प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
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नौकर: मालिक हमरा के चार दिन की छुट्टी दई दो, 3 साल बाद बिहार जा रहे हैं।
मालिक: क्या करेगा बे बिहार जा के?
नौकर: मालिक घर से चिठ्ठी आई है, हमारी MA की पढ़ाई पूरी हो गई है। ओ ही का डिग्री लेने जाना है।
मालिक: क्या करेगा बे बिहार जा के?
नौकर: मालिक घर से चिठ्ठी आई है, हमारी MA की पढ़ाई पूरी हो गई है। ओ ही का डिग्री लेने जाना है।
"क्या रखा है इस किताबी संसार में,
आओ बिना पढ़े टॉप करें बिहार में।"
आओ बिना पढ़े टॉप करें बिहार में।"
सादर आपका
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खुशबुओं की बस्ती
इंफोटेनमेंट
कर्मसूत्र...
काला तोहफा-लघुकथा
एकांत - एक का अंत
क्या रखा है इस किताबी संसार में
नवगीत - तू दंड दे मेरी खता है
कहाँ गई 'आप'की नैतिकता?
शुद्धता ने हमें दूसरे गाँधी से वंचित कर दिया
ज़रा ठहर तो बच्चू
अम्माजी के छोटे-छोटे सपने
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
सुन्दर गुरुवारीय बुलेटिन शिवम जी ।
जवाब देंहटाएंबेहतर संकलन... आभार !
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअाभार!
आप सब का बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएंसार्थक सूत्रों का सुन्दर संकलन ! मेरी प्रस्तुति 'ज़रा ठहर तो बच्चू' को सम्मिलित करने के लिये आपका धन्यवाद शिवम जी ! आभार !
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