नमस्कार दोस्तो,
तारीख और दिन रोज ही बदलते हैं किन्तु कोई-कोई दिन-तारीख
विशेष बन जाती है. कुछ ऐसी ही विशेष तिथि 28 मई है. ये संयोग है कि ये दिन दो अमर
क्रांतिकारियों, विनायक दामोदर सावरकर तथा भगवती चरण वोहरा से सम्बंधित है. इस
संयोग में भी अपनी विशेषता ये है कि आज एक अमर शहीद की जयंती है और एक अमर शहीद की
पुण्यतिथि. जी हैं, आज 28 मई को देश वीर सावरकर को उनके
जन्मदिन पर याद करता है तो भगवती चरण वोहरा को उनकी पुण्यतिथि के लिए.
विनायक दामोदर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को महाराष्ट्र (तत्कालीन नाम बम्बई) प्रान्त में नासिक के निकट भागुर गाँव
में हुआ था. वीर सावरकर के संबोधन से स्वीकारे गए विनायक जी भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन
के अग्रिम पंक्ति के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे. अंग्रेजी शासन के
विरुद्ध लगातार संघर्षरत रहने के कारण उनको 24 दिसम्बर
1910 को आजीवन कारावास की सजा दी गयी. इसके बाद
31 जनवरी 1911 में आपको दोबारा आजीवन कारावास दिया गया. वीर सावरकर को ब्रिटिश सरकार ने
दो बार आजन्म कारावास की सजा दी, जो विश्व के इतिहास की पहली
एवं अनोखी सजा थी. नासिक जिले के कलेक्टर जैकसन की हत्या के लिए उन्हें 7 अप्रैल 1911 को काला पानी की सजा सुनाकर सेलुलर जेल,
अंडमान निकोबार भेज दिया गया. जहाँ से पूरे दस वर्ष का कारावास भोगकर वे 1921
में मुक्त होकर स्वदेश लौटे और फिर तीन वर्ष जेल की सजा काटी. जेल में
ही उन्होंने हिंदुत्व पर शोध ग्रन्थ लिखा. हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा (हिन्दुत्व)
को विकसित करने का बहुत बडा श्रेय वीर सावरकर को जाता है. वे न केवल स्वाधीनता-संग्राम
के एक तेजस्वी सेनानी थे अपितु महान क्रान्तिकारी, चिन्तक,
सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी
वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता भी थे. वे एक ऐसे इतिहासकार भी हैं जिन्होंने हिन्दू राष्ट्र
की विजय के इतिहास को प्रामाणिक ढँग से लिपिबद्ध किया है. उन्होंने 1857 के प्रथम स्वातंत्र्य समर का सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिखकर ब्रिटिश शासन
को हिला कर रख दिया था.
वीर सावरकर |
भगवती चरण वोहरा का जन्म 4 जुलाई 1904 को आगरा
में हुआ था. वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी थे. हिन्दुस्तान प्रजातांत्रिक
सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य भगवती चरण वोहरा का कार्य भगत सिंह व अन्य साथियों से सलाह-मशविरे
से मसविदे को तैयार करने का रहता था. नौजवान भारत सभा के उत्कर्ष में आपका और भगत सिंह
का ही प्रमुख हाथ था. भगत सिंह के अलावा वे ही संगठन के प्रमुख सिद्धांतकार थे.
अपनी सूझबूझ के चलते वे कभी गिरफ्तार नहीं हुए. क्रांतिकारी विचारक, संगठनकर्ता, वक्ता, प्रचारकर्ता,
आदर्श के प्रति निष्ठा व प्रतिबद्धता तथा अपराजेय हौसला आदि गुण भगवती
जी में विद्यमान थे. लखनऊ के काकोरी केस, लाहौर षड्यंत्र केस
और फिर लाला लाजपत राय को मारने वाले अंग्रेज सार्जेंट सांडर्स की हत्या में भी वे
आरोपित थे. इतने आरोपों से घिरे होने के बाद भी उन्होंने स्पेशल ट्रेन में बैठे वायसराय
को चलती ट्रेन में ही उड़ा देने का भरपूर प्रयास किया. क्रांतिकारी कार्यों से
पीछे न हटने वाले भगवती चरण वोहरा ने अपनी धर्मपत्नी दुर्गा को भी अपना सक्रिय
सहयोगी बनाया. यही सक्रिय क्रांतिकारी महिला भारतीय स्वातंत्र्य इतिहास में दुर्गा
भाभी के रूप में प्रसिद्द हुई. भगवती चरण जी की मृत्यु बम परीक्षण के दौरान हुई एक
दुर्घटना में 28 मई 1930 को हुई.
भगवती चरण वोहरा |
आज की बुलेटिन समर्पित है अपने शौर्य, आत्मबल, संघर्ष से स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में नए आयाम स्थापित करने वाले दोनों
अमर शहीदों, वीर क्रांतिकारियों को. उनको श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए सादर नमन.
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बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति । वीर सावरकर और भगवती चरण वोहरा की जयंती पर उन्हे नमन ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार ।
जवाब देंहटाएंवीर सावरकर व वोहरा की जयंती पर हार्दिक नमन !
दोनों महान क्रांतिकारियों को सादर नमन !!
जवाब देंहटाएंआप का आभार राजा साहब |
वीर सावरकर व वोहरा की जयंती पर हार्दिक नमन !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार । साथ ही मेरे ब्लौग "जवाब है मेरे पास अखिलेश जी" को जगह देने के लिए सादर आभार !