प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
हबीब तनवीर (जन्म: 1 सितंबर 1923) भारत के मशहूर पटकथा लेखक, नाट्य निर्देशक, कवि और अभिनेता थे। हबीब तनवीर का जन्म छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुआ था, और निधन 8 जून,2009 को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हुआ। उनकी प्रमुख कृतियों में आगरा बाजार (1954) चरणदास चोर (1975) शामिल है। उन्होंने 1959 में दिल्ली में नया थियेटर कंपनी स्थापित किया था।
जीवनवृत
हबीब तनवीर का जन्म 1 सितम्बर,1932 को रायपुर में हुआ था। जो अब छत्तीसगढ़ की राजधानी है। उनके बचपन का नाम हबीब अहमद खान था। उन्होंने लॉरी म्युनिसिपल हाईस्कूल से मैट्रीक पास की, म़ॉरीस कॉलेज, नागपुर से स्नातक किया (1944) और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से एमए की। बचपन से हीं कविता लिखने का शौक चढ़ा। पहले तनवीर के छद्मनाम नाम से लिखना शुरू किया जो बाद में उनका पुकार नाम बन गया।
करियर
सन् 1945 में वे मुम्बई चले गये और प्रोड्यूसर के तौर पर आकाशवाणी में नौकरी शुरू की। वहां रहते हुए उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिए गाने लिखा। कुछ फिल्मों में अभिनय भी किया। प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़ गये और कलांतर में इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन के अंग बन गये। जब ब्रिटीश शासन के खिलाफ इप्टा से जुड़े कई लोग जेल चले गये तब हबीब तनवीर को संगठन की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी। 1954 वे दिल्ली आ गये और हिन्दुस्तानी थियेटर से जुड़ गये। उन्होंने बाल थियेटर के लिए भी काम किया। कई नाटकों की रचना की। यहीं रहते हुए उनकी मुलाकात अभिनेता-निर्देशक मोनिका मिश्रा से हुई जिनसे उन्होंने आगे चलकर शादी कर ली। उसी साल उन्होंने अपना चर्चित नाटक आगरा बाजार लिखा।
पुरस्कार और सम्मान
हबीब तनवीर को संगीत नाटक एकेडमी अवार्ड (1969), पद्मश्री अवार्ड (1983) संगीत नाटक एकादमी फेलोशीप (1996), पद्म विभूषण(2002) जैसे सम्मान मिले। वे 1972 से 1978 तक संसद के उच्च सदन यानि राज्यसभा में भी रहे। उनका नाटक चरणदास चोर एडिनवर्ग इंटरनेशनल ड्रामा फेस्टीवल (1982) में पुरस्कृत होने वाला पहला भारतीय नाटक रहा ।
ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से स्व॰ हबीब तनवीर साहब की ९४ वीं जयंती पर हम सब उन्हें शत शत नमन करते हैं |
प्रणाम |
हबीब तनवीर (जन्म: 1 सितंबर 1923) भारत के मशहूर पटकथा लेखक, नाट्य निर्देशक, कवि और अभिनेता थे। हबीब तनवीर का जन्म छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुआ था, और निधन 8 जून,2009 को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हुआ। उनकी प्रमुख कृतियों में आगरा बाजार (1954) चरणदास चोर (1975) शामिल है। उन्होंने 1959 में दिल्ली में नया थियेटर कंपनी स्थापित किया था।
जीवनवृत
हबीब तनवीर का जन्म 1 सितम्बर,1932 को रायपुर में हुआ था। जो अब छत्तीसगढ़ की राजधानी है। उनके बचपन का नाम हबीब अहमद खान था। उन्होंने लॉरी म्युनिसिपल हाईस्कूल से मैट्रीक पास की, म़ॉरीस कॉलेज, नागपुर से स्नातक किया (1944) और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से एमए की। बचपन से हीं कविता लिखने का शौक चढ़ा। पहले तनवीर के छद्मनाम नाम से लिखना शुरू किया जो बाद में उनका पुकार नाम बन गया।
करियर
सन् 1945 में वे मुम्बई चले गये और प्रोड्यूसर के तौर पर आकाशवाणी में नौकरी शुरू की। वहां रहते हुए उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिए गाने लिखा। कुछ फिल्मों में अभिनय भी किया। प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़ गये और कलांतर में इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन के अंग बन गये। जब ब्रिटीश शासन के खिलाफ इप्टा से जुड़े कई लोग जेल चले गये तब हबीब तनवीर को संगठन की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी। 1954 वे दिल्ली आ गये और हिन्दुस्तानी थियेटर से जुड़ गये। उन्होंने बाल थियेटर के लिए भी काम किया। कई नाटकों की रचना की। यहीं रहते हुए उनकी मुलाकात अभिनेता-निर्देशक मोनिका मिश्रा से हुई जिनसे उन्होंने आगे चलकर शादी कर ली। उसी साल उन्होंने अपना चर्चित नाटक आगरा बाजार लिखा।
पुरस्कार और सम्मान
हबीब तनवीर को संगीत नाटक एकेडमी अवार्ड (1969), पद्मश्री अवार्ड (1983) संगीत नाटक एकादमी फेलोशीप (1996), पद्म विभूषण(2002) जैसे सम्मान मिले। वे 1972 से 1978 तक संसद के उच्च सदन यानि राज्यसभा में भी रहे। उनका नाटक चरणदास चोर एडिनवर्ग इंटरनेशनल ड्रामा फेस्टीवल (1982) में पुरस्कृत होने वाला पहला भारतीय नाटक रहा ।
ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से स्व॰ हबीब तनवीर साहब की ९४ वीं जयंती पर हम सब उन्हें शत शत नमन करते हैं |
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
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तत्रभवान् राजा रामपाल सिंह
ताप, बारिश, इश्क शहर
अरे ओ बेरंग ज़रा देख रंगों का कारबार क्या है
स्माल वंडर
रियलिटी शो (!) और बाबा रामदेव जी
रेल हादसा
गुरूदीक्षा लेने के कुचक्र के आफ्टरइफेक्ट हैं ये सब...
मानव होने के अधिकार से वंचित किन्नर
भूलना सबसे बुरी आदत
एक साल के हुए हमारे पेड़
वैवाहिक बलात्कार :
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
Aapne habeeb sahab ko yad kiya ..sukhad.
जवाब देंहटाएंस्व॰ हबीब तनवीर साहब की ९४ वीं जयंती पर शत-शत नमन!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
आप सब का बहुत बहुत आभार |
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