प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
सादर आपका
प्रणाम |
एक बार दो दोस्तों को स्कूल में पहले पीरियड से ले कर लंच तक क्लास के बाहर रहने की सज़ा मिली, सज़ा के दौरान ही दोनों ने तय किया कि लंच के बाद स्कूल से भाग किसी होटल में खाना खाने जाएंगे | लंच हुआ आर ये दोनों दोस्त स्कूल से भाग कर होटल पहुंचे और वेटर
को एक प्लेट बटर चिकन लाने के लिए कहा।
जब वेटर बटर चिकन लेकर आया तो एक
दोस्त ने झट से चिकन का बड़ा टुकड़ा उठा लिया और खाना शुरू कर दिया।
यह देख कर दूसरे दोस्त को बहुत बुरा लगा और बोला, "तुम्हें खाने में थोड़ा धैर्य रखना चाहिए और खाने की मेज़ पर थोड़ी तमीज से पेश आना चाहिए।"
यह सुन पहला दोस्त बोला, "अच्छा अगर तुम्हें पहले चिकन उठाने का मौका मिलता तो तुम कौन सा टुकड़ा उठाते?"
दूसरे दोस्त ने बड़ी सहजता से जवाब दिया, "मैं निसंदेह ही छोटे वाला टुकड़ा उठता।"
यह सुन पहला दोस्त बोला, "जब तुम्हें छोटा टुकड़ा ही खाना था, तो अब तुम किस बात के लिए इतना तड़प रहे हो? चुप-चाप खाओ ना।"
यह देख कर दूसरे दोस्त को बहुत बुरा लगा और बोला, "तुम्हें खाने में थोड़ा धैर्य रखना चाहिए और खाने की मेज़ पर थोड़ी तमीज से पेश आना चाहिए।"
यह सुन पहला दोस्त बोला, "अच्छा अगर तुम्हें पहले चिकन उठाने का मौका मिलता तो तुम कौन सा टुकड़ा उठाते?"
दूसरे दोस्त ने बड़ी सहजता से जवाब दिया, "मैं निसंदेह ही छोटे वाला टुकड़ा उठता।"
यह सुन पहला दोस्त बोला, "जब तुम्हें छोटा टुकड़ा ही खाना था, तो अब तुम किस बात के लिए इतना तड़प रहे हो? चुप-चाप खाओ ना।"
दरअसल पक्की दोस्ती कुछ ऐसी ही होती है ... सारी शरारतें और मस्तियों ... के बीच जब भी मौका मिले एक दूसरे की भी खिंचाई कर दी ... बिलकुल मौके पर चौका !!
आज फ्रेंड्शिप डे पर सभी मित्रों को हार्दिक शुभकामनाएं |
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दोस्ती क्या है?
दिलों को जोड़ती है दोस्ती - डॉ शरद सिंह
जब दोस्त, दोस्त के लिए पथरीली राहों पर चला नंगे पांव
मित्रता दिवस
दोस्ती
कोई दोस्त है ना रकीब है....
मितान-मितानिन
मित्र
दोहे "कभी न टूटे मित्रता" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मित्र छाँव है, पूरा एक गाँव है !
भीड़ में थे जब अकेले,तन्हा दोस्तों को साथ अपने खड़ा पाया
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
सुन्दर मित्रता दिवस बुलेटिन। शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंसुंदर बुलेटिन प्रविष्टियां। शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात शुभम् जी
जवाब देंहटाएंमित्रता सिर्फ कल मित्रता दिवस तक ही सीमिक नहीं थी
वह तो चलती ही रहती है..दिवस तो आते- जाते रहते हैं
सादर
बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंसुंदर बुलेटिन। मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंउम्दा बुलेटिन. मेरी पोस्ट को शामिल करने का आभार
जवाब देंहटाएंउम्दा बुलेटिन. मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका आभार.
जवाब देंहटाएंशानदार ...
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार 🙏
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