प्रिय मित्रों,
हिन्दी ग़ज़ल में जो लोकप्रियता
दुष्यंत को मिली,
वो किसी विरले कवि को है मिलती.
हिन्दी के ऐसे कवि-ग़ज़लकार हैं
वे अब तक,
जिनका लेखन गूँजता है सड़क से
संसद तक.
यूँ तो अनेक विधाओं में उनकी कलम
चली,
किन्तु ग़ज़लों को ही अपार लोकप्रियता
मिली.
जन्मस्थान बिजनौर का ग्राम राजपुर
नवादा,
दिन था वो 1 सितम्बर 1933 का.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा
प्राप्त करके,
आकाशवाणी भोपाल में असिस्टेंट
प्रोड्यूसर बने.
नाम दुष्यंत कुमार त्यागी
स्वभाव से सहज-मनमौजी,
आरम्भ में रचनाएँ की बनकर दुष्यंत
कुमार परदेशी.
साहित्य की दुनिया में पदार्पण
किया था जब,
प्रगतिशील शायरों, कवियों का राज
था तब.
ग़ज़लों में ताज भोपाली औ क़ैफ़
भोपाली छाये थे,
अज्ञेय और मुक्तिबोध हिन्दी
की कठिन बनाये थे.
तब सहज ग़ज़ल लिख उसे कठिनता से
निकाला,
प्रसिद्धि पाई और हिन्दी में ग़ज़ल
को निखारा.
साये में धूप एकमात्र ग़ज़ल संग्रह उनका,
आज भी साहित्य-प्रेमियों के बीच
जाता है सराहा.
30 दिसम्बर 1975 को हिन्दी गज़लकार सो गया,
42 वर्ष की अल्पायु
में उनका निधन हो गया.
उनका नाम अमर रहेगा हिन्दी ग़ज़ल
में,
आवाज़ बन उभरेगा जन-जन के दिल
में.
हिन्दी ग़ज़ल के निर्विवाद
नायक को काव्यात्मक श्रद्धांजलि के साथ काव्यात्मक-बुलेटिन
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नमन दुष्ययंत जी को। बहुत सुन्दर बुलेटिन।
जवाब देंहटाएंसादर नमन
जवाब देंहटाएंदुष्यन्त जी के बारे में सटीक जानकारी। बुलेटिन में मेरी रचना को स्थान देने के लिये धन्यवाद
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात राजा साहब...
जवाब देंहटाएंसादर नमन
हिन्दी ग़ज़ल के जनक को
आभार आपको
सादर
आदरणीय,मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए हार्दिक आभार प्रकट करती हूँ। साथ ही अपने आपको भाग्यशाली मानती हूँ कि पहली बार जिस ब्लॉग बुलेटिन में आई हूँ वह मेरे अजीज़ शायर एवं कवि दुष्यंत कुमार जी से जुड़ा हुआ है । सादर धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंग़ज़ल सम्राट दुष्यंत कुमार जी को हार्दिक श्रद्धा सुमन!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति
आ0 विशेष आभार । दुष्यंत कुमार जी को सादर श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंमेरी कविता " स्त्रीत्व का सृजन" को ब्लॉग बुलेटिन में स्थान देने के लिए सादर धन्यवाद |
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