Pages

बुधवार, 25 मई 2016

अमर क्रांतिकारी रासबिहारी बोस और ब्लॉग बुलेटिन

सभी ब्लॉगर मित्रों को मेरा सादर नमस्कार।
रासबिहारी बोस (बांग्ला: রাসবিহারী বসু, जन्म:२५ मई, १८८६ - मृत्यु: २१ जनवरी, १९४५) भारत के एक क्रान्तिकारी नेता थे जिन्होने ब्रिटिश राज के विरुद्ध गदर षडयंत्र एवं आजाद हिन्द फौज के संगठन का कार्य किया। इन्होंने न केवल भारत में कई क्रान्तिकारी गतिविधियों का संचालन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी, अपितु विदेश में रहकर भी वह भारत को स्वतन्त्रता दिलाने के प्रयास में आजीवन लगे रहे। दिल्ली में तत्कालीन वायसराय लार्ड चार्ल्स हार्डिंग पर बम फेंकने की योजना बनाने, गदर की साजिश रचने और बाद में जापान जाकर इंडियन इंडिपेंडेस लीग और आजाद हिंद फौज की स्थापना करने में रासबिहारी बोस की महत्वपूर्ण भूमिका रही। यद्यपि देश को स्वतन्त्र कराने के लिये किये गये उनके ये प्रयास सफल नहीं हो पाये, तथापि स्वतन्त्रता संग्राम में उनकी भूमिका का महत्व बहुत ऊँचा है। अधिक जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

अब चलतें हैं आज कि बुलेटिन की ओर ...

क्या पृथ्वी का भविष्य शुक्र जैसे भयावह होगा ?

क्या होती है कौड़ी? इसका प्रयोग मुद्रा के रूप में कैसे और कब से है?

जैक का हिंदुस्तान प्रेम !

मुझे ही लड़नी होगी, अपनी यह लड़ाई

चहकते बच्चों का खामोश हो जाना

भट्ट ब्राह्मण कैसे

Exam Result से पहले एक पिता का अपने बेटे के लिए एक पत्र

मातॄ दिवस पर ...

पाना है आकाश जिन्हें फिर पाने दो ...

मन के नयन

नोच ले जितना भी है जो कुछ भी है तुझे नोचना तुझे पता है अपना ही है तुझे सब कुछ हमेशा नोचना



आज कि बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे। तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।

8 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद हर्षवर्धन जी

    जवाब देंहटाएं
  2. आभार आपका मुझे शामिल करने का आज की लाजवाब बुलेटिन में आज की ...

    जवाब देंहटाएं
  3. ‘शाश्वत शिल्प’ को स्थान प्रदान करने हेतु आभार !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति हर्षवर्धन । आभार 'उलूक' का सूत्र 'नोच ले जितना भी है' को बुधवारीय बुलेटिन में जगह देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुमन जी आपने अपनी इस कविता से बिल्कुल अंदर से झकझोर के रख दिया ये कविता बिलकुल दुःख से भरी हुई है पर आपकी इस कविता का सन्देश बहुत ही अच्छा है ये कविता बहुत ही सुन्दर है आप अपनी कविताएं इसी प्रकार से शब्दनगरी पर भी लिख सकती हैं

    जवाब देंहटाएं
  7. रासबिहारी बोस जी को सादर नमन | आभार हर्ष |

    जवाब देंहटाएं

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!