नमस्कार साथियो,
इक्कीसवीं सदी में देश चला गया है मगर राजनीति में सक्रिय कुछ
लोगों की मानसिकता अभी भी गुलाम वंश की याद दिलाती है. स्थिति यह हो गई है कि
राजनैतिक रूप से कुछ भी कहा जाये उसे पूर्वाग्रह से देखा-समझा जाने लगता है. वर्तमान
में देश के विकास की बात से ज्यादा अब छवि की, चेहरे की, नाक की चर्चा है. ऐसे में
एक सन्देश प्राप्त हुआ, जो अपने आपमें एक सन्देश देता है. लेने वाले उस सन्देश को
ले सकते हैं, बाकी लोग चेहरे-नाक की तुलना में व्यस्त रह सकते हैं. दोनों तरह के
लोग कहीं भी, कुछ भी करते हुए भी बुलेटिन का आनंद ले सकते हैं. तो पहले वह सन्देश,
फिर आज की बुलेटिन.
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हमारे एक परिचित मिले और बताया कि वे 25 वर्ष बाद फिर अपनी दूसरी आँख का आपरेशन कराने रायबरेली जा रहे हैं.
हमने पूछा ऐसा क्यों?
तो उन्होंने बताया कि 25 वर्ष पूर्व
जिस डॉक्टर ने आपरेशन किया था वह बहुत उच्च कोटि की सर्जन थी.
हमने कहा अच्छा, इसी कारण आप उनसे ही
आपरेशन करवाना चाहते हैं.
इस पर वे लपक कर बोले, नहीं, नहीं, वो डाक्टर तो अब संसार में हैं नहीं. मैं तो
उनकी पौत्री से आपरेशन करवाने जा रहा हूँ.
अब हम आश्चर्य में आ गए और बोले, अच्छा-अच्छा,
मतलब उनकी पौत्री भी उत्कृष्ट नेत्र सर्जन है...
अबकी वे चिल्ला कर बोले, अरे नहीं,
वो तो सामान्य सी शिक्षिका है..
तो वो आपरेशन कैसे करेगी?? चौंकने की
बारी हमारी थी अब. उनका उत्तर सुनकर तो हम दंग रह गए.
वे पूरे विश्वास से बोले, आपरेशन तो
वो अवश्य कर लेगी क्योंकि वो बिलकुल अपनी दादी की तरह लगती है.. पूरी न सही पर नाक
तो बिलकुल दादी जैसी ही है....
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सुन्दर सूत्र संकलन।
जवाब देंहटाएं"वो अपनी दादी की तरह लगती है..."
जवाब देंहटाएं.... और यही उन की सब से बड़ी खूबी है !!
बढ़िया बुलेटिन राजा साहब |
सुंदर है , बढ़िया है और रचनाएँ भी एक से एक...
जवाब देंहटाएंपथिक को स्थान देने के लिये धन्यवाद।
व्वाह राजा साहब आनन्द आ गया...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन बुलेटिन...
आभार..
सादर...
ब्लॉग बुलेटिन में मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंरोचक संकलन।
जवाब देंहटाएंकाश ! शिवाजी, राणा प्रताप, रानी लक्ष्मी बाई, लाला लाजपत राय, चन्द्र शेखर, भगत सिंह, उधम सिंह, बापू, सुभाष चंद्र बोस, शास्त्री जी जैसे लोगों के वंशजों के चेहरे भी अपने महान पूर्वजों से मिलते 😔🙄🤔
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