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शनिवार, 15 अप्रैल 2017

अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' और ब्लॉग बुलेटिन

सभी ब्लॉगर मित्रों को मेरा सादर नमस्कार।
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अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' (अंग्रेज़ी: Ayodhyasingh Upadhyay ‘Hari Oudh', जन्म- 15 अप्रैल, 1865, मृत्यु- 16 मार्च, 1947) का नाम खड़ी बोली को काव्य भाषा के पद पर प्रतिष्ठित करने वाले कवियों में बहुत आदर से लिया जाता है। उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम दशक में 1890 ई. के आस-पास अयोध्यासिंह उपाध्याय ने साहित्य सेवा के क्षेत्र में पदार्पण किया। अयोध्यासिंह उपाध्याय का जन्म ज़िला आजमगढ़ के निज़ामाबाद नामक स्थान में सन् 1865 ई. में हुआ था। हरिऔध के पिता का नाम भोलासिंह और माता का नाम रुक्मणि देवी था। अस्वस्थता के कारण हरिऔध जी का विद्यालय में पठन-पाठन न हो सका अतः इन्होंने घर पर ही उर्दू, संस्कृत, फ़ारसी, बांग्ला एवं अंग्रेज़ी का अध्ययन किया। 1883 में ये निज़ामाबाद के मिडिल स्कूल के हेडमास्टर हो गए। 1890 में क़ानूनगो की परीक्षा पास करने के बाद आप क़ानून गो बन गए। सन् 1923 में पद से अवकाश लेने पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्राध्यापक बने।



आज अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' जी के 152वें जन्म दिवस पर पूरा हिंदी ब्लॉग जगत और हमारी ब्लॉग बुलेटिन टीम उन्हें शत शत नमन करती है। सादर।।  


अब चलते हैं आज की बुलेटिन की ओर........














आज की बुलेटिन में सिर्फ इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।  

4 टिप्‍पणियां:

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!