Pages

मंगलवार, 29 मई 2018

अदृश्य मुखाग्नि को कोई नहीं देख पाता




किसी भी आवेश में 
कुछ भी कहने से 
खुद को रोको !
वह क्रोध हो,
प्रेम हो,
घृणा हो,
या ईर्ष्या ...
उस वक़्त हर शब्द चिंगारी होते हैं ,
जला देते हैं वो कितने एहसास ...
हाँ,हाँ प्रेम की चिंगारी भी !
क्योंकि, कहे हुए शब्द संचित हो जाते हैं 
मस्तिष्क में,
दिल में,
पूरे शरीर में फैलते जाते हैं 
एकांत की सोच पर फन फैलाकर 
आग उगलते हैं !
आकस्मिक मृत्यु की एक वजह 
यह चिंगारी भी होती है
अदृश्य मुखाग्नि को कोई नहीं देख पाता
लेकिन, वह उसी शब्द की होती है
जो आवेश में कह सुनाई गई होती है ! 


ठिकाना : बेटियों का समुद्र मंथन

चौथे बरस के जश्न तले चुनावी बरस में बढ़ते कदम

सबद विशेष : 21 : गीत चतुर्वेदी की चार नई कविताएँ

मेरी संवेदना : मैं सलाम करता हूँ उन बच्चों को ...

 - شفا کجگاونوی : 05/28/18

शिफ़ा कजगाँवी

रजनीश का ब्लॉग: घड़ी की टिक-टिक

प्रतिरोध, शोर और जुलूस | प्रतिभा की दुनिया ...

http://ushascreation.blogspot.in/2018/05/blog-post_29.html



स्टोरी मिरर पर प्रोत्साहित व पुरस्कृत हुई ये रचना ....
मैं थी, मैं हूँ, मैं रहूँगी !!!!
*****************
जिन्‍दगी को बेखौफ़ होकर जीने का
अपना ही मजा है
कुछ लोग मेरा अस्तित्‍व खत्‍म कर
भले ही यह कहने की मंशा मन में पाले हुये हों
कभी थी, कभी रही होगी, कभी रहना चाहती थी नारी
उनसे मैं पूरे बुलन्‍द हौसलों के साथ
कहना चाहती हूँ, मैं थी, मैं हूँ, मैं रहूँगी ...
न्‍याय की अदालत में गीता की तरह
जिसकी शपथ लेकर लड़ी जाती है हर लड़ाई
सत्‍य की, जहाँ हर पराजय को विजय में बदला जाता है
गीता धर्म की अमूल्‍य निधि है जैसे वैसे ही
मेरा अस्तित्‍व नदियों में गंगा है
मर्यादित आचरण में आज भी मुझे
सीता की उपमा से सम्‍मानित किया जाता है
धीरता में मुझे सावित्री भी कहा है
तो हर आलोचना से परे वो मैं ही थी जो
शक्ति का रूप कहलाई दुर्गा के अवतार में
मुझे परखा गया जब भी कसौटियों पर
हर बार तप कर कुंदन हुई मैं
फिर भी मेरा कुंदन होना
किसी को रास नहीं आता
हर बार वही कांट-छांट
वही परख मेरी हर बार की जाती
मैं जलकर भस्‍म होती
तो औषधि बन जाती
यही है मेरे अस्तित्‍व की
जिजीविषा जो खुद मिटकर भी
औरों को जीवनदान देती है, देती रहेगी !!!
मैं पूरे बुलन्‍द हौसलों के साथ फिर से
कहना चाहती हूँ, मैं थी, मैं हूँ, मैं रहूँगी ....

5 टिप्‍पणियां:

  1. अदृश्य मुखाग्नि को कोई नहीं देख पाता..... बेहद गहन व् सशक्त .. सादर आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. सच कहा आपने यदि तोल मोल के नहीं बोला तो आग तो लगनी है कभी न कभी
    बहुत अच्छी गंभीर विचार प्रस्तुति के साथ बुलेटिन का अंक

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय दीदी
    सादर नमन
    सटीक प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया, सदा की तरह उम्दा संकलन

    जवाब देंहटाएं

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!