सभी ब्लॉगर मित्रों को मेरा सादर नमस्कार।।
भारतीय परमाणु आयोग ने पोखरण में अपना पहला भूमिगत परिक्षण १८ मई १९७४ को किया था। हलाकि उस समय भारत सरकार ने घोषणा की थी कि भारत का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण कार्यो के लिये होगा और यह परीक्षण भारत को उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिये किया गया है। बाद में ११ और १३ मई १९९८ को पाँच और भूमिगत परमाणु परीक्षण किये और भारत ने स्वयं को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया। इनमें ४५ किलोटन का एक तापीय परमाणु उपकरण शामिल था जिसे प्रायः पर हाइड्रोजन बम के नाम से जाना जाता है। ११ मई को हुए परमाणु परीक्षण में १५ किलोटन का विखंडन उपकरण और ०.२ किलोटन का सहायक उपकरण शामिल था।
अब चलते हैं आज की बुलेटिन की ओर....
साल भर मे भुला दी गई अरुणा शानबाग
नफा एक पैसे का, हानि एक रुपये की
सबसे बड़ी सौगात है जीवन
वो शाम कुछ अजीब थी।
एकाकी होता इंसान विस्मृत होती कला
प्राइवेट स्कूल किस दिशा में बच्चो को धकेल रहे हैं?
अपने ब्लॉग की स्पीड तेज करे इस छोटी सी ट्रिक से
उम्र के केंचुल से बाहर
मैंने जिया...........
हार......
राजशाही से लोकतंत्र तक लोकतांत्रिक कुत्ते और उसकी कटी पूँछ की दास्तान
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे। तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
भारतीय परमाणु आयोग ने पोखरण में अपना पहला भूमिगत परिक्षण १८ मई १९७४ को किया था। हलाकि उस समय भारत सरकार ने घोषणा की थी कि भारत का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण कार्यो के लिये होगा और यह परीक्षण भारत को उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिये किया गया है। बाद में ११ और १३ मई १९९८ को पाँच और भूमिगत परमाणु परीक्षण किये और भारत ने स्वयं को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया। इनमें ४५ किलोटन का एक तापीय परमाणु उपकरण शामिल था जिसे प्रायः पर हाइड्रोजन बम के नाम से जाना जाता है। ११ मई को हुए परमाणु परीक्षण में १५ किलोटन का विखंडन उपकरण और ०.२ किलोटन का सहायक उपकरण शामिल था।
अब चलते हैं आज की बुलेटिन की ओर....
साल भर मे भुला दी गई अरुणा शानबाग
नफा एक पैसे का, हानि एक रुपये की
सबसे बड़ी सौगात है जीवन
वो शाम कुछ अजीब थी।
एकाकी होता इंसान विस्मृत होती कला
प्राइवेट स्कूल किस दिशा में बच्चो को धकेल रहे हैं?
अपने ब्लॉग की स्पीड तेज करे इस छोटी सी ट्रिक से
उम्र के केंचुल से बाहर
मैंने जिया...........
हार......
राजशाही से लोकतंत्र तक लोकतांत्रिक कुत्ते और उसकी कटी पूँछ की दास्तान
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे। तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
अरुणा शानबाग की याद एक बार फिर से दिलाती हुई इस बहुत छोटी यादाश्त वाली जनता को :) जनता मतलब मैं और कोई बुरा ना माने। 'उलूक' के सूत्र 'राजशाही से लोकतंत्र तक लोकतांत्रिक कुत्ते और उसकी कटी पूँछ की दास्तान' को स्थान दिया मतलब फुस्स को एटम बौम्ब की बराबरी ।आभार ।
जवाब देंहटाएंBahut aabhaar
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
बहुत उम्दा प्रस्तुति...मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंएक गौरवपूर्ण दिवस की शानदार यादें ताज़ा करवा दी आपने ... आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा प्रस्तुति...
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