सभी ब्लॉगर मित्रों को मेरा सादर नमस्कार।
कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' (अंग्रेज़ी: Kanhaiyalal Mishra Prabhakar, जन्म: 29 मई, 1906 - मृत्यु: 9 मई 1995) हिन्दी के जाने-माने निबंधकार हैं जिन्होंने राजनीतिक और सामाजिक जीवन से संबंध रखने वाले अनेक निबंध लिखे हैं। 'ज्ञानोदय' पत्रिका का सम्पादन भी कन्हैयालाल कर चुके हैं। आपने अपने लेखन के अतिरिक्त अपने नये लेखकों को प्रेरित और प्रोत्साहित किया है।
प्रभाकर हिन्दी के श्रेष्ठ रेखाचित्रों, संस्मरण एवं ललित निबन्ध लेखकों में हैं। यह दृष्टव्य है कि उनकी इन रचनाओं में कलागत आत्मपरकता होते हुए भी एक ऐसी तटस्थता बनी रहती है कि उनमें चित्रणीय या संस्मरणीय ही प्रमुख हुआ है- स्वयं लेखक ने उन लोगों के माध्यम से अपने व्यक्ति को स्फीत नहीं करना चाहा है। उनकी शैली की आत्मीयता एवं सहजता पाठक के लिए प्रीतिकर एवं हृदयग्राहिणी होती है। कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर की सृजनशीलता ने भी हिन्दी साहित्य को व्यापक आभा प्रदान की। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' ने उन्हें 'शैलियों का शैलीकार' कहा था। कन्हैयालाल जी ने हिन्दी साहित्य के साथ पत्रकारिता को भी व्यापक रूप से समृद्ध किया।
प्रभाकर हिन्दी के श्रेष्ठ रेखाचित्रों, संस्मरण एवं ललित निबन्ध लेखकों में हैं। यह दृष्टव्य है कि उनकी इन रचनाओं में कलागत आत्मपरकता होते हुए भी एक ऐसी तटस्थता बनी रहती है कि उनमें चित्रणीय या संस्मरणीय ही प्रमुख हुआ है- स्वयं लेखक ने उन लोगों के माध्यम से अपने व्यक्ति को स्फीत नहीं करना चाहा है। उनकी शैली की आत्मीयता एवं सहजता पाठक के लिए प्रीतिकर एवं हृदयग्राहिणी होती है। कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर की सृजनशीलता ने भी हिन्दी साहित्य को व्यापक आभा प्रदान की। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' ने उन्हें 'शैलियों का शैलीकार' कहा था। कन्हैयालाल जी ने हिन्दी साहित्य के साथ पत्रकारिता को भी व्यापक रूप से समृद्ध किया।
आज कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' जी के 111वें जन्मदिवस पर समस्त हिन्दी ब्लॉग जगत और हमारी ब्लॉग बुलेटिन टीम उन्हें याद करते हुए शत शत नमन करती है। सादर।।
~ आज की बुलेटिन कड़ियाँ ~
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' जी के 111वें जन्मदिवस पर उन्हें नमन। 'उलूक' के सूत्र को स्थान देने के लिये आभार हर्षवर्धन।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय प्रस्तुति, आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंपीपल , को सनातन संस्कृति में देववृक्ष क्यों माना जाता है !
जवाब देंहटाएंमेरे इस ब्लॉग को प्रसारित करने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...आभार
जवाब देंहटाएंअच्छा संकलन बुलेटिन में ... आभार मुझे शामिल करने का ...
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