प्रिय साथियो,
आज गुरुपूर्णिमा का पावन पर्व है. आषाड़ मास की पूर्णिमा को गुरुपूर्णिमा मनाई जाती है. इस दिन को महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. ‘गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो
महेश्वरः। गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरुवे नमः॥’ के साथ-साथ ‘गुरु गोविंद
दोऊ खड़े, काके लागूँ
पाँय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय॥’ को प्रत्येक
व्यक्ति बचपन से सुनता चला आ रहा है. इनको न केवल वो सुनता आ रहा है वरन आत्मसात
भी करता रहा है. इसके बाद भी वर्तमान में समाज भटकन की स्थिति में है. भटकन इस कदर
है कि बुद्धिजीवी कहे जाने वाले लोगों को भी समझ नहीं आ रहा है कि वे क्या कर रहे
हैं. ये भटकाव ही कहा जायेगा कि आज देश में सेना के समर्थन के लिए मुहिम छेड़नी पड़
रही है. ‘सपोर्ट टू इंडियन आर्मी’ के द्वारा ये जताना पड़ रहा है कि देश सेना के
साथ है. इसे सामाजिक विसंगति ही कही जाएगी कि गुरुपूर्णिमा का आयोजन करने वाले देश
में गुरुओं द्वारा दी गई शिक्षा को विस्मृत कर दिया गया है. आम आदमी से लेकर सेना
तक को पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर देखा जाने लगा है.
देश का एक-एक व्यक्ति जिस
आज़ादी की बात करता है, जिस स्वतंत्रता से सरकार को गरिया लेता है, जिस उन्मुक्तता के
साथ सेना की बुराई कर लेता है, जिस बेफिक्री के साथ मौज-मस्ती कर लेता है वो कहीं
न कहीं भारतीय सेना की देन है. अपनी मौज-मस्ती, अपनी उन्मुक्तता, अपनी स्वच्छंदता
को एक पल के लिए रोककर विचार करिए कि जिस समय आप ये सब कर रहे होते हैं, ठीक उसी समय
सैनिक किसी आतंकी से लोहा ले रहा होता है. किसी उपद्रवी के ईंट-पत्थर को सह रहा
होता है. कहीं बर्फीली चट्टान पर मुस्तैद खड़ा होता है. अपने परिवार से कहीं बहुत
दूर अकेले देश की रक्षा के लिए, हम सबकी सुरक्षा के लिए तैनात होता है. आज उसी
भारतीय सेना के लिए समर्थन करने जैसी मुहिम चलाना अपने आपमें शर्म का विषय है.
वैसे शर्म हम नागरिकों को क्यों आने लगी? शर्म तो उन शहीदों को आ रही होगी
जिन्होंने एक पल सोचे बिना अपनी जान इस देश पर न्योछावर कर दी. शर्म उन सैनिकों को
आ रही होगी जिन्होंने शहादत देकर देश को आज़ादी दिलवाई. शर्म जंगे-आज़ादी के उस
प्रथम यौद्धा मंगल पांडे को भी आ रही होगी जिनकी १८९वीं जयंती आज के दिन है. आइये,
अपने शहीदों को शर्मसार होने से बचाने के लिए आगे बढ़ें. अपनी भारतीय सेना को ये
दिखाने के लिए कि हम उसके साथ हर पल हैं, उसके परिवार के साथ हर क्षण हैं आगे
चलें. अपने गुरुओं के सम्मान की खातिर, उनकी शिक्षाओं पर अमल करने की खातिर आगे
बढ़ें. आगे बढ़ें और पढ़ें आज की बुलेटिन.....
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सुन्दर प्रस्तुति। समग्रता में सभी चीजों का विश्लेषण ईमानदारी से करने की जरूरत है । अपने टूटते घरों को कपड़े से ढक कर बहुत लम्बे समय तक कोई नगाड़े नहीं बजा सकता है । गुरुओं को भी अपने अंदर झाँकने की जरूरत है । बाकि बुद्धीजीवी सक्षम हैं बुराइयों के समुद्र के बीच में से भी सूईं की तरह डूबती अच्छाइयों को तैर कर लाकर दिखाने में।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंगुरुपूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं!
बहुत बडिया बुलेटिन राजा बाबू, जय जय।
जवाब देंहटाएंबहुत बडिया बुलेटिन राजा बाबू, जय जय।
जवाब देंहटाएंaabhar !
जवाब देंहटाएंशुभ संध्या राजा भैय्या
जवाब देंहटाएंआभार
सादर