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मंगलवार, 7 जून 2016

मैं एक पेंटर की ब्रश हूँ



 मैं एक पेंटर की ब्रश हूँ 
जिसे वह अपनी मर्ज़ी के रंगों से चुपड़ देता है 
और अपनी मर्ज़ी से कागज़, कैनवस रंग देता है 
पेंटर !
समझता ही नहीं
 दराज़ में रखा मैं 
टेबल पर पड़ा मैं 
कमरे में आती जाती गतिविधियों की 
त्वरित भगिमाओं को उकेरना चाहता हूँ 
मुझे कुछ अलग किस्म के रंग चाहिए 
जिससे मैं कुछ अनकही 
अनखींची रेखाओं को 
प्राणप्रतिष्ठित कर सकूँ 
मेरा पेंटर भी अनसुने को समझे 
और फिर कुछ हटकर बनाए 
मुझे ऐतिहासिक बना दे  ... 

13 टिप्‍पणियां:

  1. thank you for this post anmol vachan ke leye aap http://www.99hindi.com ko deke..

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  2. बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति
    आभार!

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  3. ब्रश ने कैनवास बहुत सुन्दर सजाया है
    बधाई

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  4. होनी पर किसी का वश नहीं चलता। क्षतिपूर्तिअसंभव है।

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  5. हर कलाकार के अंदर की छिपी हुई टीस... अनवरत खोज और रश्मि दी की कलम!! शानदार!

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  6. आप ने ब्रश की वेदना को शब्द दे दिये |

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