प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
रात के समय एक दुकानदार अपनी दुकान बन्द ही कर रहा था कि एक कुत्ता दुकान में आया । उसके मुँह में एक थैली थी। जिसमें सामान की लिस्ट और पैसे थे। दुकानदार ने पैसे लेकर सामान उस थैली में भर दिया। कुत्ते ने थैली मुॅंह मे उठा ली और चला गया।
दुकानदार आश्चर्यचकित हो के कुत्ते के पीछे पीछे गया ये देखने की इतने समझदार कुत्ते का मालिक कौन है।
कुत्ता बस स्टाॅप पर खडा रहा। थोडी देर बाद एक बस आई जिसमें चढ गया। कंडक्टर के पास आते ही अपनी गर्दन आगे कर दी। उस के गले के बेल्ट में पैसे और उसका पता भी था। कंडक्टर ने पैसे लेकर टिकट कुत्ते के गले के बेल्ट मे रख दिया। अपना स्टाॅप आते ही कुत्ता आगे के दरवाजे पे चला गया और पूॅंछ हिलाकर कंडक्टर को इशारा कर दिया। बस के रुकतेही उतरकर चल दिया।
दुकानदार भी पीछे पीछे चल रहा था।
कुत्ते ने घर का दरवाजा अपने पैरोंसे 2-3 बार खटखटाया।
अन्दर से उसका मालिक आया और लाठी से उसकी पीटाई कर दी।
दुकानदार ने मालिक से इसका कारण पूछा ।
मालिक बोला `साले ने मेरी नींद खराब कर दी। चाबी साथ ले के नहीं जा सकता था, गधा।`
जीवन की भी यही सच्चाई है। लोगों की अपेक्षाओं का कोई अन्त नहीं है।
सादर आपका
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कुछ ख़्वाब कुछ ख़्वाहिशें
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
बहुत सुंदर कथा और सुंदर बुलेटिन ।
जवाब देंहटाएंsundar katha meri rachna shamil karne ke liye hardik abhar
जवाब देंहटाएंवाकई अपेक्षाओं की लिस्ट कभी पूरी ही होने को नहीं आती और इस चक्कर में जो मिला है उसकी ख़ुशी भी नहीं मनाते हम..सूत्रों का सुंदर संकलन..आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
आप सब का बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंPankajkrsah.blogspot.in
bahut-bahut aabhar..yah blog hamesha ki tarah shandar
जवाब देंहटाएंbahut-bahut aabhar..yah blog hamesha ki tarah shandar
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