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गुरुवार, 19 जनवरी 2017

स्वतंत्र दृष्टिकोण वाले ओशो - ब्लॉग बुलेटिन

नमस्कार साथियो,
ओशो नाम सुनते ही एक ऐसे व्यक्ति का चेहरा उभरता है जिसके विचारों को, कृतियों को आज भी काम से जोड़कर देखा जाता है. जबकि वास्तविकता इससे कहीं अलग है. अपने विवादास्पद नये धार्मिक-आध्यात्मिक आन्दोलन के लिये मशहूर हुए ओशो ने सभी विषयों पर सबसे पृथक और आपत्तिजनक विचार व्यक्ति किये. जिसके चलते उनकी एक अलग और विवादस्पद छवि बनी है. उन्होंने पुरातनवाद के ऊपर नवीनता तथा क्रान्तिकारी विजय पाने का प्रयास किया है. उनके द्वारा प्रेम, शांति, सेक्स, रिश्तों आदि पर दिए गए प्रवचन अपने आपमें एक अद्भुत दर्शन की नवीनतम व्याख्या करते हैं. उनके द्वारा समाजवाद, महात्मा गाँधी की विचारधारा तथा संस्थागत धर्म पर की गई अलोचनाओं ने उन्हें विवादास्पद बना दिया. वे काम के प्रति स्वतंत्र दृष्टिकोण के भी हिमायती थे, जिसकी वजह से उन्हें कई भारतीय और फिर विदेशी पत्रिकाओ में सेक्स गुरु के नाम से भी संबोधित किया गया. अपने बुद्धि कौशल से उन्होंने विश्वभर में अपने अनुययियों को जिस सूत्र में बांधा वह काफ़ी हंगामेदार साबित हुआ. उनकी भोगवादी विचारधारा के अनुयायी सभी देशों में पाये जाते हैं. 



आज, 19 जनवरी को उन्हीं ओशो का देहांत हुआ था. उनका जन्म 11 दिसम्बर, 1931 को जबलपुर (मध्य प्रदेश) में हुआ था. बचपन में उनको रजनीश चन्द्र मोहन के नाम से जाना जाता था. जबलपुर विश्वविद्यालय से स्नातक तथा सागर विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त करने के बाद 1959 में उन्होंने व्याख्याता का पद सम्भाला. वे धर्म एवं दर्शनशास्त्र के ज्ञाता बन चुके थे. ओशो ने पुणे में कम्यून की स्थापना की और अपने विचित्र भोगवादी दर्शन के कारण शीघ्र ही विश्व में चर्चित हो गये. बाद में उन्होंने अमेरिका पहुँच कर वहाँ भी मई 1981 में ओरेगोन (यू.एस.ए.) में अपना कम्यून बनाया. ओरेगोन के निर्जन भूखण्ड को रजनीश ने जिस तरह आधुनिक, भव्य और विकसित नगर का रूप दिया वह उनके बुद्धि चातुर्य का साक्षी है. 

सम्भोग से समाधि तक, मृत्यु है द्वार अमृत का, संम्भावनाओं की आहट, प्रेमदर्शन आदि उनकी कृतियाँ अत्यंत प्रसिद्द हैं. उन्होंने अपना निज़ी अध्यात्म गढ़कर उसका काम के साथ समन्वय करके एक अदभुत वैचारिकी को जन्म दिया. उनकी मृत्य 19 जनवरी 1990 को हुई. 

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2 टिप्‍पणियां:

  1. इस रोचक बुलेटिन के लिए आप का आभार राजा साहब |

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  2. प्रिय ओशो को नमन...
    ये न कभी जन्मे थे न कभी इनकी मृत्यु हुई. इन्होंने इस ग्रह पर एक छोटी सी यात्रा की और आगे निकल गए!!
    प्रिय ओशो के चरणों में सादर नमन!!

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