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शुक्रवार, 8 जनवरी 2016

अपेक्षाओं का कोई अन्त नहीं - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

रात के समय एक दुकानदार अपनी दुकान बन्द ही कर रहा था कि एक कुत्ता दुकान में आया । उसके मुँह में एक थैली थी। जिसमें सामान की लिस्ट और पैसे थे। दुकानदार ने पैसे लेकर सामान उस थैली में भर दिया। कुत्ते ने थैली मुॅंह मे उठा ली और चला गया।

दुकानदार आश्चर्यचकित हो के कुत्ते के पीछे पीछे गया ये देखने की इतने समझदार कुत्ते का मालिक कौन है।

कुत्ता बस स्टाॅप पर खडा रहा। थोडी देर बाद एक बस आई जिसमें चढ गया। कंडक्टर के पास आते ही अपनी गर्दन आगे कर दी। उस के गले के बेल्ट में पैसे और उसका पता भी था। कंडक्टर ने पैसे लेकर टिकट कुत्ते के गले के बेल्ट मे रख दिया। अपना स्टाॅप आते ही कुत्ता आगे के दरवाजे पे चला गया और पूॅंछ हिलाकर कंडक्टर को इशारा कर दिया। बस के रुकतेही उतरकर चल दिया।

दुकानदार भी पीछे पीछे चल रहा था।

कुत्ते ने घर का दरवाजा अपने पैरोंसे 2-3 बार खटखटाया।

अन्दर से उसका मालिक आया और लाठी से उसकी पीटाई कर दी।

दुकानदार ने मालिक से इसका कारण पूछा ।

मालिक बोला `साले ने मेरी नींद खराब कर दी। चाबी साथ ले के नहीं जा सकता था, गधा।`

 
जीवन की भी यही सच्चाई है। लोगों की अपेक्षाओं का कोई अन्त नहीं है।

सादर आपका
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कहानी का किरदार


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अब आज्ञा दीजिये ... 

जय हिन्द !!! 

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर कथा और सुंदर बुलेटिन ।

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  2. वाकई अपेक्षाओं की लिस्ट कभी पूरी ही होने को नहीं आती और इस चक्कर में जो मिला है उसकी ख़ुशी भी नहीं मनाते हम..सूत्रों का सुंदर संकलन..आभार !

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  3. बहुत बढ़िया सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं

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