Pages

मंगलवार, 18 जुलाई 2017

काश ! समय रहते तुम मजबूत हो जाओ




कमज़ोरी यदि बीमारी बन जाए 
तो ज़िम्मेदार तुम 
निकलने का रास्ता भी तुम 
.... 
सोचना तुम्हें है 
जो साथ हैं उनको खो देना है 
या खुद खोकर यह साबित करना है 
कि उनका होना कोई मायने नहीं रखता था !

काश ! समय रहते तुम मजबूत हो जाओ 



5 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ! क्या बात है सुन्दर ,कोमल भावनाओं से सजी रचना आभार। "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति ...

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर, आभार.
    रामराम
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग

    जवाब देंहटाएं
  4. अच्छा बुलेटिन तैयार किया , विशेषकर महिला व्यंग्यकार और पुरुष व्यंग्यकार का अंतर्विरोध बहुत सटीक लगा ... वंदना बाजपेयी

    जवाब देंहटाएं

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!