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स्वामी रामतीर्थ (अंग्रेज़ी: Swami Rama Tirtha, जन्म: 22 अक्टूबर, 1873 - मृत्यु: 17 अक्टूबर, 1906[1]) एक हिन्दू धार्मिक नेता थे, जो अत्यधिक व्यक्तिगत और काव्यात्मक ढंग के व्यावहारिक वेदांत को पढ़ाने के लिए विख्यात थे। रामतीर्थ वेदांत की जीती जागती मूर्ति थे। उनका मूल नाम 'तीरथ राम' था। वह मनुष्य के दैवी स्वरूप के वर्णन के लिए सामान्य अनुभवों का प्रयोग करते थे। रामतीर्थ के लिए हर प्रत्यक्ष वस्तु ईश्वर का प्रतिबिंब थी। अपने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने एक महान् समाज सुधारक, एक ओजस्वी वक्ता, एक श्रेष्ठ लेखक, एक तेजोमय संन्यासी और एक उच्च राष्ट्रवादी का दर्जा पाया। स्वामी रामतीर्थ जिसने अपने असाधारण कार्यों से पूरे विश्व में अपने नाम का डंका बजाया। मात्र 32 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने प्राण त्यागे, लेकिन इस अल्पायु में उनके खाते में जुड़ी अनेक असाधारण उपलब्धियां यह साबित करती हैं कि अनुकरणीय जीवन जीने के लिए लम्बी आयु नहीं, ऊँची इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है।
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
आज स्वामी रामतीर्थ जी की 145वीं जयंती पर हम सब उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। सादर।।
~ आज की बुलेटिन कड़ियाँ ~
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
सभी लिंक लाजवाब थे, मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंस्वामी जी को नमन ...
जवाब देंहटाएंआज के बुलेटिन के सभी लिंक्स लाजवाब हैं ...
आभार मुझे भी आज शामिल करने के लिए ...
स्वामी जी को नमन बहुत ही सुन्दर संकलन सभी चयनित रचनाकारों को बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर बुलेटीन। आभार हर्षवर्धन 'उलूक' की बकवास को जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स अच्छे लगे। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंPlease Click Here
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