इंसान का दिमाग
खाली हो चाहे भरा हुआ, सैतान का घर होब्बे करता है. कुछ न कुछ सैतानी बिचार दिमाग
में हमेसा चलते रहता है. एही कारण है कि हर आदमी को रहस्य बहुत पसंद आता है. अब
रहस्य चाहे कोनो टाइप का काहे नहीं हो, जैसे ऑफिस में कऊन का कहता है, पड़ोस में का
बात चल रहा है, किसका बेटा आजकल कोनो काम नहीं कर रहा है अऊर किसका बेटी आजकल
फलाना से बहुत बतियाती है.
सिनेमा का
पत्रिका में भी गॉसिप का ओही से बहुत महत्व होता है. फलाने ऐक्टर का आजकल का उसके
साथ छुप छुपा कर रोमांस चालू है, उसका ब्रेक अप हो गया है, फलानी गर्भवती है, इहो
बात सब गॉसिप कॉलम से पता चलता रहता है अऊर लोग को मजा भी आता है.
एही रहस्य के
कारन टीवी का सीरियल एलास्टिक जइसा खींचाता चला जाता है. एगो एपिसोड के बाद लगता
है कहानी आगे बढिए नहीं रहा है, लोग गरियाता है अऊर देखने का इंतज़ार भी करता है कि
आखिर आगे का हुआ.
पिछला एक महीना
से सोनी टीवी पर एगो नया सीरियल का प्रोमो चल रहा है. अब प्रोमो चाहे सिनेमा का हो
चाहे सीरियल का एतना बढ़िया तरीका से बनाया जाता है कि देखने वाले का मन में तुरत
उत्सुकता पैदा हो जाता है कि ई सिनेमा में चाहे सीरियल में का कहानी होगा. जइसे
एगो सीरियल सुरू होने वाला है कल से सोनी टीवी पर – “पहरेदार पिया की”. हम सीरियल
देखते नहीं हैं सिवा “क्राइम पैट्रोल” के – इहो सस्पेंस वाला सीरियल हो गया. लेकिन हर
बार जब ब्रेक होता है तब एगो प्रोमो देखाता है ई आने वाला सीरियल का. एगो अठारह
साल की औरत अऊर उसका पति एगो नौ साल का बच्चा. ऊ करवा चौथ का बरत भी ऊ लड़का का
हाथ से पानी पीकर तोडती है, उसका हिफाजत के लिये हैंडबैग में पिस्तौल रखती है,
बच्चा उसके माँग में सिन्दूर भरता है अऊर दुनो जोड़ी में फ़ोटो भी खिंचाते हैं.
अब ई प्रोमो देखकर
अजीब सा सस्पेंस मन में आ गया. हमरी सिरीमती जी भी केतना बार पूछ चुकी हैं कि ए
जी, ई तो गजब का खिस्सा लग रहा है, देखना पडेगा ई सीरियल. बस एही सफलता है चैनल का
कि प्रोमो देखने के बाद लोग के मन में देखने का इच्छा पैदा होना. ई सीरियल में एगो
डिस्क्लेमर भी देखाया जाता है कि ई सीरियल बाल विवाह को बढ़ावा नहीं देता है.
बाल विवाह का
सबसे बड़ा नुकसान इतिहास में औरत लोग को उठाना पडता था. ई सीरियल के उलट छोटा-छोटा
उमर में लड़की को बड़ा-बूढ़ा के साथ बियाह दिया जाता था और पति के मरने के बाद बेचारी
बाल बिधवा को बहुत कस्ट का जिन्नगी गुजारना पडता था, इहाँ तक कि मरा हुआ पति के साथ
सती भी हो जाना पडता था. लेकिन १८२६ में सती प्रथा का समाप्ति राजा राम मोहन राय के
प्रयास से हुआ.
सती प्रथा त खतम
हो गया, लेकिन बिधवा औरत के जीवन में कोई सुधार नहीं हुआ. तीस साल बाद बिधवा
पुनर्विवाह क़ानून बना अऊर एक औरत को एक उपेक्छा का जिन्नगी से मुक्ति मिला. साल था
१८५६ अऊर तारीख था १६ जुलाई, यानि आझे का दिन.
अऊर आज का दिन
२०१७ में भी ब्लॉग बुलेटिन के लिये एगो महत्वपूर्ण दिन है काहे कि आज हम लिख रहे
हैं १७५० वाँ पोस्ट. त मिलकर पूरा टीम को बधाई दीजिए अऊर सब पाठक जन को आभार कहते
हुए आनन्द लीजिए सुन्दर-सुन्दर, प्यारा-प्यारा पोस्ट सब का.
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1750 वीं पोस्ट लाये सलिल जी भी आये
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाईयाँ ब्लॉग बुलेटिन टीम को
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
परिवर्तन की दवा होती रही, लेकिन दीमक जो लगा वह जाता ही नहीं, एक तरफ से कुछ अच्छा दिखता है, दूसरी तरफ कुछ खत्म !
जवाब देंहटाएंआपकी कलम कितना कुछ कह जाती है
धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसलिल जी मेरी पोस्ट का लिंक देने के लिए आभार...
जवाब देंहटाएं1750वीं पोस्ट के लिए बधाई...
जय हिन्द...
बहुते मीठा बतियाते हैं आप भैय्या! हमको ई पता होता कि आप बुलेटिन लिखे वाले हैं त ब्लॉग में एक पोस्ट जरूर न लिखे होते!
जवाब देंहटाएंसार्थक पोस्ट !!!
जवाब देंहटाएंआनंद
जवाब देंहटाएंडिस्क्लेमर कुछ भी दें मगर ऐसे सीरियल कुरीतियों को इतना ग्लैमराइज कर दिखाते हैं कि कुरीतियों को बढ़ावा देते ही दिखाई देते हैं...
जवाब देंहटाएंसीरियल का अच्छा पोल खोल दिये आप। ये लोग प्रोमो में जहां समंदर दिखाते है वहां असल मे कीचड़ भी नही होता।
जवाब देंहटाएं1750 वीं पोस्ट के लिए बहुत बधाइयां और शुभकामनाएं।
रामराम
#हिन्दी_ब्लागिंग
बहुत बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद ब्लाग पर गई . बुलेटिन की इस नई पोस्ट पर नजर गई सारी लिंक्स पढ़ने को बुलाती लग रही हैं फिलहाल आपने सीरियल वाली बात बहुत सही कही. मैं कह रही थी कि इन पर प्रतिबन्ध लगना चाहिये . समय और मानसिक शोषण में बड़ा हाथ है इनका .मैं भी एफआई आर , सारा भाई , भाभी जी , सारेगामा ,आदि के अलावा कभी कभी कभी कभी क्राइम पैट्रोल देख लेती हूँ पर दो सीरियल मैंने पूरे देखे और अन्त आते आते लगा कि इनके निर्माता निर्देशक और कहानीकार को पहले तो पकड़कर जमकर पीटा जाए और फिर कड़ी सजा दिलवाई जाए . सीरियल थे उतरन और बालिका वधू .खास तौर पर बालिकावधू जो सुरेखा सीकरी के अविस्मरणीय अभिनय के कारण देखने लायक लगा . मैं लिखने वाली हूँ कि इन्हें देखते कितना व्यर्थ तनाव हुआ . समय गया सो अलग . खैर ..इस पोस्ट के लिये आप सबको हार्दिक बधाई .
जवाब देंहटाएंवाह इस मुकाम के लिए एक और बधाई टीम को | अभी तो ऐसी कितनी ही बधाइयां देनी हैं | सलिल दादा की तो बात ही कुछ और है ..सभी लिंक एक से बढ़ कर एक | पोस्ट को स्थान देने लिये आभार |
जवाब देंहटाएंव्यस्तता के इस दौर में मैं लिखने का समय नहीं निकाल पाता, आप समय निकालकर पढ़ लेते हैं, यही मेरे लिए आशीर्वाद है! लेखनी को आपका आशीष मिलता रहे यही कामना है! प्रणाम!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाईयाँ ब्लॉग बुलेटिन टीम को.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सलील जी । सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंआपका जवाब नहीं भाई...कहाँ का सिरा कहाँ जा मिलाया!!
जवाब देंहटाएंसभी पाठकों और पूरी बुलेटिन टीम को १७५० वीं पोस्ट की हार्दिक बधाइयाँ |
जवाब देंहटाएंऐसे ही स्नेह बनाए रखिए |
सलिल दादा ,
प्रणाम |
बरसाती मौसम में मच्छरवा लोग अपने षड्यंत्र में सफल ना हों
जवाब देंहटाएं:
सभी स्वस्थ व प्रसन्न रहें
Salil jimeri post Ko jagah Dene ke liye bahut bahut dhanyawad
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