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गुरुवार, 3 मार्च 2016

बच्चों का नैसर्गिक विकास होने दें - ब्लॉग बुलेटिन

नमस्कार साथियो,
देश में चल रही तमाम उथल-पुथल के बीच बच्चों की परीक्षाएँ भी आरम्भ हो चुकी हैं. मासूम बच्चों से लेकर जिम्मेवार युवा तक अपने-अपने स्तर की परीक्षाओं में तन्मयता से संलग्न हैं. उन सभी को शुभकामनायें देते हुए उनके सुखद, उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कुछ बातें बच्चों से सम्बंधित आपके सामने रखते हुए सहयोग की अपेक्षा आप सभी से रखते हैं.

=> बच्चों पर ज्यादा से ज्यादा अंक लाने का, अन्य दूसरे छात्रों से अधिक आने का दबाव बनने का काम न किया जाये.

=> बच्चों को किताबों, कंप्यूटर से बाहर निकाल कर कुछ समय के लिए खुले में, मैदानों में, पार्कों में खेलने को स्वतंत्र करें.

=> परीक्षा को उनके लिए हौवा न बनने दें बल्कि उनके साथ घुलते-मिलते हुए परीक्षा का भय उनके भीतर से निकालने का काम करें.

=> अपने-अपने व्यस्ततम समय में से कुछ समय निकाल कर अभिभावक अपने बच्चों के साथ बिताने का प्रयास करें.

=> अभिभावकगण अपने बच्चों के भीतर स्वस्थ प्रतियोगिता का भाव-बोध जगाने का काम करें न कि उनके अन्दर प्रतियोगिता का भय पैदा करें.

=> उनको समझाया जाये कि परीक्षा उनके व्यक्तित्व को, प्रतिभा को, अध्ययन को आँकने का पैमाना नहीं है वरन अगले चरण को पाने का एक माध्यम है.

सुझाव, उपाय बहुत से हो सकते हैं मगर मूल बिंदु ये है कि बच्चों की नैसर्गिक प्रतिभा का हनन नहीं होना चाहिए, बचपन को अवसाद की चपेट में नहीं आने देना चाहिए. हम सभी को मिलकर इस बारे में सकारात्मक विचार करना होगा और देश के भविष्य की सशक्त नींव तैयार करने की कोशिश करनी चाहिए. 

आइये बच्चों को नैसर्गिक रूप से आगे बढ़ने दें, स्वच्छंद रूप से खेलने दें और हम सभी आनंद लें आज की बुलेटिन का.

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6 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया सुझावों के साथ सुन्दर बुलेटिन ।

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  2. बहुत अच्छी सीख के साथ सार्थक चिंतनशील बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!

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  3. छात्रों और अभिभावकों को ध्यान मे रखते हुये बढ़िया सुझावों के साथ सार्थक और चिंतनशील बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार राजा साहब |

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  4. राजा साहब , मेरी पोस्ट को आज की बुलेटिन बच्चों का नैसर्गिक विकास होने दें - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल करने हेतु हार्दिक धन्यवाद !!

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