सभी हिन्दी ब्लॉगर्स को मेरा सादर नमस्कार।
काका हाथरसी (अंग्रेज़ी:Kaka Hathrasi) (वास्तविक नाम- प्रभुलाल गर्ग, जन्म- 18 सितंबर, 1906, हाथरस, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 18 सितंबर, 1995) भारत के प्रसिद्ध हिन्दी हास्य कवि थे। उन्हें हिन्दी हास्य व्यंग्य कविताओं का पर्याय माना जाता है। काका हाथरसी की शैली की छाप उनकी पीढ़ी के अन्य कवियों पर तो पड़ी ही थी, वर्तमान में भी अनेक लेखक और व्यंग्य कवि काका की रचनाओं की शैली अपनाकर लाखों श्रोताओं और पाठकों का मनोरंजन कर रहे हैं। उनकी रचनाएँ समाज में व्याप्त दोषों, कुरीतियों, भ्रष्टाचार और राजनीतिक कुशासन की ओर सबका ध्यान आकृष्ट करती हैं। भले ही काका हाथरसी आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी हास्य कविताए, जिन्हें वे 'फुलझडियाँ' कहा करते थे, सदैव हमे गुदगुदाती रहेंगी।
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
श्रीकांत वर्मा (अंग्रेज़ी: Shrikant Varma; जन्म- 18 सितम्बर, 1931, बिलासपुर, छत्तीसगढ़; मृत्यु- 26 मई, 1986, न्यूयार्क) हिन्दी साहित्य में कथाकार, गीतकार और एक समीक्षक के रूप में विशेष तौर पर जाने जाते हैं। राजनीति से भी ये जुड़े हुए थे और 1976 में राज्य सभा में निर्वाचित हुए थे। श्रीकांत वर्मा दिल्ली में पत्रकारिता से भी जुड़ गये थे। वर्ष 1965 से 1977 तक उन्होंने 'टाइम्स ऑफ़ इण्डिया' से निकलने वाली पत्रिका 'दिनमान' में संवाददाता की हैसियत से कार्य किया। श्रीकांत वर्मा भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी के काफ़ी क़रीब थे। श्रीकांत वर्मा को कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था।
आज काका हाथरसी जी और श्रीकांत शर्मा जी के जन्म दिवस पर हम सब उन्हें स्मरण करते हुए शत शत नमन करते हैं।
~ आज की बुलेटिन कड़ियाँ ~
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
शुभ प्रभात हर्ष भाई
जवाब देंहटाएंएक बेहतरीन बुलेटिन
आभार
सादर
काका हाथरसी जी और श्रीकांत शर्मा जी के जन्म दिवस पर उन्हें नमन । सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति हर्षवर्धन।
जवाब देंहटाएंकाका और श्रीकांत जी को नमन है ...
जवाब देंहटाएंआभार आज मेरी ग़ज़ल को भी जगह देने के लिए ...
बहुत बहुत शुक्रिया, दोस्त। तुम फ्री हो तो कभी हैप्पी अभिनंदन के लिए भी समय देना।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहर्ष भाई,
जवाब देंहटाएंखुश रहिए
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जवाब देंहटाएंपर काका को अपने समय में उनका हक नहीं मिल पाया !
जवाब देंहटाएंकाका हाथरसी व श्रीकांत वर्मा को पुण्य नमन ! पठनीय सूत्रों से सजा बुलेटिन, आभार !
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