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शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2017

याद दिलाने का मेरा फ़र्ज़ बनता है ...

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

आप सब से अनुरोध है कि घर में 500/2000 के जितने भी नोट हों तो धीरे-धीरे निकालते रहिएगा ...
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वो क्या है न कि 8 नवंबर नज़दीक आ रहा है ... और याद दिलाने का मेरा फ़र्ज़ बनता है।


सादर आपका
शिवम् मिश्रा
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तुम मेरा न्यू यॉर्क हो

अयोध्याजी में राजा दशरथजी के यहाँ पुत्र रूप में प्रगट होने से पहले रामजी और कहाँ प्रगट हुए थे

जिंदगी को खिलखिलाना आ गया

शाश्वत कटु सत्य ... !!!

पुदीने के परांठे

मॉस वॉल और ''स्मॉग फ्री टॉवर''की दरकार

लेह से नुब्रा , विश्व के सबसे ऊंचे खरदुंगला पास से होकर , एक रोमांचक सफ़र ---

पहले जुड़िये फिर बात कहिये

प्यार की अजीब होती है दास्ताँ

कार्टून:- हाय कार चुर गई रे

लफ्ज़ जो ज़िंदा तस्वीर हैं

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अब आज्ञा दीजिये ... 

जय हिन्द !!! 

2 टिप्‍पणियां:

  1. जिसे याद रखना है
    वो फिर याद दिलायेगा
    अपने ठिकाने लगायेगा
    फिर पूछने चला आयेगा :)

    बढ़िया प्रस्तुति शिवम जी।

    जवाब देंहटाएं

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