प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
धूप में कुछ भी न, तम में किन्तु पहरेदार है वह,
जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा। "
- गोपालदास नीरज
प्रणाम |
" दीप कैसा हो, कहीं हो, सूर्य का अवतार है वह,
धूप में कुछ भी न, तम में किन्तु पहरेदार है वह,
यह सुबह का दूत हर तम को निगलकर ही रहेगा।
जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा। "
- गोपालदास नीरज
ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से हिन्दी ब्लॉग जगत के सभी मित्रों को छोटी दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं |
सादर आपका
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अब आज्ञा दीजिए ...
शुभ रूप चतुर्दशी 2018
जवानी,जोश,जज़्बा और अल्हड़पन निखरने दो.......
नरकासुर वध तथा सोलह हजार बंदी युवतियों की मुक्ति
लघु रामायण
दीपमालिका
ज़मीनी अनुभवों का दस्तावेज - मीडिया के दिग्गज
मकसद और मसरूफियतों के बन्ने भाई
मुर्गी को भी इंसानी भूत बना देते हैं वे
इतिहास...जो सच है......
ये “दिल्ली यूनिवर्सिटी” नॉर्थ कैम्पस दीवारें है ...
भय को देखना हो नतमस्तक...
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~अब आज्ञा दीजिए ...
जय हिन्द !!!
सुंदर संकलन। दीपपर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति। सभी के लिये दीपावली की मंगलकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआभार शिवम भाई..
जवाब देंहटाएंदीपोत्सव की शुभकामनाएँ
सादर...
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबुलेटिन परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!
मेरी रचना को बुलेटिन में सामिल करने के लिये बहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंशानदार बुलेटिन चर्चा सभी चयनित रचनाकारों को बधाई।
आप सब का बहुत बहुत आभार |
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