समझ लेते हो तुम वह सब
जिसकी आलोचना करते तुम रुकते नहीं
जब तक दूसरों के जूते काटते हैं
तुम टेढ़ी मुस्कान के साथ कहते हो
नंगे पाँव ही चलो न ....
सारे हास्यास्पद हल होते हैं तुम्हारे पास
पर वही जूते
जब तुम्हें काटते हैं
तुम्हारी भाषा बदल जाती है
तुम अनोखे हो जाते हो !
क्या बात!
जवाब देंहटाएंजीवन की यही रीत!!
जवाब देंहटाएंसच जब अपने पर गुजरती है तब पता चलता है
जवाब देंहटाएंआदरणीया रश्मि दी , लिंक्स देखते हुए अन्त में पाया कि मेरी कहानी भी यहाँ शामिल है .आभार आपका क्योंकि यहाँ शमिल होकर रचना का कद बढ़ जाता है .
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