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शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017

ट्वीट से उठा लाउडस्पीकर-अज़ान विवाद : ब्लॉग बुलेटिन

नमस्कार दोस्तो,
लोग एक बार फिर मुद्दे से भटक कर उसे धर्म, मजहब की चौखट पर खींच लाये. यदि आपने गौर किया होगा तो आप एकदम सही जगह पहुँच रहे हैं. जी हाँ. गायक सोनू निगम के चार ट्वीट और फिर उसके बाद उठा विवाद. उस विवाद के बाद का विवाद तो और भी हास्यास्पद रहा जबकि फतवे के नाम पर दोनों तरफ से अपने-अपने कदम देखने को मिले. एक ने सिर घोंट देने के दस लाख लगाये और अगले ने अपना सिर मुडवा लिया. बहरहाल, मुद्दा ये नहीं कि किसका फतवा? किसके लिए फतवा? सोनू निगम ने ट्वीट के द्वारा अपनी परेशानी बताई या फिर अपनी लोकप्रियता की राह को और साफ़ किया ये वही जानें किन्तु उससे एक मुद्दा निकला कि धार्मिक कृत्यों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल हो या न हो. जो लोग भी अपने-अपने स्तर में इस चर्चा में सहभागी बने वे इससे भटक कर हिन्दू, मुस्लिम में विभक्त हो गए.

देखा जाये तो विगत कुछ वर्षों से समाज दो भागों में बंट गया है. एक हिन्दू और दूसरा गैर-हिन्दू. यहाँ भी कुछ ऐसा ही हुआ. सोनू निगम के चार ट्वीट में यदि पहले ट्वीट में अजान शब्द आया है तो तीसरे शब्द में मंदिर, गुरुद्वारा शब्दों का भी प्रयोग किया गया है. इसके बाद भी बवाल पैदा करने में अज़ान-प्रेमी ही सामने आये हैं. इसमें मुस्लिम और गैर-मुस्लिम दोनों तरफ के लोग हैं. वैसे सोचने की बात बस इतनी है कि आखिर मुस्लिम समुदाय को इस पर आपत्ति क्या है कि उनकी मजहबी क्रिया में लाउडस्पीकर का उपयोग न होने का ट्वीट आ गया? कहीं उनको ये तो नहीं लग रहा कि ट्वीट के बहाने सरकार उनकी मजहबी क्रिया में उपयोग होने वाले लाउडस्पीकर को प्रतिबंधित तो करने जा रही है?

बहरहाल अंतिम निष्कर्ष क्या होगा ये तो बाद की बात है मगर एक सामान्य से ट्वीट पर आक्रोशित हो जाना, फतवा जारी करना, सोनू निगम पर मुकदमा दर्ज करने की अपील, धार्मिक भावनाओं को भड़काने का आरोप लगाने जैसे कदम मुस्लिम समुदाय की आक्रामकता को ही दर्शाता है. यही आक्रामकता उनको समुदाय में सबसे कहीं अलग-थलग खड़ा कर देती है. अपने आपको मुख्यधारा से अलग न होने देने की दिशा में वे खुद ही कुछ सोचें और विचार करें. उन्हें समझना होगा कि समाज-निर्माण में फैसले लेने का आधार न तो ट्वीट होता है और न ही लाउडस्पीकर. आपसी समझ, विश्वास, स्नेह ही सबको आगे बढ़ाता है, सबकी धार्मिक भावनाओं का सम्मान करता है.

चलिए, जो हो रहा है उसका आनंद लीजिये, जो होगा उसका आनंद लीजियेगा. हल फ़िलहाल अभी तो सोनू निगम के चारों ट्वीट का अवलोकन करते हुए आज की बुलेटिन का आनंद लीजिये. 







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4 टिप्‍पणियां:

  1. जिन मुद्दों पर विवाद होना चाहिये वो पता नहीं कहाँ हैं? मुद्दा भुनाओ। करने कराने के जमाने गये :) सुन्दर बुलेटिन।

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  2. सादर आभार...
    कल एक वीडियो देख रही थी
    कहां की थी पता नहीं
    पर मोदी जी का भाषण चालू थी
    अचानक अजान शुरु हो गई...
    अजान की समाप्ति तक मोदी जा शान्त रहे..
    जैसे ही अजान समाप्त हुई..
    क्षमा याचना के साथ उनका भाषण पुनः चालू हो गया
    इसे आप क्या कहेंगे....
    सादर

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  3. सादर आभार...
    कल एक वीडियो देख रही थी
    कहां की थी पता नहीं
    पर मोदी जी का भाषण चालू था
    अचानक अजान शुरु हो गई...
    अजान की समाप्ति तक मोदी जा शान्त रहे..
    जैसे ही अजान समाप्त हुई..
    क्षमा याचना के साथ उनका भाषण पुनः चालू हो गया
    इसे आप क्या कहेंगे....
    सादर

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  4. कुछ समय तक बहुत शोर जरूर होता है लेकिन असली मुद्दे की बात धीरे-धीरे कहाँ गुम हो जाता है, कोई न पूछने-खबर लेने वाला नहीं होता
    बहुत बुलेटिन हलचल प्रस्तुति

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