते हैं, रिश्ते निभाए नहीं जाते, ख़ुद निब जाते हैं । बस रिश्तों के अंकुर सम्हालते रहें, रिश्तों के विशाल मजबूत वृक्ष उग आते हैं । फिर, चाय महज औपचारिकता नहीं, जरूरत बन आती है। उबल कर प्यालों में भर जाती है, मिठास बन लफ्जों में बस जाती है।
जवाब देंहटाएंआभार, बहुत-बहुत धन्यवाद ।
क्षमा। निब.... को निभ पढें ।
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शुक्रिया
आप सब का बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन में मेरी रचना संकलित करने के लिए आभार ......सहृदय आदरणीय
सुन्दर बुलेटिन.बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएंसुन्दर बुलेटिन की प्रस्तुति
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