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शुक्रवार, 10 मार्च 2017

जैसी करनी ... वैसी भरनी - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

एक महिला अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोजाना भोजन पकाती थी और एक रोटी वह वहां से ...गुजरने वाले
किसी भी भूखे के लिए पकाती थी ,वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी जिसे कोई भी ले सकता था ... 

एक कुबड़ा व्यक्ति रोज उस रोटी को ले जाता और बजाए धन्यवाद देने के अपने रस्ते पर चलता हुआ वह कुछ इस तरह बडबडाता ...

 "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा "

दिन गुजरते गए और ये सिलसिला चलता रहा ,वो कुबड़ा रोज रोटी ले के जाता रहा और इन्ही शब्दों को बडबडाता "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा " 
वह महिला उसकी इस हरकत से तंग आ गयी और मन ही मन खुद से कहने लगी कि 
"कितना अजीब व्यक्ति है ,एक शब्द धन्यवाद का तो देता नहीं है और न जाने क्या क्या बडबडाता रहता है ,
मतलब क्या है इसका ".
 
एक दिन क्रोधित होकर उसने एक निर्णय लिया और बोली "मैं इस कुबड़े से निजात पाकर रहूंगी ".
और उसने क्या किया कि उसने उस रोटी में जहर मिला दिया जो वो रोज उसके लिए बनाती थी और जैसे
ही उसने रोटी को को खिड़की पर रखने लगी कि अचानक उसके हाथ कांपने लगे और रुक गये और वह
बोली "हे भगवन मैं ये क्या करने जा रही थी ?" 
और उसने तुरंत उस रोटी को चूल्हे की आँच में जला दिया ... एक ताज़ा रोटी बनायीं और खिड़की के सहारे रख दी , हर रोज की तरह वह कुबड़ा आया और रोटी ले कर "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा " बडबडाता हुआ चला गया इस बात से बिलकुल बेखबर कि उस महिला के दिमाग में क्या चल रहा है|

हर रोज जब वह महिला खिड़की पर रोटी रखती थी तो वह भगवान से अपने पुत्र कि सलामती और अच्छी सेहत और घर वापसी के लिए प्रार्थना करती थी जो कि अपने सुन्दर भविष्य के निर्माण के लिए कहीं बाहर गया हुआ
था और महीनों से उसकी कोई खबर नहीं थी| 

शाम को उसके दरवाजे पर एक दस्तक होती है ,वह दरवाजा खोलती है और भोंचक्की रह जाती है , अपने बेटे को अपने सामने खड़ा देखती है.वह कमजोर और दुबला हो गया था, उसके कपडे फटे हुए थे और वह भूखा भी था ,भूख से वह कमजोर हो गया था|

जैसे ही उसने अपनी माँ को देखा, उसने कहा, "माँ, यह एक चमत्कार है कि मैं यहाँ हूँ. जब मैं एक मील दूर है, मैं इतना भूखा था कि मैं गिर गया मैं मर गया होता, लेकिन तभी एक कुबड़ा वहां से गुज़र रहा था ,उसकी नज़र मुझ पर पड़ी और उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया ,भूख के मारे मेरे प्राण निकल रहे थे , मैंने उससे खाने को कुछ माँगा ,उसने नि:संकोच अपनी रोटी मुझे यह कह कर दे दी कि "मैं हर रोज यही खाता हूँ लेकिन आज मुझसे ज्यादा जरुरत इसकी तुम्हें है सो ये लो और अपनी भूख को तृप्त करो " .
 
जैसे ही माँ ने सुनी माँ का चेहरा पीला पड़ गया और अपने आप को सँभालने के लिए उसने दरवाजे का सहारा लिया , उसके मस्तिष्क में वह बात घुमने लगी कि कैसे उसने सुबह रोटी में जहर मिलाया था अगर उसने वह रोटी आग में जला के नष्ट नहीं की होती तो उसका बेटा उस रोटी को खा लेता और अंजाम होता उसकी मौत
और इसके बाद उसे उन शब्दों का मतलब बिलकुल स्पष्ट हो चूका था ...
 
"जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा।"

-सादर आपका 
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फूल मठरी...

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागिन डांस

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बेटा चाँद पकड़ना चाहे

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!! 

12 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर कथा बड़िया बुलेटिन शिवम जी।

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  2. शुभ संध्या शिवम भाई
    अच्छी रचनाएँ पढ़वाई आपने आज
    सादर

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  3. कथा लाजबाब ,बुलेटिन में चार चाँद लगाती । आभार

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  4. कथा लाजबाब ,बुलेटिन में चार चाँद लगाती । आभार

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  5. कहानी अच्छी लहै |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |

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  6. विविधरंगी बुलेटिन पठनीय सूत्रों से सजा हुआ..

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  7. जैसी करनी ... वैसी भरनी की कहानी सुंदर सीख देती है। सदा की तरह सुंदर लिंकों से सजी है ब्लॉग बुलेटिन।

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  8. प्रेरक कथा प्रस्तुति के साथ सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुतीकरण हेतु आभार

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