नमस्कार मित्रो,
देश के पन्द्रहवें
प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी ने आज अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूरे कर
लिए हैं. दो वर्ष का समय किसी भी केन्द्रीय नेतृत्व के कार्यों पर अंतिम परिणाम
देने के लिए भले ही पूर्णतः उपयुक्त न हो किन्तु उनके आकलन के लिए अवश्य ही
उपयुक्त है. मोदी जी ने अपने शपथ ग्रहण वाले दिन से ही अपनी कार्यशैली से ये दर्शा
दिया था कि वे समन्वय और सहयोग की भावना से सत्ता-सञ्चालन करने की मंशा रखते हैं.
शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों को आमंत्रित करना और पडोसी देशों की यात्राओं के
द्वारा उन्होंने सकारात्मक रुख दर्शाया. इसका सुखद परिणाम ये हुआ कि आज देश की अंतर्राष्ट्रीय
साख में आशातीत उछाल आया है.
वैश्विक स्तर पर देश की छवि
को सुधारने में अहम् भूमिका निर्वहन करने वाले मोदी जी ने देश की स्थिति को भी
सुधारने हेतु पर्याप्त एवं निरंतर कार्य किये हैं. सरकार द्वारा आम आदमी के लिए योजनाओं
का सञ्चालन किया जा रहा है. जन-धन योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, प्रधानमंत्री
बीमा योजना, अटल पेंशन योजना, गैस सब्सिडी हेतु पहल योजना, उज्ज्वला योजना, स्वच्छता
अभियान, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप योजना, बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना आदि के द्वारा
सरकार ने स्पष्ट सन्देश दिया कि उसके ऊपर भले ही उद्योगपतियों की सरकार होने का
आरोप लगे किन्तु सत्यता यह नहीं है. जिस तरह से पडोसी देशों से संबंधों को विस्तार
दिया गया उससे वर्षों से चले आ रहे अनेक विवादों को भी सुलझाया जा सका है.
बांग्लादेश के साथ चल रहे सीमा-विवाद का सहजता से हल निकाल लिया गया. जम्मू-कश्मीर
में सरकार में गठबंधन के द्वारा पाक-अधिकृत कश्मीर से और सीमा पार से आतंकी घटनाओं
पर भी अंकुश लगा है. इसके अलावा महिलाओं की सुरक्षा, रेल यात्रा के सुखद अनुभव,
बिजली एवं ऊर्जा के क्षेत्र में लगातार कार्य, विदेश मंत्रालय का सकारात्मक सहयोग,
परिवहन व्यवस्था की सजगता आदि को सरकार की सफलता माना जा सकता है. तकनीक के
क्षेत्र में, अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में, प्रक्षेपण के विषय में, रक्षा
अनुसन्धान में देश आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ सशक्त भी हुआ है. अब देश से विदेशी
राकेट प्रक्षेपित किये जा रहे हैं.
ऐसा भी नहीं है कि केंद्र
सरकार इन दो वर्षों में समस्त क्षेत्रों में सफल ही रही हो. सफलता के साथ-साथ
कई-कई मोर्चों पर आंशिक सफलता अथवा असफलता भी हाथ लगी है. पठानकोट हमले को इसी रूप
में देखा जा सकता है. इसके अलावा काला धन वापसी को लेकर किये गए वादे पर अमल होता
नहीं दिख रहा है. मंहगाई पर अंकुश लगा पाने में सरकार विफल रही है. किसानों के
मुद्दे पर भी सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक कदम उठते नहीं दिखे हैं. रुपये की
कीमत सम्बन्धी, शेयर बाजार सम्बन्धी मामलों में भी वैसे परिणाम नहीं मिले हैं जैसे
कि अपेक्षित थे.
दो वर्षों के कार्यों का
विस्तृत लेखा-जोखा बहुत विस्तारित हो सकता है. संक्षेप में और मोटे रूप में समझना
चाहिए कि इस कार्यकाल में भ्रष्टाचार होते नहीं दिखा है. मंत्री, सांसद अपने-अपने
दायित्वों का निर्वहन करने में लगे हैं. देश को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने के
प्रयास जारी हैं. आम आदमी में इस सरकार के प्रति विश्वास बना हुआ है. सामाजिक
सौहार्द्र बढ़ाने में, समन्वय में, सहयोग में इस सरकार ने पर्याप्त कार्य किया है.
लाभ-हानि के अपने-अपने समीकरण होते हैं, अपने-अपने नजरिये होते हैं. इसके बाद भी
आम आदमी में देश के प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी पर विश्वास कहीं गहरे
तक बना हुआ है. यही विश्वास देश को सतत उन्नति के पथ पर ले जायेगा. विश्वास रखें
कि देश आगे बढ़ेगा, उन्नति करेगा और बुलेटिन से सदा की भांति आपको जानकारी और आनंद मिलेगा.
++++++++++
बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाये
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ हो गया है, काफ़ी काम हो रहा है और काफ़ी कुछ करना शेष है !!
जवाब देंहटाएंराजा कुमारेन्द्र जी आपने बहुत ही अच्छे तरीके भारत सरकार का दो वर्ष के कार्यकाल को बताया है मोदी सरकार कई छेत्र में सफल व कई छेत्रो में असफल भी रही है लेकिन भ्रस्टाचार को रोकने में सरकार पूर्ण रूप से लगी हुयी है........ आप इसी तरह से अपनी राय शब्दनगरी ..पर भी लिख सकते हैं। .....
जवाब देंहटाएं