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गुरुवार, 2 जून 2016

'शो मस्ट गो ऑन' को याद करते हुए - ब्लॉग बुलेटिन

नमस्कार दोस्तो,
‘आवारा हूँ, या गर्दिश में हूँ आसमान का तारा हूँ’, ‘मेरा जूता है जापानी’, ‘जाने कहाँ गए वो दिन’, ‘प्यार हुआ, इकरार हुआ है’ जैसे मधुर गानों के याद आते ही आँखों के सामने सुप्रसिद्ध अभिनेता-निर्माता-निर्देशक राजकपूर की तस्वीर तैरने लगती है जिसे ग्रेट शोमैन कहा गया. राजकपूर का जन्म 14 दिसंबर 1924 को पेशावर में हुआ था. अपनी सभी फिल्मों को एक नए अंदाज़ में प्रस्तुत करने वाले राजकपूर का फ़िल्मी सफ़र बचपन से ही आरम्भ. पढ़ाई में मन न लगने के कारण उन्होंने अपने पिता से फिल्मों में काम करने को कहा और उनको बाल कलाकार के रूप में 1935 में इन्कलाब फिल्म में काम मिला. बतौर अभिनेता उनकी पहली फिल्म नीलकमल थी, जो सन 1947 को आई. इस फिल्म के मिलने के पीछे बहुत ही रोचक कहानी बताई जाती है. कहा जाता है कि पृथ्वीराज कपूर ने राजकपूर को फिल्म लाइन में आने पर निचले पायदान से अपना सफ़र आरम्भ करने की सलाह दी. इसके लिए उन्होंने प्रसिद्द निर्देशक केदार शर्मा के क्लैपर बॉय के रूप में कार्य करना शुरू किया. एक दिन क्लैप देते समय जल्दी-जल्दी में राजकपूर के हाथों नायक की नकली दाढ़ी क्लैप में फँसकर बाहर आ गई. इससे नाराज होकर केदार शर्मा ने एक जोरदार चाँटा राजकपूर को जड़ दिया. इस घटना से केदार शर्मा को भी पछतावा हुआ और अगले ही दिन उन्होंने राजकपूर को अपनी फिल्म नीलकमल में बतौर नायक ले लिया



राजकपूर ने 24 वर्ष की उम्र में आर.के. फिल्म्स की स्थापना की. जिसके बैनर में उन्होंने बेहतरीन फिल्मों का निर्माण किया. आग, आह, आवारा, श्री 420, संगम, जिस देश में गंगा बहती है, मेरा नाम जोकर, अनाड़ी, सत्यम शिवम् सुन्दरम, प्रेम रोग, राम तेरी गंगा मैली, बॉबी आदि उनकी हिट फिल्मों के उदाहरण हैं. उनकी फिल्मों की सफलता के पीछे जबरदस्त विषय, कहानी का प्रस्तुतिकरण और मधुर संगीत की प्रमुख भूमिका है. भारत-पाक संबंधों पर एक फिल्म हिना का निर्माण भी उन्होंने शुरू किया किन्तु उसको समाप्त करने के पूर्व ही उनका देहांत, आज ही के दिन, 2 जून 1988 को हो गया. हिना को उनके बेटे रणधीर कपूर ने पूरा किया था.

दादा साहब फाल्के पुरस्कार एवं पद्म विभूषण से सम्मानित राजकपूर चार्ली चैपलिन के प्रशंसक थे. उनके अभिनय में चार्ली चैपलिन का प्रभाव देखने को मिलता था. उनको भारतीय सिनेमा का चार्ली चैपलिन कहा भी जाता है. संगीत की, विषय की, प्रस्तुतिकरण की विशेष समझ रखने वाले ग्रेट शोमैन राजकपूर को उनकी पुण्यतिथि पर हार्दिक श्रद्धांजलि.

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शत्रुता निज जीवन से 




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6 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया बुलेटिन सुन्दर प्रस्तुति ।

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  2. शुभ प्रभात..
    राज कपूर...
    सबसे पहले संगम याद आता है
    अच्छी रचनाएँ
    अच्छा चयन
    साधुवाद
    सादर

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  3. आपके द्वारा चयनित पाठ्य-पोस्टों की सूचि में मेरी पोस्ट होटल की रोटी को भी स्थान देने के लिये आपका आभार...

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  4. बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!

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  5. सुन्दर सार्थक सूत्रों के चयन के लिए साधुवाद...हमारी रचना शामिल करने के लिए आभार !सुप्रसिद्ध अभिनेता-निर्माता-निर्देशक राजकपूर को नमन !

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