प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
विनायक दामोदर सावरकर (अंग्रेजी: Vinayak Damodar Savarkar, जन्म: २८ मई १८८३ - मृत्यु: २६ फरवरी १९६६) भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। उन्हें प्रायः वीर सावरकर के नाम से सम्बोधित किया जाता है। हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा (हिन्दुत्व) को विकसित करने का बहुत बडा श्रेय सावरकर को जाता है। वे न केवल स्वाधीनता-संग्राम के एक तेजस्वी सेनानी थे अपितु महान क्रान्तिकारी, चिन्तक, सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता भी थे। वे एक ऐसे इतिहासकार भी हैं जिन्होंने हिन्दू राष्ट्र की विजय के इतिहास को प्रामाणिक ढँग से लिपिबद्ध किया है। उन्होंने १८५७ के प्रथम स्वातंत्र्य समर का सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिखकर ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया था।
भगवती चरण वोहरा (4 जुलाई, 1904 - 28 मई, 1930)) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी थे। वे हिन्दुस्तान प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य और सरदार भगत सिंह के साथ ही एक प्रमुख सिद्धांतकार होते हुए भी गिरफ्तार नही किए जा सके और न ही वे फांसी पर चढ़े। उनकी मृत्यु बम परिक्षण के दौरान दुर्घटना में हुई। भगवती चरण की शिक्षा-दीक्षा लाहौर में हुई। उनका विवाह भी कम उम्र में कर दिया गया। पत्नी का नाम दुर्गा था। बाद के दौर में उनकी पत्नी भी क्रांतिकारी कार्यो की सक्रिय सहयोगी बनी। उन को क्रान्तिकारियो द्वारा दिया गया " दुर्गा भाभी " सन्बोधन एक आम सन्बोधन बन गया।
इंकलाब ज़िंदाबाद !!!
प्रणाम |
आज २८ मई है ... आज के दिन बेहद खास है ... आज का दिन जुड़ा हुआ दो दो अमर क्रांतिकारियों से ... एक की आज १३५ वीं जयंती है तो एक की ८८ वीं पुण्यतिथि |
विनायक दामोदर सावरकर (अंग्रेजी: Vinayak Damodar Savarkar, जन्म: २८ मई १८८३ - मृत्यु: २६ फरवरी १९६६) भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। उन्हें प्रायः वीर सावरकर के नाम से सम्बोधित किया जाता है। हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा (हिन्दुत्व) को विकसित करने का बहुत बडा श्रेय सावरकर को जाता है। वे न केवल स्वाधीनता-संग्राम के एक तेजस्वी सेनानी थे अपितु महान क्रान्तिकारी, चिन्तक, सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता भी थे। वे एक ऐसे इतिहासकार भी हैं जिन्होंने हिन्दू राष्ट्र की विजय के इतिहास को प्रामाणिक ढँग से लिपिबद्ध किया है। उन्होंने १८५७ के प्रथम स्वातंत्र्य समर का सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिखकर ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया था।
भगवती चरण वोहरा (4 जुलाई, 1904 - 28 मई, 1930)) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी थे। वे हिन्दुस्तान प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य और सरदार भगत सिंह के साथ ही एक प्रमुख सिद्धांतकार होते हुए भी गिरफ्तार नही किए जा सके और न ही वे फांसी पर चढ़े। उनकी मृत्यु बम परिक्षण के दौरान दुर्घटना में हुई। भगवती चरण की शिक्षा-दीक्षा लाहौर में हुई। उनका विवाह भी कम उम्र में कर दिया गया। पत्नी का नाम दुर्गा था। बाद के दौर में उनकी पत्नी भी क्रांतिकारी कार्यो की सक्रिय सहयोगी बनी। उन को क्रान्तिकारियो द्वारा दिया गया " दुर्गा भाभी " सन्बोधन एक आम सन्बोधन बन गया।
ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से आज हम सब इन दोनों क्रांतिकारियों को शत शत नमन करते है !
इंकलाब ज़िंदाबाद !!!
सादर आपका
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क्या मधुपुर बेतहाशा भागने से पहले थोड़ा सोचेगा?
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
ये मेरा सौभाग्य है की अमर क्रांतिकारी वीर सावरकर की जयंती के साथ मेरी ग़ज़ल को जगह दी है आपने ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ...
सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार |
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