प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
प्रणाम |
कभी रोता हूँ, वो किसी को दिखाई नहीं देता;
कभी चिंतित रहता हूँ, कोई परवाह नही करता;
कभी मायूस होता हूँ, कोई पूछने तक नही आता;
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पर जब कभी चाट की दुकान पर अकेला जाता हूँ; कोई ना कोई पीछे से आ ही जाता है और पूछ लेता है -
"क्या शिवम् भाई अकेले-अकेले !!??"
अब आज्ञा दीजिए ...
जय हिन्द !!!
"क्या शिवम् भाई अकेले-अकेले !!??"
सादर आपका
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३२२.दूरी
सोशल मीडिया में होने वाला है ऐतिहासिक सामाजिक युद्ध और राजनैतिक जोंबी
दूनं शरणं गच्छामि
सही कहा गया है ... भगवान केवल भक्तं भाव के भूखे होते हैं !!
पिया तुमसे भला तो ये जमाना है ------ mangopeople
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~अब आज्ञा दीजिए ...
जय हिन्द !!!
अब चाँट की दुकान है कुछ खाने को मिलता है। ब्लाँग बुलेटिन में छपी ब्लाग की खबर जो क्या है जो चाट लेती है :) आज का बुलेटिन बढ़िया बना है खासकर सूत्र
जवाब देंहटाएं'सोशल मीडिया में होने वाला है ऐतिहासिक सामाजिक युद्ध और राजनैतिक जोंबी'एक बहुत सटीक विश्लेषण है।
सुन्दर लिंक्स.मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएंतहे दिल से शुक्रिया और आभार आपका !
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन में मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए धन्यवाद | वैसे चाट के दूकान में अकेले जाने से पाप भी लगता है :)
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