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बुधवार, 16 अगस्त 2017

सुभद्रा कुमारी चौहान और ब्लॉग बुलेटिन

सभी ब्लॉगर मित्रों को मेरा सादर नमस्कार।
सुभद्रा कुमारी चौहान (अंग्रेज़ी: Subhadra Kumari Chauhan, जन्म: 16 अगस्त, 1904; मृत्यु: 15 फरवरी, 1948) हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं। उनके दो कविता संग्रह तथा तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए, पर उनकी प्रसिद्धि 'झाँसी की रानी' कविता के कारण है। सुभद्रा जी राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवयित्री रहीं, किन्तु उन्होंने स्वाधीनता संग्राम में अनेक बार जेल यातनाएँ सहने के पश्चात अपनी अनुभूतियों को कहानी में भी व्यक्त किया। वातावरण चित्रण-प्रधान शैली की भाषा सरल तथा काव्यात्मक है, इस कारण उनकी रचना की सादगी हृदयग्राही है।

'चमक उठी सन् सत्तावन में
वह तलवार पुरानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी
ख़ूब लड़ी मरदानी वह तो

झाँसी वाली रानी थी।'


वीर रस से ओत प्रोत इन पंक्तियों की रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान को 'राष्ट्रीय वसंत की प्रथम कोकिला' का विरुद दिया गया था। यह वह कविता है जो जन-जन का कंठहार बनी। कविता में भाषा का ऐसा ऋजु प्रवाह मिलता है कि वह बालकों-किशोरों को सहज ही कंठस्थ हो जाती हैं। कथनी-करनी की समानता सुभद्रा जी के व्यक्तित्व का प्रमुख अंग है। इनकी रचनाएँ सुनकर मरणासन्न व्यक्ति भी ऊर्जा से भर सकता है।



आज महान कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी के 113वीं जयंती पर हम सब उन्हें शत शत नमन करते हैं। 


~ आज की बुलेटिन कड़ियाँ ~ 














आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर  .... अभिनन्दन।।

4 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति हर्षवर्धन। गजब की नजर है आपकी कूड़े पर पड़ ही जाती है हमेशा आभारी है कबाड़ी 'उलूक'।

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  2. शुभ प्रभात हर्षवर्धन भाई
    अच्छी रचनाओं से अवगत हुई
    सादर

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  3. बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
    महान कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी के 113वीं जयंती पर उन्हें शत शत नमन!

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  4. सुभद्राकुमारी चौहान की पुण्य स्मृति दिलाने के लिए आभार..उनकी यह कविता आज भी पढ़ती हूँ तो मन मन जोश से भर जाता है, पठनीय सूत्रों की जानकारी देता बुलेटिन..बधाई !

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