नमस्कार मित्रो,
एक और बुलेटिन के
साथ आपका मित्र उपस्थित है. आसपास की घटनाओं को देखकर लग रहा है जैसे ये दौर सदी
का सबसे अधिक उथल-पुथल भरा दौर है. छोटी से छोटी घटना से लेकर बड़ी से बड़ी घटना तक,
घर के कमरे से लेकर सुदूर अंतरिक्ष के ग्रह-नक्षत्रों तक सबकुछ बस विवादित हुआ
जाता है. आज़ाद भारत में भी सब अपनी-अपनी आज़ादी की माँग करने में लगे हुए हैं.
जिन्हें सकारात्मक मुद्दों पर आज़ादी मिल गई है वे प्रसन्न हैं और उनकी देखादेखी
नकारात्मक मुद्दों पर आज़ादी चाहने वाले अप्रसन्नता दिखाते हुए अपनी आज़ादी स्वयं
निर्मित करने लगे हैं. इसके लिए चाहे समाज के बने-बनाये नियम-कायदों को ध्वस्त ही
क्यों न कर देना पड़े. सामाजिक गोपन को अगोपन बनाने की आज़ादी के चलते जहाँ समाज में
‘किस ऑफ़ लव’ जैसे आयोजनों को संपन्न किया गया वहीं ‘हैप्पी तो ब्लीड’ जैसी
संकल्पना को स्थापित करने का प्रयास किया गया. इसी कड़ी में आज़ादी प्रेमी लोग दैहिक
संबंधों की वकालत करते नजर आने लगे हैं. इनका विरोध करना समाज को, देश को भगवाकरण
करना बताया जा रहा है. आज़ादी के ऐसे दीवानों के एक मठ से मिले कंडोम ने
आज़ादी-प्रेमियों के स्वर को मुखर किया तो उन्हीं में से एक दीवाना खुलेआम लघुशंका
की आज़ादी में दण्डित होते देखा गया. इसे भी एक तरह का भगवाकरण किया जाना बताया
जाने लगा. समझ नहीं आता कि आज़ादी की चाह में इन प्रेमियों द्वारा कौन सा कार्य कब,
कहाँ, किसके सामने किया जाने लगे? यदि आज़ादी की ऐसी माँग लगातार बढ़ती रही तो ये
कपोल-कल्पना नहीं कि ऐसी आज़ादी के दीवाने सड़कों पर खुलेआम दैहिक सम्बन्ध बनाते
दिखाई दें.
आज़ादी की इसी चाह के
बाद भी इनको देश के विरोध में बोलने की आज़ादी मिली हुई है; देश के प्रधानमंत्री के
विरुद्ध अशालीन वक्तव्य देने की आज़ादी मिली है; देश को बर्बाद करने के नारे लगाये
जाने की आज़ादी है; महिलाओं के शोषण के नाम पर धर्म-विशेष को जलील करने की छूट है; अभिव्यक्ति
के नाम पर सेना को बलात्कारी बताने की आज़ादी सुलभ है; हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं
को हत्यारा, सेक्स-सिम्बल घोषित करने की आज़ादी है, तो सवाल ये कि इतनी घनघोर आज़ादी
के बाद अब आज़ादी किससे? खुद से? अपने परिवार से? इस समाज से? भारत देश से? आखिर
कैसी आज़ादी और किससे? सोचियेगा और जवाब देकर कथित आज़ादी के इन कथित प्रेमियों को
भी करारा जवाब दीजियेगा. हो सकता है कि देश-हित में दिए गए अनेकानेक जवाबों से
देश-विरोधी ताकतों के हौसले पस्त हों और देश को विखंडित करने के, देश को अस्थिर
करने के, देश को आतंकी साए में ले जाने के इनके मंसूबे भी ध्वस्त हों.
जवाब सोचिये और उसी
के साथ दृष्टि डालिए वर्तमान समाज से निकल कर आते कुछ विचारों पर, कुछ ब्लॉग-पोस्ट
पर.
आभार सहित आज की
बुलेटिन पर पोस्ट-लिंक्स
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सुन्दर बुलेटिन ।
जवाब देंहटाएंआभार
जवाब देंहटाएंकुमारेद्र जी, अभिव्यक्ति के नाम पर किसी को भी देश के विरोध में कुछ भी बोलने की आजादी नहीं मिलनी चाहिए। इस पर रोक लगनी ही चाहिए। सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआजादी के साथ जिम्मेवारियां भी आती हैं, देश का मान सम्मान बनाये रखने की जिम्मेवारी, अपने सह-नागरिकों की अवमानना न करने की जिम्मेवारी, देश के संविधान और कानून को मानने और पालन करने की जिम्मेवारी। आजादी मुफ्त नही आती।
जवाब देंहटाएंआज कल की इस तथाकथित आज़ादी का नारा बुलंद करने वाले उस आज़ादी के साथ आने वाली ज़िम्मेदारी तो संभाल पाने की कुव्वत नहीं रखते ... इनके बारे मे क्या चर्चा करें केवल उधम मचाना ही इन का उद्देश है |
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया....बुलेटिन...।
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