नमस्कार
साथियो,
आज
देश महावीर जयंती मना रहा है. जैनियों के २४वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म
ईसा से ५९९ वर्ष पूर्व चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को वैशाली में लिच्छिवी वंश के महाराज
सिद्धार्थ और माता त्रिशला के यहाँ हुआ. उनके बचपन का नाम वर्धमान था. वे बाल्यकाल
से ही साहसी, तेजस्वी, ज्ञान पिपासु और अत्यन्त बलशाली थे. विद्याध्ययन
के पश्चात उनका विवाह यशोदा नामक सुन्दर राजकन्या से हुआ. इनके संयोग से उन्हें कन्या
रत्न प्रियदर्शन की प्राप्ति हुई. परिवार मोह वर्धमान को लम्बे समय तक मोह-माया में
बाँध कर नहीं रख पाया. माता-पिता के स्वर्गवास पश्चात वर्धमान तीस वर्ष की युवावस्था
में तपस्या के लिए निकल पड़े. गहन वनों में ज्ञान की खोज करते हुए उन्होंने कठोर तपस्या
की तथा वस्त्र एवं भिक्षा-पात्र तक त्याग दिया. उनका मानना था कि इच्छा आवश्यकता को
और आवश्यकता इच्छा को जन्म देती है. वे इस अन्तहीन सिलसिले को समाप्त करना चाहते थे.
उन्होंने शरीर को कष्ट देने को ही अहिंसा नहीं माना बल्कि मन, वचन, कर्म से भी किसी को आहत करना उनकी दृष्टि में अहिंसा थी. अहिंसा,
सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य
और अपरिग्रह को पूर्णतया अपने जीवन में उतार कर वे वर्धमान से महावीर जिन कहलाए.
जिन से ही जैन बना है जिसका अर्थ है अपने को
जीत लेना. इस प्रकार जो काम जयी है, तृष्णा जयी है, इन्द्रिय जयी है, भेद जयी है वही जैन है. भगवान महावीर
ने अपनी इन्द्रियों को जीत लिया और जितेन्द्र कहलाए.
वर्द्धमान
नाम का कोई राजकुमार, जिसके चारों तरफ वैभव तैरता हो, सुविधाएँ
जिसको घेरे रहती हों, ऐश्वर्य जिसकी आरती उतारता हो वह यदि सब
कुछ स्वेच्छा से त्यागकर, वैराग्य धारण करता है तो निस्संदेह
वह अलौकिक भी है, असाधारण भी है और अनुकरणीय भी है. ऐसे ही राजकुमार
को समाज ने वर्धमान के बजाय महावीर रूप में स्वीकार किया है. आज ऐसे महापुरुष की जयंती
को महावीर जयंती के रूप में सम्पूर्ण समाज मना रहा है.
आप सभी को भी महावीर जयंती की शुभकामनायें.
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सुन्दर महावीर जयन्ती बुलेटिन। शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सुरुचिपूर्ण लिंक। आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति, मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंमेरी कविता को स्थान देने के लिये हार्दिक आभार आपका🙏
sundar prastuti...
जवाब देंहटाएंmeri rachna "Bechare Neta Jee" ko sthan dene hetu dhanyavad.
https://meremankee.blogspot.in/2018/03/indian-leaders.html
बहुत बढ़िया प्रस्तुति....मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद
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