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गुरुवार, 12 अक्टूबर 2017

सादगी और त्याग की प्रतिमूर्ति राजमाता : ब्लॉग बुलेटिन

राजमाता के नाम से जन-जन के दिलों में राज करने वाली विजयाराजे सिंधिया का आज, 12 अक्टूबर को जन्मदिन है. उनका जन्म 1919 को सागर, मध्य प्रदेश के राणा परिवार में हुआ था. उनके पिता श्री महेन्द्रसिंह ठाकुर जनपद जालौन के डिप्टी कलैक्टर थे. उनका विवाहपूर्व लेखा दिव्येश्वरी था. 21 फ़रवरी 1941 को उनका विवाह ग्वालियर के महाराजा जीवाजीराव सिंधिया से हुआ. माधवराव सिंधिया उनके पुत्र तथा वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया उनकी पुत्रियाँ हैं.


अपने पति जीवाजीराव सिंधिया की मृत्यु के बाद सन 1957 में वे कांग्रेस के टिकट पर पहली बार सांसद निर्वाचित हुईं. बाद में अपने सैद्धांतिक मूल्यों के कारण राजमाता कांग्रेस छोड़कर जनसंघ में शामिल हो गईं. राजपरिवार से होने के बाद भी वे अपनी ईमानदारी, सादगी और प्रतिबद्धता के कारण पार्टी में सर्वप्रिय बन गईं. वे पाँच बार 1957, 1962, 1971, 1989, 1991 में लोकसभा के लिए तथा 1967 में मध्य प्रदेश विधान सभा के लिए निर्वाचित हुईं. वर्ष 1978 में उनको राज्यसभा के लिए निर्वाचित किया गया. राजमाता सदैव त्याग एवं समर्पण की प्रतिमूर्ति रहीं. उन्होंने राजसी ठाठ-वाट का मोह त्यागकर जनसेवा को अपनाया. सत्ता के शीर्ष पर पहुँचने के बाद भी उन्होंने जनसेवा से कभी नाता नहीं तोडा. अपनी सादगी और कार्यशैली के चलते जन-जन के ह्रदय में बसी राजमाता 25 जनवरी 2001 को सबको पीछे छोड़कर अनंत यात्रा पर निकल गईं.

आज उनके जन्मदिवस पर ब्लॉग बुलेटिन परिवार की तरफ से सादर श्रद्धांजलि

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4 टिप्‍पणियां:

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