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शुक्रवार, 10 जून 2016

स्वावलंबी नारी शक्ति को समर्पित 1350वीं बुलेटिन

प्रिय साथियो,
ब्लॉग बुलेटिन नित नए आयामों को स्थापित करता हुआ आज 1350वीं बुलेटिन तक आ पहुँचा है. सामान्य से दिखने वाले इन अंकों की अपनी ही महत्ता है. जी हाँ, यदि इन 1350 को अंकशास्त्र की दृष्टि से देखें तो इनका योग बनता है. अनादिकाल से नवग्रह, नवदुर्गा, नवरात्रि, नवदेव, नवरस, नवधा भक्ति, नवरत्न, नवरंग आदि के रूप में नौ हमारे जीवन से जुड़ा रहा है. इस नव में भी नवरात्रि, नवदुर्गा का विशेष पावन महत्त्व है. इसी महत्ता के वशीभूत आज की विशेष बुलेटिन समर्पित है उन महिलाओं को जिन्होंने वास्तविक रूप में अपने कार्यों, अपनी जीवटता, अपने विश्वास, अपनी संकल्प-शक्ति से नवदुर्गा की शक्ति को जीवंत किया है, सार्थक किया है. 


स्वाति महादिक ऐसा ही नाम है, जिसने अपनी जीवटता, संकल्प-शक्ति को सिद्ध किया है. स्वाति महादिक नवम्बर 2015 को कुपवाड़ा में शहीद हुए कर्नल संतोष महादिक की पत्नी हैं, जो अधिकारी के रूप में सेना में शामिल होने के लिए चेन्नई में प्रशिक्षण लेने जा रही हैं. बारह वर्षीय बेटे और छह वर्षीय बेटी की माँ स्वाति ने अपने पति की अंत्येष्टि पर ही स्पष्ट किया था कि वे भी सेना में भर्ती होकर देशसेवा करेंगी, दुश्मनों का सफाया करेंगी. विशेष बात ये है कि स्वाति ने सेना में अधिकारी रैंक को किसी अनुदान या दयादृष्टि से नहीं वरन सर्विस सेलेक्शन बोर्ड (एसएसबी) के पाँच चरण के टेस्ट पास करके प्राप्त की है. स्वाति अभी 32 साल की हैं और सेना में शामिल करने के लिए हालांकि उनकी उम्र आड़े आ रही थी, लेकिन सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग की सिफारिश के बाद रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने उनके जज्बे को देखते हुए उनके लिए उम्रसीमा में परिवर्तन किया. ये अपने आपमें विचारणीय है कि अपने पति की मृत्यु के चन्द माह बाद ही खुद की जमी-जमाई नौकरी को छोड़कर सेना में जाने का सोचना और उसमें सफल भी होना उस महिला की जीवटता, उसके विश्वास को ही दर्शाता है. 

स्वाति महादिक 

स्वाति की तरह ही समाज में बहुत सी महिलाएँ जिन्होंने अपने बलबूते अपने आपको स्थापित किया. बनारस के तुलसीपुर में स्थित पाणिनी कन्या महाविद्यालय की आचार्य नंदिता शास्त्री के मार्गदर्शन में कुछ लड़कियों ने शास्त्री की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद विवाह करवाने का कार्य शुरू किया. इसके लिए उनका ब्राहमण होना आवश्यक नहीं है. 

नंदिता शास्त्री

कानपुर विद्या मन्दिर डिग्री कालिज की प्राचार्य डॉ0 आशारानी राय वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पुरोहिती का कार्य करतीं हैं. उन्होंने महिलाओं के लिए सर्वथा निषिद्ध माने गए क्षेत्र श्मशान घाट में जाकर अन्तिम संस्कार भी करवाए हैं और करवा भी रहीं हैं. अपने पिता और श्वसुर का अन्तिम संस्कार भी उन्हीं ने किया था.

डॉ० आशा रानी राय 

पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर जिले के गाँव नंदीग्राम की 26 वर्षीया शबनम आरा ने अपने काजी पिता के लकवाग्रस्त हो जाने पर निकाह करवाने में उनका सहयोग किया. धीरे-धीरे उन्हें शरीयत का इल्म हो गया और बाद में अपने पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने अपना पंजीयन काजी के रूप में करवाया. काफी मुश्किलों के बाद अंततः वे सफल रहीं और आज देश की प्रथम महिला काजी के रूप में कार्य कर रही हैं. जनपद जालौन के कालपी की बुधिया, जिसने पति के देहांत और पुत्र के बेसहारा छोड़ देने के बाद जूते बनाने का काम किया. 98 वर्ष की उम्र तक उन्होंने यही काम करके अपना जीवन निर्वहन किया. 

बुधिया 

इन महिलाओं की चर्चा मीडिया या तो करती नहीं या फिर नगण्य रूप में करती है. ये वे महिलाएँ हैं जो स्त्री-सशक्तिकरण के लिए हैप्पी टू ब्लीड, मंदिर प्रवेश, माहवारी पर चुप्पी तोड़ो, मैरिटल रेप, फ्री सेक्स जैसे विवादित मुद्दों का सहारा नहीं लेती हैं बल्कि अपनी कर्मठता, आत्मविश्वास से स्त्री-सशक्तिकरण की वास्तविक अवधारणा का विकास करती हैं. इन्होंने साबित किया है कि स्त्री की सशक्तता, उसकी आज़ादी देह के आज़ादी होने से नहीं, फ्री सेक्स से नहीं, हैप्पी टू ब्लीड से नहीं वरन स्वावलंबन से मिलनी है, आत्मविश्वास से मिलनी है.


आज की ये विशेष बुलेटिन समर्पित है ऐसी ही महिलाओं को जिन्होंने अपनी मेहनत से अपने आपको सफल सिद्ध किया. अपनी विषम परिस्थितियों पर विजय प्राप्त कर खुद को आगे बढ़ाया. आनंद लीजिये, आज की नवरत्न बुलेटिन का.

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6 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया विषय के साथ सुन्दर प्रस्तुति ।

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  2. नारी शक्ति को समर्पित प्रेरक बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!

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  3. नारी शक्ति को समर्पित बेहतरीन बुलेटिन ! मेरी प्रस्तुति 'तीन अध्याय' को सम्मिलित करने के लिये आपका आभार राजा कुमारेन्द्र सिह जी !

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  4. यूँ तो इस मंच की सृजनता हमेशा सराहनीय रहती है लेकिन ये परस्तुतिकरण संग्रहनीय है
    आभारी हूँ अपना लिखा यहाँ देख कर

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  5. ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम और सभी पाठकों को 1350 वीं पोस्ट की इस कामयाबी पर ढेरों मुबारकबाद और शुभकामनायें| इस अवसर पर नारी शक्ति तो समर्पित इस बुलेटिन के लिए राजा साहब का बहुत बहुत आभार और सम्पूर्ण नारी शक्ति को सादर नमन |


    राजा साहब और पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से सभी पाठकों का हार्दिक धन्यवाद ... आप के स्नेह को अपना आधार बना हम चलते चलते आज इस मुकाम पर पहुंचे है और ऐसे ही आगे बढ़ते रहने की अभिलाषा रखते है |

    ऐसे ही अपना स्नेह बनाए रखें ... सादर |

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  6. मैंने अपने ब्लॉग पर ऐसी ही महिलाओ के बारे में लिखने की श्रंखला तैयार की है जिनका मिडिया से कोई सम्बन्ध न हो।
    बहुत बहुत धन्यवाद

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