प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से स्वामी विवेकानन्द जी की १५५ वीं जयंती के अवसर पर उनको शत शत नमन |
प्रणाम |
"सभी मरेंगे- साधु या असाधु, धनी या दरिद्र- सभी मरेंगे। चिर काल तक किसी का शरीर नहीं रहेगा। अतएव उठो, जागो और संपूर्ण रूप से निष्कपट हो जाओ।
भारत में घोर कपट समा गया है। चाहिए चरित्र, चाहिए इस तरह की दृढ़ता और चरित्र का बल, जिससे मनुष्य आजीवन दृढ़व्रत बन सके।"
- स्वामी विवेकानन्द
सादर आपका
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विवेकानंद जयंती : तुम्हारी आत्मा के अलावा कोई और गुरु नहीं है
बचपन
दो नन्हे शावक
ठंड
दूधनाथ सिंह : एक प्रतिबद्ध स्वर
विवेकानंद और वेश्या.. सोशल मीडिया के युग मे एक क्रांतिकारी विचार.. पढ़िए तो!
हवाई द्वीप - सृष्टी के बदलते रँग
सर्दी ने ढाया सितम
फिल्मों को जरुरत है, स्वस्थ दिलो-दिमाग वाले निर्माताओं की
आपकी अदालत में कुमार विश्वास
महान क्रान्तिकारी सूर्य सेन "मास्टर दा" की ८४ वीं पुण्यतिथि
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आपकी अदालत में कुमार विश्वास
महान क्रान्तिकारी सूर्य सेन "मास्टर दा" की ८४ वीं पुण्यतिथि
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
नमन हे युगपुरुष नमन।
जवाब देंहटाएंस्वामी विवेकानन्द को शत शत नमन . आज के बुलेटिन में यात्रानामा शामिल करने के लिए आभारी हूँ .
जवाब देंहटाएंयुवाओं के प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद जी के जन्म दिवस पर उन्हें सादर नमन। ब्लॉग बुलेटिन की सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंप्रसिद्द कहानीकार एवं आलोचक स्वर्गीय दूधनाथ सिंह जी को हमारी ओर से विनम्र श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंसारगर्भित पोस्ट , बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंयुवा प्रेरणा स्त्रोत स्वामी विवेकानंद जी को नमन!
आप सब का बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएंअप्रितम कहानीकार दूधनाथ सिंह जी को विनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर
सुन्दर सार्थक प्रस्तुति
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