Pages

शनिवार, 2 दिसंबर 2017

2017 का अवलोकन 18



युग दृष्टि और उसे परखती आशीष जी की कलम  ... 

My photo




सुनो तुम ईवा हो 
कभी सोने के रंग जैसी 
तो कभी फूलों की उमंग जैसी 
कभी कच्ची मखमली घास की छुवन
युग ,संवत्सर , स्वर्ग और भुवन 
तुम्हारा शरीर क्या है
दो नदियाँ मिलती है अलग होती है
तुम भाव की नदी बनकर धरती की माँझ हो
भाव की देह हो भाव का नीर हो
भाव की सुबह और भाव की सांझ हो
तुमने सुना है देह वल्कल क्या चीज़ है ?
तुम्हारे दोनों ऊरुओं के मध्य
घूमता है स्वर्णिम रौशनी का तेज चक्र
उत्ताप से नग्न वक्ष का कवच
मसृण और स्निग्ध हो जाता है
तुम रति हो फिर भी
तुम्हारी भास्वर कांतिमय देह
किसी कामी पुरुष की तरह स्रवित नहीं होती
सुनो ! आकाश भी छटपटाता है
धरती बधू को बाँहों में घेरने के लिए
वधू -धरित्री की भी ऐसी आकांक्षा होगी
नहीं पता मै लिख पाया या नहीं
लेकिन ये है इह मृगया
जाने गलत है या सही .


उपासना सियाग और उनकी नयी उड़ान 

My photo






वजूद स्त्रियों का 
खण्ड -खण्ड
बिखरा-बिखरा सा। 

मायके के देश  से ,
ससुराल के परदेश में 
एक सरहद से 
दूसरी सरहद तक। 

कितनी किरचें 
कितनी छीलन बचती है 
वजूद को समेटने में। 

छिले हृदय में 
रिसती है 
धीरे -धीरे 
वजूद बचाती। 
ढूंढती,
और समेटती। 

जलती हैं 
धीरे-धीरे 
बिना अग्नि - धुएं  के
राख हो जाने तक।  

धंसती है 
धीरे -धीरे 
पोली जमीन में ,
नहीं मिलती ,
थाह फिर भी 
अपने वजूद की। 

नहीं मिलती थाह उसे 
जमीन में भी ,
क्यूंकि उसे नहीं मालूम 
उसकी जगह है 
ऊँचे आसमानों में। 

इस सरहद से 
उस सरहद की उलझन में 
 भूल गई है 
अपने पंख कहीं रख कर। 

 भटकती है 
वह यूँ ही 
कस्तूरी मृग सी। 

4 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया चयन। बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  2. दोनों कविताओं में ग़जब का विरोधाभास है! स्त्री ने स्त्री के वजूद को खंड-खंड बिखरा-बिखरा पाया और पुरुष ने स्त्री में त्रिलोक देख लिया!

    आप के चयन को नमन.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छी अवलोकन प्रस्तुति ..

    जवाब देंहटाएं
  4. दोनों ही रचनायें कमाल के भाव लिए हुए ....

    जवाब देंहटाएं

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!