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रविवार, 2 अक्टूबर 2016

महापुरुषों की शिक्षाओं को अमल में लाना होगा - ब्लॉग बुलेटिन

नमस्कार साथियो,
आज गुदड़ी के लाल और राष्ट्रपिता को समूचा देश याद कर रहा है. महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री का जन्मदिन आज ही के दिन पड़ता है. आज भी हम देश के महामनाओं को श्रद्धांजलि देते हुए उनके आदर्शों पर चलने की बात करते हैं. उनकी शिक्षाओं को अपनाने पर जोर देते हैं. उनके विचारों को आज भी प्रासंगिक मानते हैं. ऐसा सबकुछ सार्वजानिक मंच से कहने के बाद भी देश के नागरिकों में अपने महापुरुषों की सीखों को, उनके आदर्शों को अमल में लाना बंद सा है. व्यावहारिक रूप से आज आदर्शों को मानना, शिक्षाप्रद स्थितियों के साथ सामंजस्य बैठाना दिखता नहीं है. यही कारण है कि जय जवान, जय किसान का नारा देने वाले लाल बहादुर के देश में सैनिकों की शहादत पर कथित राजनीतिज्ञ अनर्गल बयानबाज़ी करते हैं. सेना के कदमों को भी राजनीति के घेरे में लाकर उसका विश्लेषण किया जाने लगता है. किसान आत्महत्याएँ कर रहे हैं, उनको अपनी फसल का दाम सही से नहीं मिल रहा है. ये कहीं न कहीं महापुरुषों की शिक्षाओं से मुँह चुराना ही है कि महात्मा गाँधी द्वारा दिए गए स्वच्छता सम्बन्धी विचार को भी विस्मृत कर दिया गया है. अब जबकि केंद्र सरकार ने इसको पुनः अभियान बनाकर देश भर में शुरू करने का मन किया तो उसे भी राजनीतिक रंग दे दिया गया. सोचने वाली बात है कि क्या आज का सैनिक शास्त्री जी के समय के सैनिक से अलग है? सोचने का विषय है कि क्या आज के किसान और शास्त्री जी के समय के किसान में अंतर है? इसे समझना होगा कि गाँधी जी का स्वच्छता सम्बन्धी विचार और नरेन्द्र मोदी का स्वच्छता सम्बन्धी विचार कैसे अलग है?

बहरहाल, लगता है कि जब तक इन्सान है तब तक विचार हैं और जब तक विचार हैं तब तक वैचारिक विभिन्नता रहेगी. इसी वैचारिक विभिन्नता के बीच आज कई-कई खाँचे बने हुए हैं. सभी के अपने-अपने सच हैं, सभी के अपने-अपने तर्क हैं. इन्हीं सत्यों और तर्कों के बीच सभी को अपना-अपना रास्ता बनाना है, चुनना है, उस पर चलना है. आइये महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री जी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके बताये रास्ते पर चलने का प्रयास करें. उनकी शिक्षाओं से यदि मत-भिन्नता है भी तो उसके बीच समाजहित का, देशहित का अपना नया रास्ता बनाते हुए उस पर चलने का प्रयास करें. प्रयास करें कि मत-भिन्नता हो, मतभेद हों मगर मनभेद न हों.
इसी आशा, विश्वास के साथ आज की बुलेटिन आपके समक्ष है कि समय के साथ तमाम विभेद समाप्त होकर आपस में सौहार्द्र, शांति, भाईचारे का माहौल बनेगा. जय हिन्द.

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1 टिप्पणी:

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