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रविवार, 8 जनवरी 2017

न्यूनतम निवेश पर मजबूत और सुनिश्चित लाभ - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

एक संवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ :-

पत्नी - रात का खाना आज बाहर करेगें।

पति - ठीक है ... हम किसी साधारण रेस्तरां में चलते हैं।

पत्नी - नहीं, रॉयल पैलेस होटल में चलते हैं।

पति - (एक मिनट के लिए मौन) ठीक है, 7 बजे चलते हैं।

ठीक सात बजे पति-पत्नी अपनी कार में घर से निकले। रास्ते में -

पति - जानती हो एक बार मैंने अपनी बहन के साथ पानीपूरी प्रतिस्पर्धा की थी। मैंने 30 पानी पूरी खाई और उसे हरा दिया।

पत्नी - क्या यह इतना मुश्किल है?

पति - मुझे पानी-पूरी प्रतियोगिता में परास्त करना बहुत मुश्किल है।

पत्नी - मैं आसानी से आपको हरा सकती हूँ।

पति - रहने दो ये तुम्हारे बस का नहीं।

पत्नी - हमसे प्रतियोगिता करने चलिये।

पति - तो आप अपने आप को हारा हुआ देखना चाहती हैं?

पत्नी - चलिये देखते हैं।

वे दोनों एक पानी-पूरी स्टॉल पर रुके और खाना शुरू कर दिए ।

25 पानी पूरी के बाद पति ने खाना छोड़ दिया।

पत्नी का भी पेट भर गया था, लेकिन उसने पति को हराने के लिए एक और खा लिया और चिल्लाई , `तुम हार गये।`

बिल 50 रुपये आया। और पत्नी वापस घर आते हुए शर्त जीतने की खुशी में खुश थी।

इस संवाद से प्राप्त नैतिक शिक्षा:

`एक प्रबंधक का मुख्य उद्देश्य न्यूनतम निवेश के साथ कर्मचारी को संतुष्ट करना होता है। कम निवेश पर मजबूत और सुनिश्चित लाभ !`
 
सादर आपका 

11 टिप्‍पणियां:

  1. क्या पानी पूरी मारी है वाह :) सुन्दर प्रस्तुति शिवम जी । आभारी है 'उलूक' सूत्र 'शुरु हो गया मौसम होने का भ्रम अन्धों के हाथों और बटेरों के फंसने की आदत को लेकर' को आज के बुलेटिन में स्थान देने के लिये ।

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  2. बड़े ही रोचक अंदाज में नैतिक शिक्षा दी गई है..:)

    आभार मेरी प्रविष्टि को संज्ञान में लेने के लिए.

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  3. बहुत रोचक तरीक़ा ... पर पत्नी के साथ इतना बड़ा रिस्क ... समझ गयी तो ख़ैर नहीं हा हा ...
    आभार मुझे आज के बुलेटिन में शामिल करने का ...

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  4. रोचक प्रस्तुति के साथ सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति हेतु धन्यवाद

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  5. आज के बुलेटिन में रचना शामिल करने बहुत बहुत आभार...

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  6. सुन्दर लिंक्स. मेरी कविता को शामिल करने के लिए आभार.

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