प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
विक्रम अंबालाल साराभाई (१२ अगस्त, १९१९- ३० दिसंबर, १९७१) भारत के
प्रमुख वैज्ञानिक थे। इन्होंने ८६ वैज्ञानिक शोध पत्र लिखे एवं ४० संस्थान
खोले। इनको विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में सन १९६६ में भारत
सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
डॉ॰ विक्रम साराभाई के नाम को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से अलग नहीं
किया जा सकता। यह जगप्रसिद्ध है कि वह विक्रम साराभाई ही थे जिन्होंने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत
को अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर स्थान दिलाया। लेकिन इसके साथ-साथ उन्होंने
अन्य क्षेत्रों जैसे वस्त्र, भेषज, आणविक ऊर्जा, इलेक्ट्रानिक्स और अन्य
अनेक क्षेत्रों में भी बराबर का योगदान किया।
परिचय
डॉ॰
साराभाई के व्यक्तित्व का सर्वाधिक उल्लेखनीय पहलू उनकी रूचि की सीमा और
विस्तार तथा ऐसे तौर-तरीके थे जिनमें उन्होंने अपने विचारों को संस्थाओं
में परिवर्तित किया। सृजनशील वैज्ञानिक, सफल और दूरदर्शी उद्योगपति, उच्च
कोटि के प्रवर्तक, महान संस्था निर्माता, अलग किस्म के शिक्षाविद, कला
पारखी, सामाजिक परिवर्तन के ठेकेदार, अग्रणी प्रबंध प्रशिक्षक आदि जैसी
अनेक विशेषताएं उनके व्यक्तित्व में समाहित थीं। उनकी सबसे महत्त्वपूर्ण
विशेषता यह थी कि वे एक ऐसे उच्च कोटि के इन्सान थे जिसके मन में दूसरों के
प्रति असाधारण सहानुभूति थी। वह एक ऐसे व्यक्ति थे कि जो भी उनके संपर्क
में आता, उनसे प्रभावित हुए बिना न रहता। वे जिनके साथ भी बातचीत करते,
उनके साथ फौरी तौर पर व्यक्तिगत सौहार्द स्थापित कर लेते थे। ऐसा इसलिए
संभव हो पाता था क्योंकि वे लोगों के हृदय में अपने लिए आदर और विश्वास की
जगह बना लेते थे और उन पर अपनी ईमानदारी की छाप छोड़ जाते थे।
ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से ९८ वीं जयंती के अवसर पर डॉ॰ विक्रम साराभाई को शत शत नमन |
सादर आपका
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भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई
मैं पूजित होने के लिए कब तक अभिशप्त रहूंगा
A TO Z
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जय हिन्द !!!
नमन विक्रम साराभाई को। सुन्दर बुलेटिन।
जवाब देंहटाएंबढ़िया। आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंडॉ॰ विक्रम साराभाई को शत शत नमन !!
आप सब का बहुत बहुत आभार |
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